जश्न में डूबे थे लोग और तंत्र के नाकारापन के कारण ठंड में सड़कों पर सो रहे थे गरीब
- राजधानी में अलाव जलाने और रैन बसेरे की व्यवस्था करने के दावों की खुली पोल
- कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर गरीब और बेसहारा
- कहीं प्लास्टिक की पन्नियों का लिया सहारा, कहीं सड़कों को बना लिया बिस्तर
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। एक ओर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लोग नए साल के जश्न में डूबे रहे। वहीं दूसरी ओर सरकारी तंत्र के नाकारापन के कारण गरीबों को कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे ठिठुरते हुए रात बितानी पड़ी। चारबाग से लेकर कैसरबाग तक की सड़कें इन गरीबों के लिए बिस्तर बनी रहीं। इसने सरकार के रैन बसेरे और अलाव जलाने की व्यवस्था करने के दावों की पोल खोल दी। राजधानी में गरीबों के लिए नया साल केवल तारीख बदलने जैसा रहा। उनकी दिक्कतों में कोई कमी नहीं आई। वे कड़ाके की ठंड में भी ठिठुरते रहे। सड़कों को बिस्तर बनाकर नए साल के जश्न की हकीकत को परखते और समझते रहे। जब उनके हालात का जायजा लिया गया तो गरीबों की मदद करने की बात करने वाली सरकार के दावों की जमीनी हकीकत खुलकर सामने आ गई। नए साल के आगमन से बेखबर ये गरीब ठंड से बचने की जद्दोजहद करते दिखे। वे चार बाग स्टेशन, आलमबाग, हजरतगंज, केजीएमयू और कैसरबाग समेत तमाम इलाकों की सड़कों और फुटपाथ पर सोते दिखे। बेबस और लाचार। और जश्न की खुमारी में डूबे अफसरों को इनकी सुध नहीं आई। 4पीएम के फोटो जर्नलिस्ट सुमित कुमार ने जब इनकी हालत देखी तो उसे अपने कैमरे में कैद कर लिया।