देश में गहराता जा है ब्लैक फंगस का खतरा

नई दिल्ली। कोरोना का दंश झेल रहे लोगों के लिए ब्लैक फंगस काल बनकर आ गया है। एक ओर जब देश में कोरोना की रफ्तार थमना शुरू हुई तो वहीं दूसरी ओर ब्लैक फंगस की रफ्तार तेज होती जा रही है। ब्लैक फंगस के इंतजामों को लेेकर कोर्ट तक को इस मामले में दखल देना पड़ रहा है। देश में घातक कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है । इस बीच, ब्लैक फंगस के मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि भी दर्ज की जा रही है । कई राज्यों ने इसको महामारी भी घोषित किया है। राजधानी दिल्ली में इस समय काले फंगस के सात सैकडा मामले हैं। इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में भी मामले बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही मौतें भी दर्ज की जा रही हैं।
राजधानी दिल्ली में काले फंगस के 700 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं, जो अब तक सबसे ज्यादा हैं। वर्तमान में एम्स में 100 से अधिक मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा जीटीबी अस्पताल में 110, सर गंगा राम में 90, लोक नायक में 82, मैक्स साकेत में 47 और सेंट स्टीफंस में 25 मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
पंजाब में काले फंगस की वजह से अब तक 43 लोगों की जान जा चुकी है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि प्रदेश में काले फंगस के कुल 300 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 23 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 234 का अभी भी इलाज चल रहा है। प्रदेश में काले फंगस के 300 मामलों में से 259 मरीज पंजाब के हैं जबकि 41 अन्य राज्यों के हैं।
हरियाणा में काले फंगस के कारण अब तक 75 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में 734 से अधिक लोगों का इलाज चल रहा है। सरकार ने कहा कि अब तक हरियाणा में काले फंगस के कुल 927 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से गुरुग्राम जिले में सबसे ज्यादा 242, रोहतक में 214 और हिसार में 211 मामले हैं।
उत्तराखंड में काले फंगस के सात और मामले सामने आए, जबकि सात मरीजों की मौत हो गई। इस बीमारी से पीडि़त अब तक 244 मरीज मिल चुके हैं, जिनमें से 27 की मौत हो चुकी है।
हिमाचल प्रदेश में बुधवार को कोरोना के 29 मरीजों की मौत हो गई, जिनमें से चार मरीज काले फंगस इंफेक्शन से भी ग्रस्ति थे। अधिकारी ने बताया कि कांगड़ा से दो-दो मरीज जिन्होंने अपनी जान गंवाई और सोलन व हमीरपुर के एक-एक मरीज काले फंगस से संक्रमित हुए।
एमपी के इंदौर में सरकारी महाराजा यशवंतराव चिकिट्सालय (एमवायएच) में पिछले 20 दिनों के भीतर इस बीमारी के 32 मरीजों की मौत हो चुकी है। एमवायएच प्रदेश का सबसे व्यस्त अस्पताल है, जहां काले फंगस का इलाज होता है, जहां इंदौर के अलावा अन्य जिलों के मरीज भी भर्ती होते हैं। अस्पताल में कुल 439 मरीजों को भर्ती किया गया है। इनमें से 84 लोगों को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि 32 मरीजों की मौत हो चुकी है।
सरकार ने एम्फोटेरिन-बी इंजेक्शन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसका इस्तेमाल म्यूकोर्मिकोसिस या काले फंगस संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है । विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक इंजेक्शन के निर्यात को प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है। इसका मतलब यह है कि एक निर्यातक को अपनी निर्यात खेप के लिए निदेशालय से विशेष अनुमति या लाइसेंस लेने की जरूरत है ।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि वह केंद्र को भारी मन के साथ निर्देश दे रहा है कि वह युवा पीढ़ी के रोगियों को प्राथमिकता के साथ काले कवक के उपचार में उपयोगी लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी के वितरण के लिए एक नीति तैयार करे। दवा देते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि जिन लोगों के जीवित रहने और छोटे आयु वर्ग के बेहतर मौके हैं, उन्हें उन बुजुर्गों के ऊपर प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिन्होंने अपना जीवन जिया है । इससे सभी को तो नहीं लेकिन कुछ जिंदगियों को बचाया जा सकता है।
