‘मणिपुर में बीजेपी ने हिंसा भड़काई’ सुप्रीम कोर्ट में खुल गई पोल, RTI में बड़ा खुलासा!

मणिपुर हिंसा मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार से लेकर राज्य सरकार बुरी तरह से घिरी हुई... विपक्ष लगातार मोदी सरकार से पूछ रहा है....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः मणिपुर हिंसा मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार से लेकर राज्य सरकार बुरी तरह से घिरी हुई… विपक्ष लगातार मोदी सरकार से पूछ रहा है… कि नरेंद्र मोदी जी मणिपुर कब जाएंगे…. लेकिन पीएम मोदी ही नहीं पूरी बीजेपी ही इन सवालों से बचती नजर आती है… इन सवालों पर बीजेपी का कोई नेता जवाब देने को तैयार नहीं है…. लेकिन अब मणिपुर मामले को लेकर ऐसा खुलासा हुआ है… कि बीजेपी सहित मोदी और शाह की जमकर फजीहत हो रही है… और बीजेपी सरकार पूरी तरह से घिरती नजर आ रही है… बता दें सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका ने मोदी सरकार और राज्य की सरकार को चौतरफा घेर कर रख दिया है… आपतो बता दें कि मणिपुर हिंसी मामले की जांच में जिस तरह से ढिलाही की जा रही है… उसपर अब सुप्रीम कोर्ट आगबबूला हो गया है… और सरकार को जमकर लताड़ लगाई है… वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कड़े आदेश भी दे दिए हैं…. जिसके बाद से ऐसा माना जा रहा है… कि मणिपुर हिंसा मामले में सीएम एन बीरेन सिंह की मुश्किले बढ़ती जा रही हैं… और इस मामले में उनकी भूमिका संदिग्ध लग रही है… सीएम एन बीरेन सिंह ने बीजेपी हाई कमान के आदेश के चलते हिंसा मामले में कोई भी कड़ा एक्शन नहीं लिया… और दो समुदायों में जमकर हिंसा हुई…

बता दें कि जिस तरह से मणिपुर हिंसा का वीडियों का सोशल मीडिया में तेजी से बायरल हुआ था… और महिलाओं को निवस्त्र कर घुमाय़ा गया था… उनके साथ कई-कई लोगों के द्वारा दुष्कर्म किया गया… जिसको देखकर और सुनकर लोगों की रूह कांप जाती है…. लेकिन ऐसी दृष्य को देखर बीजेपी के हुक्मरानों का दिल नहीं पसीजा… और इस मामले की सही ढंग से जांच तक नहीं कराई गई… और देश की जनता को गुमराह करने वाले मोदी और महिला सुरक्षा की बात करने वाले मोदी एक बार भी मणिपुर नहीं गए… और न हीं वहां की पीड़ित जनका का हाल जाना… महिला सुरक्षा का दावा करने वाले मोदी की ऐसी बड़ी और दिल को ढकझोर देने वाली घटनाओं से महिला सुरक्षा की सारी पोल खुलती दिख रही है… मोदी को सिर्फ सत्ता में बने रहने की तलब लगी है… उनको देश की जनता से कोई लेना- देना नहीं है… मणिपुर हिंसा में जल रहा था…और मोदी ने वहां की जनता को लेकर एक भी बयान नहीं दिया… न कभी मणिपुर का जिक्र किया वो अपनी धुन में और जुमवेवाजी करने में मगन रहे… वहीं अब जब सुप्रीम कोर्ट ने जमकर लताड़ा है… तब बीजेपी खेमें में खलबली मची हुई है…

आपको बता दें कि मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उस आडियो क्लिप के जांच करने के आदेश दे दिए है… जिससे जांच कमेटी बचने की कोशिश कर रही थी… बता दें कि मणिपुर हिंसा मामले ने पूरे देश में तहलका मचाया था…. जिसको लेकर कुकी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है…. जिसमें कुछ ऑडियो क्लीप का हवाला देते हुए दावा किया गया है… कि CM बीरेन सिंह ने मणिपुर में हिंसा भड़काई है… सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई हुई…. कोर्ट ने कहा कि लीक ऑडियो में आवाज मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की ही है या नहीं, इसकी जांच होनी चाहिए…. हम इस जांच के लिए तैयार है…. दरअसल, मणिपुर में हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ ऑडियो क्लिप वायरल हुए थे…. इसमें बीरेन सिंह को कुकी लोगों पर बमबारी और हथियार लूटने की बात कहते सुना गया….. जिसको लेकर कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट ट्रस्ट ने मणिपुर CM के खिलाफ जांच की मांग की याचिका लगाई…. और उन्होंने कहा कि मामले की जांच CBI, ED नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट से चयनित अधिकारियों वाली SIT से कराना चाहिए…. वहीं सुप्रीम कोर्ट में CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने याचिका स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को ऑडियो क्लीप की जांच के लिए मटेरियल मुहैया कराने निर्देश दिए हैं….

