अफगानिस्तान में तालिबान ने जींस पहनने पर लगाई रोक, बुर्का की ब्रिकी बढ़ी, दाम हुए दोगुने

नई दिल्ली। तालिबान के कब्जे के बाद अगर अफगानिस्तान में किसी को सबसे ज्यादा प्रताड़ित किया जा रहा है तो वह महिलाएं हैं। पिछले 20 सालों में इस युद्धग्रस्त देश में न सिर्फ सामान्य जीवन में सुधार हुआ, बल्कि लड़कियों ने पढ़ाई करना शुरू कर दिया था और ड्रेस के रूप में जींस का चलन भी बढ़ गया था। लेकिन अब तालिबान ने जींस पहने लोगों को पीटना शुरू कर दिया है और बुर्का की मजबूरी के चलते इसकी कीमत बढ़ गई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में बुर्का की बिक्री तेजी से बढ़ी है और इसकी कीमतें भी दोगुनी हो गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, एक हफ्ते पहले स्थानीय अखबार ने खबर दी थी कि उसके एक पत्रकार को इसलिए पीटा गया क्योंकि उसने अफगानी कपड़े नहीं पहने थे।
90 के दशक में तालिबान शासन के दौरान पुरुषों के लिए पारंपरिक कपड़े पहनना अनिवार्य था जबकि आठ साल तक की लड़कियों और महिलाओं को बुर्का पहनना जरूरी था । तालिबान लड़ाके जींस को पश्चिमी सभ्यता के कपड़े मानते हुए उन्हें न पहनने के लिए हमला भी कर रहे हैं । कई युवा अफगानियों ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द जाहिर किया है । उन्होंने कहा, जींस पहनने को इस्लाम का अपमान मानने के लिए बंदूक की नोक पर उनकी पिटाई की गई । तालिबान के एक लड़ाके ने स्थानीय अखबार अतिलाट्रोज को बताया कि हम पुरुषों के लिए भी ड्रेस कोड पर चर्चा कर रहे हैं। हालांकि टेलीग्राफ की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तालिबान पश्चिमी सभ्यता के कपड़ों को मान्यता नहीं देगा। दूसरी ओर अफगानिस्तान से आई तस्वीरों और वीडियो में लड़ाके पश्चिमी सभ्यता के हिसाब से चश्मा, टोपियां, जूते में नजर आ रहे हैं।
अफगान की प्रमुख महिला अधिकार कार्यकर्ता जऱीफा गफरी अपने परिवार के साथ जर्मनी पहुंची हैं। पिछले हफ्ते अफगानिस्तान से पाकिस्तान के लिए भागने के बाद गफरी ने कोलोन/बॉन के लिए देर रात की उड़ान भरी । जर्मनी के उत्तरी राइन-वेस्टफेलिया राज्य के गवर्नर आर्मिन लैस्टे ने उनसे मुलाकात के बाद कहा कि आने वाले दिनों में और अधिक महिलाओं को अफगानिस्तान छोडऩे में मदद करना महत्वपूर्ण है । गाफरी 26 साल की उम्र में 2018 में अफगान सिटी मैदान के मेयर बनी थीं। उन्हें 2020 में अमेरिकी विदेश विभाग से इंटरनेशनल वुमन ऑफ करेज पुरस्कार भी मिल चुका है।
अफगानिस्तान में तेजी से बदलते हालात में अमेरिकी बिडेन प्रशासन अलकायदा के फिर से उभरने की संभावना से निपटने की योजना बना रहा है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका अपने देश में हिंसक चरमपंथ और रूस और चीन के साइबर हमलों से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है।
अलकायदा ने 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हमला किया था, जिसके बाद अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो सेनाओं ने इसे खत्म करने के लिए अफगानिस्तान में युद्ध शुरू किया था। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर ट्रंप प्रशासन में आतंकवाद निरोधक विभाग में वरिष्ठ निदेशक रहे क्रिस कोस्टा ने कहा, मुझे लगता है कि अलकायदा के पास मौका है और वे उस मौके को संभालेंगे। उन्होंने कहा, यह एक ऐसा उदाहरण है जो हर जगह जेहादियों को प्रेरित करता है ।

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