बताते चलें कि ब्लैक फंगस ने देश के 26 राज्यों में दहशत दी है। केंद्र सरकार ने काले फंगस वाले मरीजों के इलाज के लिए एम्फोटेरिन-बी इंजेक्शन की 30,100 शीशियां आवंटित की हैं। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने बताया कि सोमवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कुल 30,100 एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन की खेप दी गई है। देश में करीब 20 हजार मरीज उपचाराधीन हैं, जिनके लिए हर दिन 30 हजार शीशियों की जरूरत होती है। यह इंजेक्शन दिन में दो बार दिया जाता है और ज्यादातर मामलों में करीब छह सप्ताह तक दिया जाना होता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अंडमान निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, दादरा नगर हवेली, लद्दाख, लक्षद्वीप, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम और नगालैंड को छोड?र अन्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अस्पतालों में फंगस के मरीज भर्ती हैं। देश में इस समय एक लाख इंजेक्शन की उत्पादन क्षमता है।स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा फंगल के मरीजों का इलाज चल रहा है। यही वजह है कि यहां सबसे अधिक दवा आवंटित की गई है।इसके अलावा कई मरीजों का इलाज भी केंद्र सरकार के अस्पतालों में किया जा रहा है। यही वजह है कि सरकार ने इन अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए 1260 शीशियां आवंटित की हैं।
डॉक्टर भी समय पर दवा और इंजेक्शन न होने के कारण काले फंगस से पीडि़तों का इलाज करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। बंगलौर के मणिपाल अस्पताल के डॉ रघुरत हेगड़े ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि वह काले फंगस से पीडि़त मरीजों की जान बचाने के लिए ऑपरेशन कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद वे जान नहीं बचा पा रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि वह अब तक कई मरीजों की आंखें निकाल चुके हैं।
डॉ रघुराजन का कहना है कि कुछ मरीजों में फंगस पहले ही काफी फैल चुका है। इसका कारण यह है कि ऐसे मरीजों की जिंदगी मुश्किल हो जाती है। कुछ मरीज ऐसे भी हैं जो शुरुआती लक्षणों के बाद अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन समय पर इंजेक्शन व अन्य दवाएं नहीं मिलने के कारण उनकी जिंदगी में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि फंगस के कारण देश में मृत्यु दर लगातार बढ़ रही है।काले फंगस से पीडि़त मरीजों में संक्रमण उनके मस्तिष्क तक पहुंच रहा है। मध्य प्रदेश के इंदौर के महाराजा यशवंत राव अस्पताल में भर्ती काले फंगस से पीडि़त 15 फीसद मरीजों को ब्रेन इंफेक्शन हो गया है। एमवायएच के न्यूरोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने सोमवार को बताया कि अस्पताल में भर्ती 368 काले फंगस मरीजों में से 55 को ब्रेन इंफेक्शन हुआ है।
सीटी, एमआरआई स्कैन के जरिए इसकी पुष्टि हुई। ज्यादातर मरीजों में छोटा-सा संक्रमण था, जबकि 4 में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए ब्रेन सर्जरी की गई थी। उन्होंने बताया कि अस्पताल में भर्ती होने से पहले ही मरीजों में साइनस संक्रमण उनके दिमाग तक पहुंच गया था।
कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार अब तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 23 करोड़ से अधिक टीके उपलब्ध करा चुकी है। मंत्रालय के मुताबिक, इनमें से 21,22,38,652 डोज का इस्तेमाल किया गया। सरकार ने साफ किया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फिलहाल 1,75,48,648 डोज हैं। अगले तीन दिनों के भीतर राज्यों को 2,73,970 खुराकें उपलब्ध होंगी ।

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