पुराने नियम-कानून को खत्म करने की कवायद में जुटी यूपी सरकार

सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह काम करने का जिम्मा औद्योगिक विकास विभाग को सौंपा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी सरकार बरसों पुराने कानून को खत्म करने जा रही है। इसमें 100 साल पुराने नियम कानून शामिल हैं। इससे कारोबार करने वाले अपने उद्यमी अपना उद्योग जल्द लगा सकेंगे और उन्हें नियमों के जंजाल से मुक्ति मिलेगी। आम जनता को भी नियम-कानून कम होने से राहत मिलेगी। इसके लिए संबंधित विभाग अपने यहां इस तरह के मामलों की समीक्षा कर खुद ही बता रहें कि फलां कानून को रखा जाए या खत्म किया जाए या इन्हें दूसरे संबंधित अधिनियम में शामिल कर लिया जाए। यह सारी कवायद केंद्र की पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के निर्देश पर की जा रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह काम करने का जिम्मा औद्योगिक विकास विभाग को दिया है। एक कानून है…‘यूपी रूल्स रेगुलेटिंग द ट्रांसपोर्ट टिंबर इन कुमाऊं सिविल डिवीजन -1920’…इस कानून को बने सौ साल हो गए। 20 साल पहले तो कुमाऊं क्षेत्र समेत पूरा उत्तराखंड अलग राज्य बन गया। लेकिन वन विभाग का यह नियम अभी यूपी में बरकरार है। खाद्य एवं रसद विभाग में भी कई इसी तरह के एक्ट व नियमावली हैं। कई तो एक जैसे हैं। मसलन, यूपी इशेंसियल कॉमोडिटीज से जुड़े चार नियम हैं। इनको एक किया जा सकता है। यूपी शिड्यूल्ड कॉमोडिटीज से जुड़े चार आदेश हैं। इनको भी विलय किया जा सकता है। माना जा रहा है कि करीब 50 से ज्यादा कानून खत्म हो जाएंगे।

इन कानूनों की उपयोगिता की हो रही जांच परख

अवस्थापना व औद्योगिक विकास के आयुक्त आलोक टंडन का इस मामले में कहना है कि केंद्र सरकार का निर्देश है कि अनुपयोगी अधिनियम, नियम कानून की समीक्षा कर उनको समाप्त किया जाए। नीति आयोग ने इस संबंध में गाइडलाइंस जारी की है। वे कहते है कि इंडियन फारेस्ट यूपी रूल 1964, यूपी कलेक्शन एंड डिस्पोजल आफ ड्रिफ्ट एंड स्टैंडर्ड वुड एण्ड टिंबर रूल्स, यूपी कंट्रोल आफ सप्लाई डिस्ट्रब्यूशन एंड मूवमेंट आफ फ्रूट प्लांटस आर्डर-1975, यूपी फारेस्ट टिंबर एंड ट्रांजिट आन यमुना, टन व पबर नदी रूल्स 1963, यूपी प्रोडयूस कंट्रोल ,यूपी प्रोविंसेस प्राइवेट फारेस्ट आदि एक्ट है, जिनकी जांच-पड़ताल हो रही है।

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