नगर निकायों में समाप्त किये जाएंगे गैरजरूरी पद, समिति गठित

कई पदों पर तैनात नहीं है एक भी कर्मचारी
कई वर्षों से नहीं हो रही स्थायी भर्ती

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। जल्द ही नगर निकायों में कई जरूरी पद समाप्त किए जाएंगे। इन पदों को खत्म करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। यह समिति नगर निकायों में गैरजरूरी पदों को समाप्त करते हुए जरूरत के मुताबिक पद सृजित करने के संबंध में सुझाव देगी।
नगर निकायों में बहुत से ऐसे पद हैं जिनकी जरूरत अब समाप्त हो चुकी है। इन पदों को 1970 के दशक में सृजित किया गया था और इन पदों पर तैनात अधिकांश कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नगर निकायों में भिश्ती समेत बहुत से पद आज भी विद्यमान हंै, जिन पर एक भी कर्मचारी तैनात नहीं है। वहीं दूसरी ओर पिछले कई सालों से स्थाई भर्ती न किए जाने की वजह से नगर निकायों के स्तर पर विभिन्न संवर्ग के पदों पर संविदा, आउटसोर्सिंग व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की नियुक्ति करके काम चलाया जा रहा है।
दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले इन कर्मचारियों को अब तक नियमिति नहीं किया जा रहा है, जिसके खिलाफ कर्मचारी संगठन लगातार सरकार पर दबाव भी बना रहे हैं। इसके मद्दनेजर सरकार ने तय किया है कि सबसे नगर निकायों में अनावश्यक पदों को समाप्त कर नये सिरे पदों को सृजित करने के बाद ही संविदा, आउटसोर्सिंग और दैनिक वेतन भोगी को नियमित करने पर विचार किया जाए। इसके लिए सरकार ने प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव अतुल गुप्ता की अध्यक्षता में एक मानक समिति का गठन किया है।

संपत्तियों की हेराफेरी: अब प्लॉटों के खरीदारों पर जांच कमेटी की नजर

एसीपी विवेक रंजन कर रहे एलडीए में हुई गड़बडिय़ों की जांच
बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े की जताई जा रही है आशंका

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। एलडीए की पचास संपत्तियों में हेराफेरी के मामले में जांच कमेटी अब प्लाटों के सभी खरीदारों और उन्हें बेचने वालों तक पहुंचने की तैयारी में है। पूरे तथ्यों के साथ फाइनल रिपोर्ट सौंपी जाएगी। फिलहाल, कंप्यूटर सेल के इंचार्ज की आईडी और पासवर्ड का इस्तेमाल कर हुए फजीवाड़े में विभाग के एक आला अफसर शक के दायरे में हैं। बताया जा रहा है कि टीम गायब हुई संपत्तियों के खरीदारों से संपर्क कर सकती है।
पूरे मामले की जांच एसीपी विवेक रंजन राय कर रहे हैं। उनके मुताबिक कंप्यूटर में डेटा एंट्री करने से लेकर उसे अपडेट करने या डिलीट करने से पहले आपरेटर के मोबाइल पर ओटीपी आता है। अपनी आईडी और पासवर्ड के अलावा यह ओटीपी डाले बिना कोई भी डेटा एंट्री असंभव है। अगर यह मान लिया जाए कि आईडी और पासवर्ड चोरी हो गया तो फर्जीवाड़ा करने वाले के पास इंचार्ज के मोबाइल पर गया कोड कैसे पहुंच गया? इस बात की भी आशंका जाहिर की जा रही है कि कंप्यूटर सेल में इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर के जानकार ने या तो यह कोड इंचार्ज के मोबाइल पर जाने ही नहीं दिया या फिर ऐसी तकनीक अपनायी जिससे मोबाइल पर गया कोड उसे भी मिल गया। अभी तक की पूछताछ के बाद जांच कमेटी इस पूरे मामले में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका जता रही है। जांच अधिकारी के मुताबिक जितनी फाइलों में गड़बड़ी हुई है, उन सभी की फाइलें गायब हैं। यही नहीं, रजिस्टर और अन्य जगहों से भी इन प्लॉटों के रिकॉर्ड नहीं मिल रहे हैं।

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