राजभर फिर बदलेंगे पाला, योगी से मुलाकात पर सियासी बाजार गर्म

  • भाजपा बोली सबको मिलने का अधिकार
  • सपा ने कहा-आजादी है कोई कहीं भी जाए

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी में एकबार फिर ओम प्रकाश राजभर ने सियासत में गोल-गोल घूमना शुरू कर दिया है। हाल ही में वह सीएम योगी से मिले थे। उसके बाद उनका भाजपा के साथ गठजोड़ करने की बातें गलियारों में सुनाई देने लगी है। हालांकि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि नेता एक दूसरे से बातचीत करते रहते है इसमें कोई नई बात नहीं हैं। उधर सपा ने भी प्रतिक्रि या दी है। उसने कहा है कि सबको इधर-उधर जाने की आजादी है।
2022 के विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा से रिश्ता तोडऩे वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से खड़े दिखाई देंगे। राजभर के बेटे अरूण राजभर की शादी के मौके पर भाजपा नेताओं का जुटान और उसके 48 घंटे के भीतर ही आधी रात को मुख्यमंत्री से बंद कमरे में राजभर की मुलाकात ने भाजपा से गठबंधन की पटकथा को अंतिम रूप से दिया है। ओम प्रकाश राजभर ने आज सीएम योगी की जी भर कर तारीफ की। उन्होंने योगी को साहसी नेता बताया, तो इशारों में अखिलेश यादव और मायावती को अंधविश्वासी करार दे डाला. उन्होंने राजनीति के अपराधीकरण के लिए सपा को जिम्मेदार ठहराते हुए अब्बास अंसारी पर बड़ा बयान दे डाला। राजभर ने कहा कि मुख्तार अंसारी के बेेटे अब्बास को मैंने अखिलेश यादव के कहने पर टिकट दिया था।

लखनऊ में सीएम से मिलेंगे अरुण राजभर

वाराणसी दौरे पर गए मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के बीच हुई पौन घंटे की मुलाकात ने जहां प्रदेश में सियासी सरगर्मी को बढ़ा दिया है। वहीं, सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने जो संकेत दिए है, उसने भी इस पटकथा के कथानक का साफ कर दिया है। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद अरुण ने कहा था कि जल्द ही वह परिवार सहित लखनऊ पहुंचकर मुख्यमंत्री आवास जाकर योगी से आशीर्वाद लेंगे। अरुण के इस बयान के सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं कि राजभर के तल्ख बयानों को लेकर असहज रहने वाले मुख्यमंत्री को सहज करने की कोशिश है। हालांकि राजभर और भाजपा की तरफ से गठबंधन के बारे में अभी तक अधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा रहा है, पर दोनों तरफ के नेताओं द्वारा एक दूसरे के प्रति जिस सहजता से बयान दिए जा रहे हैं, उससे यह माना जा रहा है कि भाजपा-सुभासपा के नए रिश्ते की अधिकारिक घोषणा जल्द की जा सकती है। वहीं, उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत लगभर पूरी हो चुकी है। हालांकि सूत्र गठबंधन के स्वरूप के बारे में बहुत कुछ नहीं बता पा रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि पूर्वांचल की सामाजिक समीकरणों और प्रदेश की राजनीतिक गणित को देखते हुए भाजपा और राजभर को एक दूसरे की जरूरत है।

दो सीटों पर बन सकती है बात

सूत्रों का कहना है कि राजभर गठबंधन की अधिकारिक घोषणा होने से पहले ही उन सीटों को पक्का करना चाहते हैं, जिनपर वह सुभासपा के उम्मीदवार लड़ाना चाहते हैं। सूत्रों का कहना है कि राजभर ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के सामने फिलहाल दो सीटों पर दावेदारी पेश की है। इनमें एक घोसी के अलावा गाजीपुर, भदोही और चंदौली में कोई सीट शामिल है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद अब राजभर और भाजपा के बीच गठबंधन की अधिकारिक घोषणा होना बाकी रह गया है। जल्द ही राजभर की दिल्ली में भाजपा नेतृत्व से मुलाकात होनी है। इस मुलाकात में गठबंधन के स्वरूप को अंतिम रुप दिया जा सकता है । इसके बाद अगस्त में गठबंधन की घोषणा की जा सकती है। हालांकि राजभर के कोटे में लोकसभा की कौन सी सीट जाएगी, इसको चुनाव के समय ही सार्वजनिक की जाएगी।

निषाद पार्टी की चिंता बढ़ी

उधर भाजपा से ओम प्रकाश राजभर रिश्ते सुधरने की सुगबुगाहट ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद की चिंता बढ़ा दी है। उनको इस बात की चिंता सताने लगी है कि राजभर की वजह से गठबंधन में कहीं उनकी अहमियत कम न हो जाए। इसके मद्देनजर वह लगातार लखनऊ से लेकर दिल्ली तक में भाजपा नेतृत्व के सामने किसी न किसी बहाने अपनी अहमियत दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही सुभासपा को कमजोर करने की रणनीति पर भी फोकस कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो निषाद की कोशिश है कि राजभर के कुछ भरोसेमंद लोगों को निषाद पार्टी में शामिल करके भाजपा नेतृत्व को यह संदेश दिया जाए कि सुभासपा के मुकाबले उनके लोगों की पसंद निषाद पार्टी है।

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