ईमानदारी की मिसाल रहे डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी

  • आज हुए रिटायर, पुलिस महकमे ने उनके कार्यकाल को सराहा
  • बेहद सादगी के साथ अधीनस्थों ने दी विदाई

4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। उत्तर प्रदेश के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी अपने कार्यकाल में यूपी पुलिस के लिए ईमानदारी की मिसाल रहे। उन्होंने कई ऐसे काम किए, जिन्हें खूब सराहना मिली। यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हाथरस, उन्नाव, बिकरू कांड, गाजियाबाद व प्रतापगढ़ जैसे मामलों में जल्द सुलझाने को लेकर खूब तारीफें कीं। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हितेश चंद्र अवस्थी आज सेवानिवृत्त हो गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने के बाद वह डीजीपी मुख्यालय पहुंचे और एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार को पदभार सौंपा। डीजीपी मुख्यालय में हाई-टी के बाद सादे समारोह में हितेश चंद्र अवस्थी को विदाई दी गई तो पूरे पुलिस महकमे ने उनके कार्यकाल की सराहना की। बता दें कि कानपुर के बिकरू गांव में जब गैंगस्टर विकास दुबे ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी तो यूपी सहित पूरा देश हिल गया था। ऐसे में डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने इस पूरे मामले को संभाला। 24 घंटे में मुख्यमंत्री को रिपोर्ट पेश की। डीजीपी की सख्ती के चलते यूपी पुलिस ने विकास दुबे को उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया था, जिसे बाद में मुठभेड़ में मार गिराया। वहीं हाथरस कांड में पीड़िता का शव जलाने को लेकर यूपी सरकार निशाने पर आ गई थी तो डीजीपी ने ही यूपी पुलिस की बदनामी नहीं होने दी, जल्द ही पूरे मामले का खुलासा कर दिया। इसके अलावा गाजियाबाद में बाइक-बोट कांड व प्रतापगढ़ में पत्रकार की हत्या मामले को भी डीजीपी ने बड़े आसानी से साल्व कर दिया। पुलिस महकमे ने इन सारे मामलों को लेकर डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी की खूब सराहना की थी।

कोरोना से मरने वालों के परिवार को मुआवजा दे सरकार: सुप्रीम कोर्ट

  • शीर्ष अदालत ने कहा धनराशि तय करें सरकार

4पीएम न्यूज नेटवर्क. नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस से मरने वालों के परिवार को मुआवजा देने के मामले में आज अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि केंद्र कोरोना संक्रमण से मरने वालों के परिवारों को मुआवजा दे। साथ ही केंद्र मुआवजा राशि तय कर छह हफ्तों के भीतर राज्य सरकारों को इस संदर्भ में जरूरी दिशा-निर्देश दे। यह फैसला जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि ये मुआवजा कितना होना चाहिए ये खुद सरकार को तय करना होगा। कोर्ट ने यह भी माना कि कोरोना से मरने वालों के परिवारों को चार-चार लाख का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) से कहा कि वह एक ऐसा सिस्टम बनाए, जिससे कम से कम ही सही लेकिन पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए। साथ ही केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि कोरोना से हुई मौत पर मृत्यु प्रमाण पत्र पाने की प्रक्रिया को भी सरल किया जाना चाहिए।

क्या कहना है केंद्र का

इससे पहले केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट हलफनामा दाखिल कर कहा था कि पीड़ितों को चार-चार लाख का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है क्योंकि आपदा प्रबंधन कानून में केवल भूकंप, बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाओं पर ही मुआवजे का प्रावधान है। सरकार ने कहा कि अगर एक बीमारी से होने वाली मौत पर मुआवजे की राशि दी जाए और दूसरी पर नहीं तो यह पूरी तरह से गलत होगा। केंद्र ने कहा अगर मुआवजा दिया गया तो वर्ष 2021-22 के लिए राज्य आपदा राहत कोष के लिए आवंटित राशि 22184 करोड़ इस मद में ही खर्च हो जाएंगे।

चुनाव से पहले दलितों को खुश करने की तैयारी

  • राष्टï्रपति का दौरा इसलिए रखा गया ताकि दलित वोटों को अपनी तरफ भाजपा खींच सके

4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। राष्टï्रपति पहले भी दो बार आए यूपी में तब इतना सरकार ने प्रचार नहीं किया। पहले कब आए और कब चले गए आपको पता भी नहीं चला। मगर इस बार राष्टï्रपति पर पूरी सरकार को इतना दुलार आया कि पूरे यूपी को महामहिम के आने की खबर हो गयी तो क्या दलित वोटों का खेल था इसके पीछे। इस बार जिस तरह का स्वागत किया गया क्या यह चुनाव से पहले दलितों को खुश करने की तैयारी तो नहीं है? ये महत्वपूर्ण बातें निकलकर आई जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, वेबसाइट भड़ास के संपादक यशवंत सिंह, राजनीतिक मुद्ïदों पर अपने शोध से चर्चा में रहने वाले अभिषेक कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता नूतन ठाकुर व 4पीएम के संपादक संजय शर्मा के साथ एक लंबी परिचर्चा में।

