किसान आंदोलन में च्सुप्रीमज् दखल समस्या के हल को गठित होगी कमेटी

केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, कल होगी सुनवाई

किसान संगठनों को भी बनाया जाएगा पक्षकार

 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा पिछले 21 दिन से चल रहे आंदोलन के बीच अब सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने केंद्र सरकार, पंजाब और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही अदालत ने कहा कि इस मामले में एक कमेटी गठित की जाएगी, जो इस मसले को सुलझाएगी क्योंकि राष्ट्रीय मुद्दे को सहमति से सुलझना जरूरी है। अब इस मामले पर कल सुनवाई होगी।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि आप चाहते हैं बॉर्डर खोल दिए जाएं, जिस पर वकील ने कहा कि अदालत ने शाहीन बाग केस के वक्त कहा था कि सडक़ें जाम नहीं होनी चाहिए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि वहां पर कितने लोगों ने रास्ता रोका था? कानून व्यवस्था के मामलों में मिसाल नहीं दी जा सकती है। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या किसान संगठनों को केस में पार्टी बनाया गया है। जिस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा किकिसान प्रदर्शन कर रहे हैं और दिल्ली पुलिस ने रास्ते बंद किए हैं। कोर्ट ने कहा कि वे किसान संगठनों का पक्ष सुनेंगे, साथ ही सरकार से पूछा कि अब तक समझौता क्यों नहीं हुआ। अदालत की ओर से अब किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है। अदालत का कहना है कि ऐसे मुद्दों पर जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाने को कहा है ताकि दोनों आपस में मुद्दे पर चर्चा कर सकें। गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट ऋषभ शर्मा ने यह अर्जी लगाई थी। उनका कहना है कि किसान आंदोलन के चलते सडक़ें जाम होने से जनता परेशान हो रही है। प्रदर्शन वाली जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होने से कोरोना का खतरा भी बढ़ रहा है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाकर सरकार की तरफ से आवंटित तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही किसानों को प्रदर्शन के दौरान कोरोना गाइडलाइन्स का पालन भी करना चाहिए।

गतिरोध बरकरार, किसानों ने बंद किया चिल्ला बॉर्डर

21 दिन से आंदोलन कर रहे हैं किसान, लिखित में ठुकराया संशोधनों को

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली। कृषि कानूनों पर सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। किसान जहां कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े हैं वहीं सरकार बार-बार जरूरी संशोधन करने और बातचीत से समस्या का हल निकालने पर जोर दे रही है। 21 दिन से आंदोलनरत किसान अपनी मांगों को मनवाने

के लिए सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। उन्होंने दिल्ली-नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर चक्का जाम कर दिया है।

किसानों ने नारेबाजी की और सडक़ पर लाठी-डंडा लेकर बैठ गए हैं। इस बीच सिंघु बॉर्डर किसानों ने अब आक्रामक रुख भी अख्तियार कर लिया है और पुलिस की ओर से सडक़ पर लगाए गए सीमेंट के बैरिकेड को हटाकर उसी जगह पर कई ट्रैक्टरों को भी खड़ा कर दिया है। वहीं किसान संगठनों ने सरकार को लिखित में जवाब देते हुए संशोधनों को ठुकरा दिया है।

भाजपा सरकार ने सपा के कार्यकर्ताओं को ही जेल नहीं भेजा है बल्कि किसानों की ही गिरफ्तारी की है क्योंकि सपा के अधिकतर कार्यकर्ता किसान ही हैं। सपा के इस संघर्ष में किसान, मजदूर, महिला, युवा, छोटे व्यापारी, दुकानदार, कारोबारी साथ हैं क्योंकि कृषि कानून का असर सब पर पड़ रहा है।

अखिलेश यादव, सपा प्रमुख

अब यूपी में सियासी जमीन तलाश रहे ओवैसी ओमप्रकाश राजभर से की मुलाकात

एआईएमआईएम प्रमुख बोले, बिहार में मिली कामयाबी में राजभर का योगदान

 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ। बिहार विधानसभा चुनाव में पांच विधायकों की जीत के बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के हौसले बुलंद हैं। अब पार्टी की निगाहें 2022 में यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। यूपी में सियासी जमीन और गठबंधन की तलाश में असदुद्दीन ओवैसी आज लखनऊ पहुंचे और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात की।

