उत्तराखंड के कोटे से कौन पहुंचेगा केंद्रीय मंत्रिमंडल में

नई दिल्ली। केंद्र में नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की घोषणा के साथ ही उत्तराखंड में चर्चा गर्म हो रही है कि क्या किसी सांसद को भी जगह मिल पाएगी? हाल ही में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले तीरथ सिंह रावत को राज्यमंत्री बनाया जा सकता है। हाल के घटनाक्रम ऐसे रहे हैं कि तीरथ के इस्तीफे के बाद पुष्कर धामी को उत्तराखंड का नया मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन जिस तरह से तीरथ की रवानगी हुई, उसे देखते हुए सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री और पौड़ी गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत को मंत्रिमंडल विस्तार में समायोजित किया जा सकता है।
इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि जिस तरह से उन्हें पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री पद छोडऩा पड़ा था और पूरी प्रक्रिया में उन्होंने पार्टी के अनुशासन की लकीर का पालन किया, जिसके कारण उनका नाम केंद्रीय संगठन के मन में है। तीरथ सिंह रावत के साथ ही असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का नाम भी मंत्रिमंडल में जगह पाने वालों की सूची में सबसे आगे है।
दरअसल उत्तराखंड से 5 लोकसभा और 3 राज्यसभा सांसद हैं। लोकसभा सांसदों की बात करें तो हरिद्वार से सांसद रमेश पोखरियाल निशंक केंद्र में शिक्षा जैसे बड़े विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। तीरथ सिंह रावत की बात करें तो वर्तमान में वह पौड़ी गढ़वाल से सांसद हैं। सूत्रों के मुताबिक उनका दावा मंत्रिमंडल में जाने का हो सकता है क्योंकि रावत 4 महीने तक मुख्यमंत्री रहे और जिस तरह से उनकी राह जुदा रही है, बीजेपी को भी लगता है कि रावत को एडजस्ट किया जाना चाहिए ताकि गढ़वाल के राजपूत वोटर नाराज न होने पाएं।
दूसरी ओर नैनीताल के सांसद अजय भट्ट भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह की दौड़ में शामिल हो सकते हैं। दरअसल, 2017 में जब भाजपा की सरकार सत्ता में आई थी तो भट्ट मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन वह विधानसभा चुनाव हार गए और चूक गए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष होने के बावजूद ब्राह्मण होने को लेकर संशय बना हुआ है क्योंकि रमेश पोखरियाल निशंक पहले से ही केंद्र में मंत्री हैं। ऐसी स्थिति में क्या एक ही राज्य से दो ब्राह्मण मंत्री बनाए जाएंगे, इसकी संभावना नहीं है।
उत्तराखंड से अल्मोड़ा के सांसद रहे अजय टम्टा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में कपड़ा राज्यमंत्री थे। दरअसल अजय टम्टा दलित हैं और उस समय उन्हें मंत्रिमंडल में जगह देकर बीजेपी ने दलित मतदाताओं तक भी अपनी पहुंच बनाई थी। हालांकि टम्टा प्रभावी मंत्रियों में से एक नहीं थे । 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद टम्टा को दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। उनके स्थान पर ब्राह्मण जाति के निशंक को स्थान दिया गया। अब अगर तीरथ सिंह रावत को मंत्रिमंडल में जगह मिलती है तो फिर इसे भाजपा की जातिगत रणनीति का हिस्सा माना जाएगा।

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