सुप्रीम कोर्ट में कुकी ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से वकील प्रशांत भूषण ने दलीलें रखीं….. वहीं, राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने जिरह में हिस्सा लिया…. आपको बता दें कि प्रशांत भूषण ने कहा कि ऑडियो क्लिप में विचलित करने वाली बाते हैं…. इसमें CM बीरेन सिंह को हिंसा भड़काते… और हमलावरों को बचाते हुए सुना जा सकता है…. CM ने न केवल हिंसा को बढ़ावा दिया है…. बल्कि हथियार और गोला-बारूद भी लूटने दिए हैं…. जानकारी के मुताबिक मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक इंटरव्यू में ऑडियो क्लिप मामले पर बयान दिया था…. और उन्होंने कहा था कि कुछ लोग उनके पीछे पड़े हैं…. एक साजिश चल रही है…. मामला कोर्ट में विचाराधीन है…. इस बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहिए….. वहीं मामले को लेकर एक एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है…. आपको बता दें कि मणिपुर में शुक्रवार को एक बार फिर हिंसा हुई….. जिरीबाम जिले के जैरावन गांव में हथियारबंद उग्रवादियों ने 6 घर जला दिए…. ग्रामीणों का आरोप है कि इस दौरान हमलावरों ने फायरिंग की… हमलें में एक महिला की मौत हो गई…. मृतक महिला की पहचान जोसंगकिम हमार के रूप में हुई है….. मृतक के 3 बच्चे हैं…. ग्रामीणों का आरोप है कि हमलावर मैतेई समुदाय के थे…. घटना के बाद कई लोग घर से भाग गए हैं…

कुकी-मैतेई के बीच चल रही हिंसा को लगभग 500 दिन हो गए…. इस दौरान 237 मौतें हुईं….. 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए…. 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं…. करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं… और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया…. इस दौरान महिलाओं की न्यूड परेड, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं हुईं…. अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं…. पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई…. दोनों के बीच सरहदें खिचीं हैं…. जिन्हें पार करने का मतलब है मौत…. स्कूल- मोबाइल इंटरनेट बंद किए गए…. मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था…. हालांकि 12 सितंबर को ब्रॉडबेन्ड इंटरनेट से बैन हटा लिया गया था….. मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है…. यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं…. मैतेई, नगा और कुकी…. मैतई ज्यादातर हिंदू हैं….. नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं…. ST वर्ग में आते हैं…. इनकी आबादी करीब 50% है… राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है…. नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है…. ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं….

आपको बता दें कि मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए…. समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई…. समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था…. उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था…. इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए…. मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी को युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था…. उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए….. इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे…. और अफीम की खेती करने लगे…. इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है…. यह सब खुलेआम हो रहा है…. इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया…. वहीं बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं…. इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं…. ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा…. बता दें कि मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई…. और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं…. अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं….

बीजेपी हमेसा से बड़े- बड़े दावे करती है… लेकिन बीजेपी के अब एक बड़े दावे की पोल खुल गई है… मणिपुर को लेकर की गई थी… क्रेंद्र सरकार के द्वारा ये वादा किया गया था कि पीड़ित परिवारों को मुवाबजा दिया जाएगा… लेकिन आऱटीआई रिपोर्ट से इस दावे की पोल खुल गई है… और केंद्र सरकार का यह वादा हवाहवाई हो गया… दरअसल मई 2023 के अंत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जातीय संघर्ष के बीच इंफाल का दौरा कर पीड़ितों के परिवारों को मुआवज़ा देने का वादा किया था…. वहीं अब सूचना का अधिकार आवेदन के जवाब से पता चलता है कि उनके मंत्रालय ने अभी तक इसके लिए पर्याप्त धनराशि जारी नहीं की है…. अपने दौरे के दौरान शाह ने अपने-अपने क्षेत्रों में मैतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के नागरिक समाज संगठनों से मुलाकात की थी…. और 1 जून 2023 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी….. जिसमें उन्होंने कई घोषणाएं कीं थी…. ऐसा ही एक वादा हिंसा में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को कुल 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देना था…. और उन्होंने तब कहा था, ‘हिंसा में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 10 लाख रुपये (मणिपुर सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 5-5 लाख रुपये) की राशि प्रदान की जाएगी….