ओवैसी ने कहा कि राजनीति में जब दो लोग एक साथ मुलाकात करते हैं तो इसका मतलब आप समझते ही हैं। उन्होंने कहा कि हम ओमप्रकाश राजभर के साथ हैं। बिहार की कामयाबी में राजभर का बड़ा योगदान रहा है और यही वजह है कि हमें कामयाबी मिली। ममता बनर्जी पर टिप्पणी करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने बंगाल की सीएम को एक सलाह दी। उन्होंने कहा कि वह बिहार के लोगों की तौहीन न करें और यह भी देखें कि उनकी पार्टी के लोग पार्टी छोडक़र जा रहे हैं। उन्हें इसके बारे में सोचना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि हम बिहार में 20 सीट पर लड़े और जीते। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निकाय चुनाव में प्रचार के दौरान हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने की बात कही थी। इस पर ओवैसी ने कहा हम उत्तर प्रदेश में किसी भी चीज का नाम नहीं बदलेंगे। योगी आदित्यनाथ और अमित शाह जिस वार्ड में भी प्रचार करने गए वहां पर भाजपा हारी है।

लखनऊ। बिहार विधानसभा चुनाव में पांच विधायकों की जीत के बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के हौसले बुलंद हैं। अब पार्टी की निगाहें 2022 में यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। यूपी में सियासी जमीन और गठबंधन की तलाश में असदुद्दीन ओवैसी आज लखनऊ पहुंचे और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात की।

ओवैसी ने कहा कि राजनीति में जब दो लोग एक साथ मुलाकात करते हैं तो इसका मतलब आप समझते ही हैं। उन्होंने कहा कि हम ओमप्रकाश राजभर के साथ हैं। बिहार की कामयाबी में राजभर का बड़ा योगदान रहा है और यही वजह है कि हमें कामयाबी मिली। ममता बनर्जी पर टिप्पणी करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने बंगाल की सीएम को एक सलाह दी। उन्होंने कहा कि वह बिहार के लोगों की तौहीन न करें और यह भी देखें कि उनकी पार्टी के लोग पार्टी छोडक़र जा रहे हैं। उन्हें इसके बारे में सोचना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि हम बिहार में 20 सीट पर लड़े और जीते। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निकाय चुनाव में प्रचार के दौरान हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने की बात कही थी। इस पर ओवैसी ने कहा हम उत्तर प्रदेश में किसी भी चीज का नाम नहीं बदलेंगे। योगी आदित्यनाथ और अमित शाह जिस वार्ड में भी प्रचार करने गए वहां पर भाजपा हारी है।


डीजी स्वास्थ्य ने उठाई जांच की मांग, शासन को लिखा पत्र

एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर की शिकायत का लिया संज्ञान

 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी ने यूपी मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन द्वारा पांच लाख पीपीई किट के टेंडर मामले में एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा दी गयी शिकायत की जांच के लिए शासन को पत्र भेजा है।

नूतन ने अपनी शिकायत में कहा था कि यह टेंडर उस फर्म को दिया था जिसके द्वारा दिया गया बिड दूसरे न्यूनतम बिड से मात्र 20 पैसे कम था। कारपोरेशन ने 21 अप्रैल 2020 को टेंडर विज्ञापित किया जिसमें 27 अप्रैल को अंतिम तिथि निर्धारित की गयी। कारपोरेशन ने टेंडर प्रक्रिया में तीन संशोधन करते हुए अंतिम तिथि 30 अप्रैल कर दिया। एक मई 2020 को 40 फर्म द्वारा अपने बिड भेजे गए थे, जिसमें मात्र तीन फर्म के बिड सही पाए गए। कारपोरेशन ने फर्म को बिड को सुधारने का समय दिया और उसके द्वारा अंत में मेसर्स स्टेरीमेड मेडिकल डिवाइस प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर दिया गया जिनके द्वारा 884.80 तथा 12 फीसदी टैक्स अर्थात 990.98 प्रति ईकाई बिड दिया गया। यह बिड दूसरे नंबर के मेसर्स श्रीनिधि इम्पेक्स द्वारा 885 तथा 12 फीसदी टैक्स अर्थात 991.20 प्रति ईकाई से मात्र 20 पैसे कम था। नूतन ने मात्र 20 पैसे के अंतर से कारपोरेशन द्वारा अंदरूनी सूचना देकर गलत ढंग से टेंडर देने की सम्भावना बताते हुए जांच की मांग की थी। 

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