मोदी मंत्रिमंडल में बढ़ा यूपी का दबदबा

  •  2022 चुनाव के चलते पिछड़े और दलितों को मिली तवज्जों

लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की रणनीति का हिस्सा बनाते हुए मोदी मंत्रिमंडल में सात नए चेहरे शामिल किए गए हैं। इन नए राज्य मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री मोदी सहित कुल 15 मंत्रियों की भागीदारी से केन्द्र सरकार में उत्तर प्रदेश का दबदबा पहली बार इतना बढ़ा है। पिछड़े और दलितों को सिर-आंखों पर बिठाने के साथ क्षेत्रीय संतुलन पर सधा नजर आ रहा है। कल जब नए मंत्रियों की शपथ का सिलसिला शुरू हुआ तो संदेश मिल गया कि भगवा खेमे के रणनीतिकारों ने दिल्ली के दरबार में यूपी चुनाव को देखते हुए भी बिसात बिछाई है। मोहरों का चयन पूरी तरह नाप-तौल कर किया गया है। 2014 के लोकसभा चुनाव से ही भाजपा के पाले में आ खड़े हुए यूपी में सर्वाधिक आबादी वाले पिछड़ा और अन्य पिछड़ा वर्ग को तीन नए मंत्री बनाकर साथ और विकास का संदेश दिया है। यह दांव पिछड़ों को अपने पाले में खींचने का प्रयास कर रही समाजवादी पार्टी के दांव को बेअसर करने वाला माना जा रहा है। इसी तरह बसपा के माने जाते रहे लगभग 21-22 फीसदी अनुसूचित जाति के वोट में भी भाजपा अच्छी सेंध लगा चुकी है। इस वर्ग पर मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए दलित वर्ग से भी तीन मंत्री शामिल किए गए हैं। टीम मोदी में उत्तर प्रदेश कोटे के मंत्रियों में पांच सवर्णों की भागीदारी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, डा. महेंद्र नाथ पांडेय, जनरल वीके सिंह, स्मृति ईरानी और हरदीप पुरी पहले से है। अब एक और ब्राह्मण को शामिल कर यूपी में विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे ब्राह्मणों से भेदभाव के मुद्दे को भी कुंद करने का प्रयास किया गया है। जातीय संतुलन के साथ क्षेत्रीय संतुलन का भी पूरा ध्यान इस विस्तार में रखा गया है। पिछड़ा वर्ग में देखें तो भाजपा के सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल मीरजापुर से सांसद हैं। मोदी सरकार-1 में स्वास्थ्य राज्यमंत्री रहीं अनुप्रिया का पूर्वांचल के कुछ जिलों में कुर्मी समाज पर अच्छा प्रभाव है।

जातिगत समीकरण साधने की कोशिश

मोदी के मंत्रिमंडल में पूर्वांचल के ही महराजगंज से पंकज चौधरी को पहली बार केंद्रीय मंत्रीय बनाया गया है। वह भी कुर्मी नेता हैं। छठवीं बार सांसद चुने गए हैं तो क्षेत्र में प्रभाव और पकड़ लाजिमी है। इसी तरह संघ की पृष्ठभूमि वाले राज्यसभा सदस्य बीएल वर्मा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदायूं से आते हैं। लोधी-राजपूत समाज में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। अलीगढ़, एटा, फर्रुखाबाद सहित कुछ जिलों इस समाज का अच्छा-खासा वोट है। जिस पश्चिमी उत्तर प्रदेश को विपक्ष ने कृषि कानून विरोधी आंदोलन से गर्माने की कोशिश की, वहां का प्रतिनिधित्व बदायूं की तरह आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल को दलित कोटे से मंत्री बनाकर बढ़ाया है। सपा और बसपा में रह चुके बघेल भाजपा में आने के बाद योगी सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। पाल-बघेल समाज के प्रभावशाली नेताओं में शामिल हैं।

सांसद कौशल किशोर भी बने राज्यमंत्री

अवध क्षेत्र के लखनऊ से सांसद राजनाथ सिंह पहले ही केंद्रीय कैबिनेट में हैं। अब इसी क्षेत्र की मोहनलालगंज सीट से सांसद कौशल किशोर को दलित कोटे से राज्यमंत्री बनाया है। यह भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में दलित वर्ग से आने वाले जालौन सांसद भानुप्रताप सिंह वर्मा को टीम मोदी में जगह मिली है। उनके पास लंबा राजनीतिक अनुभव है। 1991 में पहली बार विधायक बने वर्मा पांचवीं बार सांसद हैं। वहीं, खीरी सांसद अजय मिश्रा को मंत्री बनाकर ब्राह्मण को भी साथ और विकास का संदेश दिया गया है।

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