2009 एसिड अटैक मामला: दिल्ली की अदालत ने तीन आरोपियों को किया बरी

दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2009 के एसिड अटैक मामले में तीन आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2009 के एसिड अटैक मामले में तीन आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। एडिशनल सेशंस जज जगमोहन सिंह ने यशविंदर, मनदीप मान और बाला को दोषमुक्त करने का आदेश दिया।

तीनों पर पानीपत की एमबीए छात्रा शाहीन मलिक पर एसिड अटैक की साजिश रचने का आरोप था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपियों ने एक नाबालिग के साथ मिलकर शाहीन पर तेजाब फिंकवाया था। हमले में शाहीन गंभीर रूप से घायल हो गई थीं और उन्हें कई सर्जरी से गुजरना पड़ा। लंबे समय तक इलाज के बाद डॉक्टर उनकी एक आंख की रोशनी बचाने में सफल रहे। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने के लिए ठोस सबूत पेश करने में असफल रहा, जिसके चलते आरोपियों को बरी किया गया।

जिस नाबालिग ने पीड़ित पर एसिड से हमला किया था, उसे 17 दिसंबर 2015 को दोषी ठहराया गया था. IPC की धारा 326 (खतरनाक हथियारों या तरीकों से जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना) और 308 (गैर इरादतन हत्या की कोशिश) के तहत कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया था.

पीड़िता की वकील ने क्या कहा?
फैसले के बाद पीड़िता की वकील मडियाह शाहजर ने कहा, रोहिणी कोर्ट ने मामले में तीन आरोपियों को इस आधार पर बरी कर दिया कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं. हमारा मानना ​​है कि हमने जो सबूत पेश किए थे, उनका फैसले में सही से इस्तेमाल नहीं किया गया. इसमें भेदभाव हुआ है. न्याय नहीं मिला है. हम हाई कोर्ट में अपील करेंगे.

उन्होंने कहा कि हालांकि कोर्ट ने सहानुभूति जताई, लेकिन 16 साल की कानूनी लड़ाई के बाद हमें न्याय चाहिए, सहानुभूति नहीं. इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में और अगर ज़रूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.

आरोपी की वकील ने क्या कहा?
आरोपी बाला की वकील प्रियादर्शिनी के अनुसार, बाला पर IPC की धारा 120B (आपराधिक साज़िश), 326 और 308 के तहत आरोप लगाए गए थे, जबकि यशविंदर पर धारा 364 A (फिरौती के लिए अपहरण), 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी) और 511 (अपराध करने की कोशिश के लिए सज़ा) के तहत आरोप लगाए गए थे. वकील ने कहा कि मनदीप पर IPC की धारा 120B, 326 और 308 के तहत अपराधों के लिए मुकदमा चलाया गया था. उन्होंने कहा कि नाबालिग को आपराधिक साज़िश के लिए दोषी नहीं ठहराया गया था. यह बात मौजूदा अदालत के ध्यान में लाई गई थी.

पीड़िता को करानी पड़ी थी 18 सर्जरी
पिछले कुछ साल में शाहीन के कई ऑपरेशन हुए. कुल 18 सर्जरी. हमले के बाद ढाई साल तक उन्हें कुछ दिखाई नहीं दिया, जब तक कि डॉक्टर एक आंख बचाने में कामयाब नहीं हो गए. उनकी दूसरी आंख बहुत ज़्यादा खराब हो गई थी. शाहीन सिर्फ़ हिम्मत और विश्वास की वजह से ज़िंदा हैं. उन्होंने कहा था कि मुझे लगा कि शायद मुझे इस दुनिया में इंसाफ नहीं मिलेगा. हो सकता है, मुझे भगवान की दुनिया में इंसाफ मिले.

कब हुआ था हमला?
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 2009 में हरियाणा के पानीपत में शाहीन मलिक पर तेजाब से हमला किया गया था, जब वह यशविंदर के कॉलेज में स्टूडेंट काउंसलर की नौकरी के लिए गई थी. उसी समय मलिक ने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी में MBA प्रोग्राम में एडमिशन लिया. अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि पीड़िता को अपने वर्कप्लेस पर यशविंदर से सेक्शुअल हैरेसमेंट का सामना करना पड़ा. यशविंदर की पत्नी, बाला ने दो यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स, मनदीप मान और नाबालिग के साथ मिलकर मलिक पर हमला करने की साज़िश रची.

देरी पर भड़का था सुप्रीम कोर्ट
2013 में यह मामला दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया. 4 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता द्वारा दायर एक PIL पर सुनवाई करते हुए, एसिड अटैक मामलों में धीमी सुनवाई को सिस्टम का मज़ाक बताया और सभी हाई कोर्ट्स को देश भर में ऐसे पेंडिंग मामलों की डिटेल्स चार हफ़्तों के अंदर जमा करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने मलिक के मामले में लंबी देरी को राष्ट्रीय शर्म बताया और ट्रायल को रोज़ाना के आधार पर चलाने का निर्देश दिया.

केस में कब क्या हुआ?
19 नवंबर, 2009- पानीपत में शाहीन मलिक पर तेजाब से हमला हुआ. हरियाणा पुलिस ने एक दिन बाद बयान दर्ज किया. 1 जनवरी, 2010- शाहीन ने आरोपियों का नाम लिया. अगस्त, 2013- पुलिस से कोई मदद नहीं मिलने के बाद शाहीन ने हरियाणा सरकार से संपर्क किया. तब की CJM ने पुलिस को केस खोलने का आदेश दिया.
22 अगस्त, 2014- सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा से दिल्ली केस ट्रांसफर करने का आदेश दिया. जनवरी 2015- आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए.

8 दिसंबर 2016- दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी आरोपियों को रिहा कर दिया. 19 जनवरी, 2018- दोबारा ट्रायल शुरू
22 सितंबर, 2025- शाहीन मलिक की अपील पर केस ASJ जगमोहन सिंह को ट्रांसफर हुआ. 24 दिसंबर, 2025- कोर्ट ने आरोपियों को बरी किया.

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