वहीं सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में पता चला है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर को वित्तीय सहायता के रूप में 7.35 करोड़ रुपये जारी किए हैं….. ताजा आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 3 मई 2023 से अब तक राज्य में 226 लोगों की मौत हो चुकी है…. इसका मतलब है कि इन परिवारों को मुआवज़ा देने के लिए 11.30 करोड़ रुपये जारी किए जाने चाहिए थे…. इस प्रकार गृह मंत्रालय द्वारा 3.95 करोड़ रुपये अभी भी प्रदान किए जाने बाकी हैं…. द वायर ने इस अंतर के बारे में अधिक जानकारी के लिए मणिपुर सरकार से भी संपर्क किया, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है…. शाह के अधीन केंद्रीय मंत्रालय द्वारा जारी की गई राशि 7.35 करोड़ रुपये से 226 में से 147 परिवारों को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जा सकेगा….

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए आरटीआई जवाब से यह भी पता चलता है कि गृह मंत्रालय द्वारा मणिपुर के लोगों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता, नागरिक पीड़ितों/आतंकवादी/सांप्रदायिक/वामपंथी उग्रवाद के पीड़ितों के परिवारों को सहायता के लिए केंद्रीय योजना के अंतर्गत है….. यह योजना आतंकवादी या सांप्रदायिक हिंसा, वामपंथी उग्रवाद, साथ ही भारतीय क्षेत्र में सीमा पार से गोलीबारी और बारूदी सुरंग या आईईडी विस्फोटों से जुड़ी घटनाओं में नागरिक पीड़ितों की मृत्यु या स्थायी रूप से अक्षम होने की स्थिति में परिवार के सदस्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है…. सहायता आम तौर पर जीवित पति या पत्नी को दी जाती है…. या यदि दोनों पति या पत्नी एक ही घटना में मारे जाते हैं…. तो पूरे परिवार को दी जाती है…. न तो गृह मंत्री अमित शाह और न ही मणिपुर सरकार ने सार्वजनिक रूप से उल्लेख किया है कि मुआवज़ा सीएसएसीवी योजना का हिस्सा है….

1 जून को गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस नोट, जो प्रेस सूचना ब्यूरो की वेबसाइट पर उपलब्ध है…. इसमें भी सीएसएसीवी योजना का कोई उल्लेख नहीं है…. जून 2023 को अपने दौरे के दौरान अमित शाह ने हिंसा प्रभावित क्षेत्र में ऑनलाइन शिक्षा के लिए एक योजना तैयार करने का भी वादा किया था…. हालांकि, इसका कार्यान्वयन का अभी भी स्पष्ट नहीं है…. अपनी पढ़ाई के लिए इंफाल की यात्रा करने में असमर्थ कई कुकी छात्रों ने शहर के बाहर प्रवेश की मांग की है…. जहां केरल का कन्नूर विश्वविद्यालय अशांति के कारण विस्थापित कुकी छात्रों का स्वागत करने वाला पहला विश्वविद्यालय बना है…. इसके अलावा, शाह ने मणिपुर की तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में एक शांति समिति की स्थापना की घोषणा की थी…. इस समिति में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह सहित सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, साथ ही कुकी और मेईतेई समुदायों और विभिन्न सामाजिक संगठनों के सदस्य शामिल थे….

हालांकि, बाद में कई व्यक्तियों ने शांति समिति छोड़ दी, उन्होंने पैनल में बीरेन की उपस्थिति में काम करने में अनिच्छा व्यक्त की…. शाह ने मेडिकल सहायता का भी वादा किया था…. विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों के लिए डॉक्टर उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जताई थी…. जहां लोगों को तत्काल चिकित्सा देखभाल प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है…. स्थानीय स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण कई लोगों को इलाज के लिए दूसरे राज्यों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है… और मणिपुर में कम से कम 35 लोगों की चिकित्सा आपात स्थिति के कारण मौत हो चुकी है…. मालूम हो कि 3 मई, 2023 को कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच हिंसा शुरू होने के बाद से 543 दिनों के दौरान 60,000 से अधिक व्यक्ति विस्थापित हो चुके हैं….

 

 

 

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