यूपी में कोविड राहत टैरिफ देने के नाम पर भाग रही बिजली कंपनियां

  •  विद्युत नियामक आयोग को अब तक नहीं दिया जवाब

लखनऊ। कोरोना संक्रमण काल में बिजली कंपनियां कोविड राहत टैरिफ लागू करने के नाम पर आनाककानी कर रही हैं। उपभोक्ता परिषद ने इसको लेकर विद्युत नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल किया था। विद्युत नियामक आयोग ने 21 मई को सात दिन में पावर कार्पोरेशन से जवाब और मत मांगा था। रविवार तक 15 दिन होने के बाद भी बिजली कंपनियों ने जवाब नहीं दिया है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का तर्क है दिया है कि प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 19537 करो? रुपये निकल रहा है। इसके आधार पर उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए कोविड टैरिफ लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि सरकार कोविड संकट देखते हुए बिजली कंपनियों को निर्देश दे कि कोविड राहत टैरिफ प्रस्ताव का समर्थन कर प्रदेश की जनता को राहत दे। उन्होंने कहा है कि यूपी में बिजली दरें अधिक होने के कारण प्रति व्यक्ति बिजली की खपत भी कम है। वर्ष 2017-18 में यूपी में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत सालाना 628 यूनिट थी, यह वर्ष 2018-19 में घटकर 606 हो गई। वर्ष 2019-20 में यह खपत प्रति व्यक्ति सालाना 629 यूनिट तक पहुंची तो जरूर, लेकिन भारत के अन्य राज्यों में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 1208 यूनिट से काफी कम है। बिजली दरें कम होने से यूपी में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत सालाना 1000 यूनिट पहुंच सकती है।

यूपी के 3 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को राहत

उत्तर प्रदेश के 3 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को सरकार ने राहत दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में बिजली की दरें बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। मुख्यमंत्री ने टीम-9 की बैठक में कहा कि किसी भी दशा में बिजली दरों में किसी भी तरह की कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। कोरोना काल में सरकार का प्रयास होगा कि जनता को ज्यादा से ज्यादा सुविधा और राहत दी जाए। बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं पर 49 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया दिखाकर 12 फीसदी तक बिजली दरों को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसका विरोध करते हुए उल्टे दलील दी थी कि उपभोक्ताओं को ही इन कंपनियों पर करीब 19 हजार करोड़ रुपये का बकाया निकल रहा है। ऐसे में परिषद ने 3 से 8 फीसदी तक बिजली की दरों को तीन साल के लिए कम करने की मांग की थी। 

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