पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर चुनावी रथ दौड़ाने की तैयारी में भाजपा

164 सीटों पर निगाहें, पश्चिम में खतरे को देखते हुए बढ़ाया फोकस

भव्य आयोजन और एयर शो के जरिए जनता को संदेश देने की कोशिश

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्ता में वापसी के लिए भाजपा कोई भी जोखिम लेने को तैयार नहीं है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों की नाराजगी को देखते हुए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अपना पूरा फोकस पूर्वांचल की ओर कर दिया है। यहां की नौ जिलों की 164 सीटों पर उसकी निगाहें जम गयी हंै। यही वजह है कि वह पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के जरिए पूरब को साधने में जुट गयी हैं। एक्सप्रेस-वे के भव्य उद्घाटन और एयर शो के जरिए भाजपा ने पूर्वांचल की जनता को सीधा संदेश देने की कोशिश की है।

पूरब से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री देने वाली भाजपा ने पहले देश और फिर प्रदेश की सत्ता हासिल की थी। अब 2022 के चुनाव में भाजपा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के जरिए अपना असर बढ़ाना चाहती है। दरअसल, यूपी के सिंहासन तक पहुंचने का रास्ता पूर्वांचल से होकर जाता है। पिछले तीन चुनावों से प्रदेश में बन रहीं पूर्ण बहुमत की सरकारें इसकी गवाह हैं। पहले बसपा, सपा और फिर भाजपा ने इसी रास्ते से सत्ता के ताले की चाबी हासिल की थी। यही कारण है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के खुलने के साथ पूरब का सियासी घमासान भी रफ्तार पकड़ चुका है।

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के साथ ही भाजपा ने सूबे की सत्ता में वापसी के लिए एक बड़ा दांव खेल दिया है। यह एक्सप्रेस-वे नौ जिलों से गुजरता है लेकिन सही मायने में इसका असर पूरब के तकरीबन 28 जिलों पर है। इन इलाकों में करीब 164 से अधिक विधान सभा सीटें हैं। वर्ष 2007 में पूर्ण बहुमत हासिल करने वाली बसपा को इस इलाके से तकरीबन सौ सीटें मिली थीं। वहीं 2012 में स्पष्ट बहुमत पाने वाले सपा की जीत का द्वार भी पूर्वी उत्तर प्रदेश ही बना था। सपा को तब करीब 110 सीटें इस इलाके से मिली थीं। अब 2017 के चुनावी नतीजों पर नजर डालें तो भाजपा ने इस सबको पीछे छोड़ते हुए पूर्वांचल की लगभग 115 सीटें हासिल की थीं। भाजपा पूर्वांचल के महत्व को बखूबी समझती है इसीलिए 2022 के चुनावी संग्राम के केंद्र में उसने पूरब को ही रखा है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी पूर्वांचल पर ही फोकस कर रहे हैं।

पीएम मोदी की भी नजर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषण में प्रदेश की पिछली सरकारों पर पूर्वांचल का विकास नहीं करने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि पूर्वांचल के विकास का रास्ता भाजपा सरकार ने ही खोला है और पूर्वांचल लगातार उनकी प्राथमिकता में है।

पश्चिमी यूपी के असर को कम करने की रणनीति

कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन का असर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक पड़ा है। यहां के कई जिलों में किसान भाजपा से नाराज हैं। भाजपा नेतृत्व को लगता है कि पश्चिम में किसान आंदोलनों का असर विधान सभा चुनाव पर पड़ सकता है लिहाजा वे इस असर को कम करने के लिए पूर्वांचल पर फोकस कर रहे हैं।

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