जानिए क्या है क्रिप्टो करेंसी क्यों मचा है घमासान

नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों में अक्सर लोगों ने एक नाम जरूर सुना है वो नाम है क्रिप्टो करेंसी का… आप चाहे अखबार पढ़ते हो समाचार सुनते हो या फिर न्यूज चैनल देखते हों आप ने कभी न कभी इस के बारे में जरूर सुना होगा। आखिर क्या है यह क्रिप्टो करेंसी यह सवाल हम सबके दिमाग में आता है। इंटरनेट पर लाखो पेज क्रिप्टो करेंसी की जानकारी से भरे पड़े है इसके बाद भी लोगों के दिमाग में लगातार सवाल घुमड़ते रहते हैं कि आखिर यह बला क्या है। क्रिप्टो करेंसी के बारे में जानने पहले हमें यह समझना जरूरी होगा कि आखिर करेंसी किसे कहते हैं जब तक यह बात हमारे सामने साफ नही होती है तब तक हम क्रिप्टो करेंसी के बारे मेें ठीक ढंग से समझ नहीं सकते हैं।
दुनिया के किसी भी व्यक्ति, संस्था तथा देश को अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूरा के लिए और आपसी लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए एक करेंसी की जरूरत होती है ताकि उसका उपयोग वह सुचारू रूप से कर सके। इसी करेंसी को हिंदी में मुद्रा कहा जाता है। इसलिए, प्रत्येक देश की अपनी अलग-अलग करेंसी भी होती है, जैसे-भारत में रुपया, अमेरिका में डॉलर आदि। दरअसल, यह भौतिक करेंसी होती हैं जिसे आप देख सकते हैं, छू सकते हैं और नियमानुसार किसी भी स्थान या देश में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन क्रिप्टो करेंसी का कान्सेप्ट इन मुद्राओं से पूरी तरह से जुदा है। यह एक डिजिटल करेंसी है। इसे आप न तो देख सकते हैं, न छू सकते हैं, क्योंकि भौतिक रूप में क्रिप्टो करेंसी का मुद्रण नहीं किया जाता। इसलिए इसे आभासी मुद्रा कहा जाता है।
क्रिप्टो करेंसी है क्या बला?
क्रिप्टो करेंसी पूर्ण रूप से एक अभासी मुद्रा है। इस किसी भी एक देश संस्था या सरकार का काबू नहीं है। क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी मुद्रा है जो कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी होती है। यह एक स्वतंत्र मुद्रा है जिसका कोई मालिक नहीं होता। यह करेंसी किसी भी एक अथॉरिटी के काबू में भी नहीं होती। अमूमन रुपया, डॉलर, यूरो या अन्य मुद्राओं की तरह ही इस मुद्रा का संचालन किसी राज्य, देश, संस्था या सरकार द्वारा नहीं किया जाता। यह एक डिजिटल करेंसी होती है जिसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर इसका प्रयोग किसी सामान की खरीदारी या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जा सकता है। बताते चले कि सर्वप्रथम क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत 2009 में हुई थी जो बिटकॉइन थी। इसको जापान के सतोषी नाकमोतो नाम के एक इंजीनियर ने बनाया था। प्रार भ में यह उतनी प्रचलित नहीं थी, किन्तु धीरे-धीरे इसके रेट आसमान छूने लगे, जिससे यह सफल हो गई। देखा जाए तो 2009 से लेकर वर्तमान समय तक लगभग 1000 प्रकार की क्रिप्टो करेंसी बाजार में मौजूद हैं, जो पियर टू पियर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के रूप में कार्य करती है। बिटकॉइन के अलावा भी अन्य क्रिप्टो करेंसी बाजार में उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग आजकल अधिक हो रहा है, जैसे- रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कोइन, वॉइस कॉइन और मोनरो।
जिस तेजी से पिछले कुछ सालों में क्रिप्टो करेंसी के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ा है उसने कई बड़े देशों के साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था के रणनीतिकारों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। भारत इस करेंसी के खिलाफ पु ता रणनीति बनाकर काम कर रहा है। यहां तक कि भारतीय रिजर्व बैंक इस करेंसी के अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिरता पर संभावित प्रभावों को लेकर चिंतित है और उसने सरकार को इससे अवगत करा दिया है। जानकारों का कहना है कि डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है। रिजर्व बैंक ने 2018 में बैंकों और विनियमन वाली इकाइयों पर क्रिप्टो लेन-देन को समर्थन देने से रोक दिया था। डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए किए जाने के मद्देनजर केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया था।
वहीं दूसरी ओर कुछ जानकारों का यह भी मत है कि रिजर्व बैंक इस खेल में है और जल्द अपनी डिजिटल मुद्रा शुरू करने की तैयारी कर रहा है। केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा पर काम चल रहा है। इसके प्रौद्योगिकी और प्रक्रिया पक्ष पर काम हो रहा है। यदि ऐसा होता है, तो रिजर्व बैंक चीन और अन्य केंद्रीय बैंकों के समकक्ष आ जाएगा। चीन में इलेक्ट्रॉनिक युआन प्रचलन में है। हालांकि डिजिटल मुद्रा पेश करने की कोई तिथि नहीं अभी तक नहीं बताई गई हैं।
फिलहाल सरकार ने जो रणनीति अपना रखी है उससे साफ है कि सरकारी मंशा देश में क्रिप्टो करेंसी पर लगाम कसने की है। सरकार ने इसके लिए पूरी रूपरेखा तैयार कर ली है और काम करना भी शुरू कर दिया गया है। सरकार की ओर क्रिप्टो करेंसी को किसी भी प्रकार की मान्यता नहीं दी गई है। साथ ही किप्टो करेंसी का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ कानूनी विकल्पों का उपयोग भी हो रहा है।

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