तालिबान को मिला अमरुल्ला सालेह का खजाना

नई दिल्ली। अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी के एक बड़े हिस्से पर कब्जा करने का दावा करने वाले तालिबान के हाथ में एक बड़ा खजाना मिल गया है। तालिबान की ओर से दावा किया गया है कि यह खजाना किसी और का नहीं बल्कि अमरुल्ला सालेह का है। सालेह के घर से तालिबान को यह खजाना एक बड़ी संपत्ति के रूप में मिला था। बताया जा रहा है कि सालेह के घर से तालिबान को 65 लाख डॉलर (करीब 48 करोड़ रुपये) मिले हैं। कहा जाता है कि इस खजाने में तालिबान के हाथ सोने की ईंटें पड़ी हैं। आपको बता दें कि अमरुल्ला सालेह खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति होने का दावा करते हैं।
दरअसल, तालिबान की ओर से एक वीडियो जारी किया गया है। इस वीडियो में तालिबान के कुछ लड़ाके एक बैग में डॉलर के बंडल भरते नजर आ रहे हैं. इसके साथ ही उनके पास रखी सोने की ईंटें भी दिखाई दे रही हैं। माना जा रहा है कि अगर तालिबान के दावे में जरा सी भी सच्चाई है तो यह विद्रोही आंदोलन को बड़ा झटका दे सकता है. गौरतलब है कि इससे पहले तालिबान अमरुल्ला सालेह के घर पहुंच चुका था। उन्होंने सालेह के घर पर भी कब्जा कर लिया था।
वहीं, नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने पूर्व सरकार के शीघ्र पतन के लिए अफगानिस्तान के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि पूर्व सरकार के पतन के लिए अमेरिका और नाटो जिम्मेदार नहीं थे। उन्होंने कहा, अफगान सुरक्षा बलों के कुछ हिस्सों ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी। लेकिन वे देश को सुरक्षित करने में असमर्थ रहे क्योंकि अंतत:, अफगान राजनीतिक नेतृत्व तालिबान का सामना करने और अफगानों को शांतिपूर्ण समाधान हासिल करने में विफल रहा। थे। हम अफगान नेतृत्व की इस विफलता के कारण आज इस त्रासदी का सामना कर रहे हैं। स्टोल्टेनबर्ग के अनुसार, यूएस-नाटो सैनिकों की वापसी पूर्व नियोजित थी, और इससे अफगान राज्य का पतन नहीं हुआ।

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