पर्यटन पर महामारी का ग्रहण और अर्थव्यवस्था

sanjay sharma

सवाल यह है कि पर्यटन उद्योग के ठप होने से भारत की अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ेगा? क्या देश की जीडीपी पर इसका असर पड़ेगा? क्या भविष्य में पर्यटन उद्योग अपनी रफ्तार पाने में सफल हो सकेगा? क्या कोरोना काल की अनिश्चितता के बीच उम्मीद की कोई किरण दिख रही है? आखिर पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का भविष्य क्या है?

चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। दुनिया भर में अब तक करीब ढाई करोड़ लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं जबकि आठ लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर इसने भारत समेत पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को बेपटरी कर दिया है। सबसे ज्यादा असर पर्यटन उद्योग पर पड़ा है। इससे जुड़े लोगों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ गई है। सवाल यह है कि पर्यटन उद्योग के ठप होने से भारत की अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ेगा? क्या देश की जीडीपी पर इसका असर पड़ेगा? क्या भविष्य में पर्यटन उद्योग अपनी रफ्तार पाने में सफल हो सकेगा? क्या कोरोना काल की अनिश्चितता के बीच उम्मीद की कोई किरण दिख रही है? आखिर पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का भविष्य क्या है? क्या सरकार इसके लिए कोई कारगर रणनीति बनाने की जरूरत महसूस नहीं कर रही है?
कोरोना संक्रमण के कारण भारत का पर्यटन उद्योग पूरी तरह ठप पड़ा है। भारत की जीडीपी में पर्यटन उद्योग का योगदान करीब 6.8 फीसदी है। देश में इस उद्योग से करीब नौ करोड़ लोग जुड़े हैं। यह कुल रोजगार का करीब 12.75 फीसदी है। इसमें होटलकर्मी, ट्रूर ऑपरेटर, ट्रेवल एजेंट, ड्राइवर, गाइड, छोटे व्यापारी समेत कई अन्य शामिल हैं। इसके साथ यह कृषि, ट्रांसपोर्ट, हैंडलूम समेत कई अन्य क्षेत्रों से भी परोक्ष रूप से जुड़ा है। कोरोना काल में इस उद्योग के ठप पडऩे का असर इन सभी पर पड़ रहा है। पिछले पांच माह से इस उद्योग से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी खत्म हो गई है। नौ करोड़ लोग एकदम से बेरोजगार हो गए हैं। पहाड़ी राज्यों मसलन, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था बहुत कुछ पर्यटन उद्योग पर निर्भर करती है लेकिन इसके ठप पड़ जाने के कारण इन राज्यों की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ा है। वहीं यहां के निवासियों के सामने रोजी-रोटी का खतरा उत्पन्न हो गया है। हालत यह है कि होटल संचालकों के सामने अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़ चुके हैं। कई संचालकों ने होटलों को बंद कर दिया है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए अभी इस उद्योग के संचालन की दूर-दूर तक उम्मीद नहीं दिख रही है। यदि वैक्सीन आ भी जाए तो पर्यटन उद्योगों को रफ्तार पकडऩे में कम से कम पांच साल लगेंगे। जाहिर है, इससे न केवल नौ करोड़ के बेरोजगार होने का खतरा उत्पन्न हो गया है बल्कि सरकार की जीडीपी में कमी आने की आशंका भी है। ऐसी स्थिति में सरकार को इस उद्योग के संचालन के बेहतर विकल्प और रणनीति पर विचार करना होगा अन्यथा स्थितियां विकट हो जाएंगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button