मणिपुर में हथियार और गोला-बारूद का बड़ा जखीरा बरामद, कुकीज द्वारा बंद के आह्वान से कई जिलों में सामान्य जनजीवन प्रभावित

नई दिल्ली। मणिपुर के चुराचांदपुर और कांगपोकपी जिलों में शुक्रवार को ‘कुकी जो’ संगठनों द्वारा बंद के आह्वान के कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ। बंद का आह्वान राज्य सरकार के उस दावे के विरोध में किया गया है जिसमें कहा गया था कि 900 प्रशिक्षित कुकी उग्रवादी 28 सितंबर को इंफाल घाटी के गांवों पर हमला करेंगे। वहीं दूसरी तरफ मणिपुर के तीन जिलों में सुरक्षाबलों ने हथियार और गोला-बारूद का बड़ा जखीरा बरामद किया है। पुलिस की ओर से शनिवार को जारी किए गए बयान में यह जानकारी दी गई। बयान में बताया गया कि मणिपुर पुलिस और असम राइफल्स की एक संयुक्त टीम ने कांगपोकपी जिले के लोइचिंग क्षेत्र से दो .303 राइफल, एक 9 एमएम पिस्तौल, मैगजीन, कारतूस, चार हथगोले, दो ‘डेटोनेटर’ और एक देसी ‘मोर्टार’ और एक ‘इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार’ जब्त किया है।
मणिपुर के तीन जिलों में सुरक्षाबलों ने हथियार और गोला-बारूद का बड़ा जखीरा बरामद किया है। पुलिस की ओर से शनिवार को जारी किए गए बयान में यह जानकारी दी गई। बयान में बताया गया कि मणिपुर पुलिस और असम राइफल्स की एक संयुक्त टीम ने कांगपोकपी जिले के लोइचिंग क्षेत्र से दो .303 राइफल, एक 9 एमएम पिस्तौल, मैगजीन, कारतूस, चार हथगोले, दो ‘डेटोनेटर’ और एक देसी ‘मोर्टार’ और एक ‘इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार’ जब्त किया है। मणिपुर पुलिस, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के संयुक्त दल ने चुराचांदपुर जिले के गोथोल गांव में एक अन्य तलाश अभियान के दौरान दो ‘इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार’ जब्त किए हैं, जिन्हें स्थानीय रूप से ‘पंपी’ के नाम से जाना जाता है। राज्य पुलिस और असम राइफल्स ने थौबल जिले के फैनोम पर्वतीय क्षेत्र से चार एचई-36 हथगोले, दो ‘पंपी’, तीन ‘डेटोनेटर’ तथा एक-एक ‘स्टन ग्रेनेड’, ‘स्टिंगर ग्रेनेड’ और आंसू गैस के गोले बरामद किए हैं। सुरक्षाबलों द्वारा इन इलाकों में शुक्रवार को चलाए गए तलाश अभियान के दौरान ये हथियार बरामद किए गए हैं। हालांकि, इस संबंध में अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। मणिपुर में पिछले साल मई से मेइती और कुकी समुदाय के लोगों के बीच हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
कुकी जो संगठनों द्वारा बंद के आह्वान के बाद शुक्रवार (27 सितंबर) को मणिपुर के चुराचांदपुर और कांगपोकपी जिलों में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ। राज्य सरकार ने हाल ही में दावा किया था कि 900 प्रशिक्षित कुकी उग्रवादी शनिवार (28 सितंबर) को इंफाल घाटी के गांवों पर हमला करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि कुकी बहुल दोनों जिलों में शैक्षणिक संस्थान बंद रहे। उन्होंने बताया कि चुराचांदपुर जिले में व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले रहे, लेकिन कांगपोकपी में बाजार बंद रहे, जहां निजी वाहनों की आवाजाही भी प्रतिबंधित रही। कुकी जो समुदाय के संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने पहले कहा था कि शनिवार को पूर्ण बंद रहेगा। सरकार के दावे के विरोध में सैकड़ों लोगों ने कांगपोकपी में रैली निकाली। सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने 20 सितंबर को दावा किया था कि सुरक्षा बलों ने ऐसी रिपोर्ट के मद्देनजर कई कदम उठाए हैं कि 900 आतंकवादी इंफाल घाटी के जिलों के परिधीय गांवों में हिंसा कर सकते हैं। हालांकि, बुधवार को राज्य सरकार ने इस दावे को वापस ले लिया और कहा कि सशस्त्र समूहों द्वारा इस तरह के किसी भी दुस्साहस की संभावना न्यूनतम और निराधार है। एक अधिकारी के अनुसार, हालांकि, सुरक्षा बल घाटी के परिधीय क्षेत्रों में सतर्क रहे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई सशस्त्र हमला न हो। मीती राज्य की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हिस्सा है और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार ने पिछले सप्ताह कहा था कि अधिकारियों को स्थानीय खुफिया एजेंसियों से कुकी उग्रवादियों द्वारा संभावित सीमा पार करने के बारे में रिपोर्ट मिली थी। खुफिया रिपोर्ट में बताया गया था कि युद्धग्रस्त म्यांमार से 900 संदिग्ध उग्रवादी मणिपुर में घुस आए हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया ऐसे दावे थे कि ये उग्रवादी 28 सितंबर के आसपास इंफाल घाटी के जिलों के परिधीय गांवों पर हमला करने की योजना बना रहे थे। कुछ दिनों बाद, मणिपुर सरकार ने अपने बयान को वापस लेते हुए कहा कि “सशस्त्र समूहों द्वारा इस तरह के किसी भी दुस्साहस की संभावना बहुत कम और निराधार है। सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह और डीजीपी राजीव सिंह ने बुधवार को एक संयुक्त बयान में कहा, 28 सितंबर को मैतेईस पर हमले करने के लिए म्यांमार से 900 प्रशिक्षित कुकी आतंकवादियों की घुसपैठ के इनपुट के संबंध में विभिन्न समुदायों की हालिया प्रतिक्रियाओं के मद्देनजर, यह स्पष्ट किया जाता है कि इनपुट को विभिन्न स्रोतों से सत्यापित किया गया था, लेकिन जमीन पर इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी। ऐसे किसी भी इनपुट पर विश्वास करने का कोई मौजूदा आधार नहीं है।

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