परिचर्चा में एसआर दारापुरी ने कहा भाजपा की सारी राजनीति ही धर्म और जाति के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। हालांकि वह इस बात को नकारते हैं। दुर्भाग्य की बात है कि भारत में राजनीति अभी भी जाति व धर्म पर तय हो रही है। ऐसे में स्वाभाविक रूप से राष्टï्रपति का यह दौरा चुनावों से पहले दलितों को खुश करने की कवायद है। नूतन ठाकुर बोलीं, सभी को पता है कि यूपी में चुनाव आने वाले हैं। इसी कड़ी में राष्टï्रपति का दौरा रखा गया ताकि दलित वोटों को अपनी तरफ खींचा जा सके। जहां तक बात स्मारक की है तो उसकी जगह अस्पताल, स्कूल या अन्य कोई प्लांट/प्रोजेक्ट स्थापित किए जाए तो बेहतर होगा। यशवंत सिंह ने कहा राष्टï्रपति ने जिस तरह से अपने वेतन पर बातें कहीं हैं, उससे मंहगाई पर लोगों का ध्यान गया है। इस दौरे से बीजेपी को कहीं न कहीं एजेंडा फिक्सिंग को नुकसान जरूर हुआ है। अभिषेक कुमार बोले यूपी में पिछले पांच सालों में हालात काफी बदल चुके हैं। ऐसे में बीजेपी का यह दांव काम नहीं करेगा क्योंकि इन सालों में कई घटनाएं हुई, जिसे दलित वर्ग भुला नहीं सकता।

बीजेपी विधायक के खिलाफ खबर लिखी तो पत्रकार को डंडों से पीटा

  • अयोध्या में पत्रकार पर जानलेवा हमले का मामला

4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। अयोध्या में एक पत्रकार पर जानलेवा हमला हुआ है। पत्रकार का आरोप है कि हमला बीजेपी विधायक के खिलाफ खबर लिखने की वजह से हुआ। पत्रकार ने बताया कि हमलावर काली सफारी में आए थे। पहले बाइक में पीछे से टक्कर मारी और गिर जाने पर रॉड से हमला किया। जानकारी के अनुसार पत्रकार पाटेश्वरी सिंह पर देर शाम जानलेवा हमला किया गया। वह मार्केट से सब्जी लेकर अपनी मोटरसाईकिल से घर लौट रहे थे। उनका कहना है कि स्कार्पियों पर सवार कुछ अज्ञात बदमाशों ने उन्हें पीछे से टक्कर मारकर गिरा दिया। वह अपनी बाइक के साथ नीचे गिर गए। तभी उन बदमाशों ने लाठी और लोहे की रॉड से उन्हें पीटना शुरू कर दिया। बदमाशों ने पीट-पीटकर उन्हें मरणासन्न हालत में पहुंचा दिया। उनका कहना है कि वो बदमाश उन्हें मार डालना चाहते थे। लेकिन, शोर-शराबा सुनकर इलाके के लोग उन्हें बचाने के लिए दौड़े तब जाकर बदमाशों ने उन्हें छोड़ा और वहां से भाग निकले। नाजुक हालत में पत्रकार को जिला अस्पताल में कराया भर्ती कराया गया है। पत्रकार पाटेश्वरी सिंह कोतवाली नगर क्षेत्र के कौशलपुरी कॉलोनी में रहते हैं। घटना की सूचना पर नगर कोतवाल सुरेश कुमार पांडे चौकी प्रभारी सिविल लाइन ने पहुंचकर जिला चिकित्सालय में जानकारी हासिल की। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। बताया जा रहा है कि स्थानीय विधायक के खिलाफ पत्रकार ने एक खबर लिखी थी, इससे वो आहत थे। इसी क्रम में उनके समर्थकों ने पत्रकार पाटेश्वरी सिंह पर जानलेवा हमला कर दिया।

कल से खुलेंगे यूपी के प्राइमरी स्कूल, जारी रहेगी ऑनलाइन पढ़ाई

  • 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खोलने के लिए मांगी राय

4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर के लगातार घटते मामलों के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में सभी शासकीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को 1 जुलाई, 2021 से खोले जाने के आदेश दिये हैं। हालांकि बच्चों को स्कूल आने की इजाजत नहीं होगी। विद्यालय प्रबंधन अपने अध्यापकों और कर्मचारियों को शैक्षिक और गैर-शैक्षिक कार्यों के लिए जरूरत के अनुसार बुला सकते हैं। छात्र-छात्राओं की ऑनलाइन पढ़ाई ई-पाठशाला से माध्यम से जारी रहेगी। सरकार ने स्कूलों में सख्ती से कोरोना नियमों का पालन करने का आदेश दिया गया है। सरकार ने इससे पहले सभी स्कूलों को 30 जून तक बंद करने का आदेश दिया गया था। 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं के लिए स्कूल खोलने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए शिक्षा बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने 23 जून को शाम तक जिलों से अभिभावकों की राय मांगी थी, लेकिन जवाब देने में अधिकांश अभिभावकों ने रुचि नहीं दिखाई। अब फिर से राय मांगने की तैयारी है। 

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