विपक्ष के दबाव में नीतीश-नायडू ने कर दिया खेला, अब सरकार गिरने की बारी!
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के डॉ. भीमराव आंबेडकर पर दिए गए बयान के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज है.... इस बहाने अब सियासी दांव-पेंच भी तेज हो चले हैं....
4पीएम न्यूज नेटवर्कः संविधान की पचहत्तरवीं वर्षगाठ पर संसद के उच्च सदन में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संविधान पर चर्चा के दौरान लंबा भाषण दिया…. और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा…. इस दौरान अमित शाह भूल गए कि हमारी सरकार बैसाखी के सहारे चल रही है…. और हमारी सरकार को नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का समर्थन मिला हुआ है….. वहीं ये दोनों नेता दलित और अल्संख्यकों को लेकर ही राजनीति करते हैं…. और इनके कोर वोटर दलित और अल्पसंख्यक ही है…. जिसके सहारे ये दोनों नेता सरकार बनाकर सत्ता में रहते हैं…. आपको बता दें कि नीतीश और नायडू भी बीजेपी की मानसिकता के मुताबिक राजनीति करने लगे तो उन दोनों नेताओं की नीव हिल जाएगा…. और फिर दोबारा सत्ता में वापसी नहीं होगी…. जिसको देखते हुए अभी तक दोनों सहयोगी नेताओं ने अपना कोई विचार अमित शाह के बयान पर व्यक्त किया है….
बता दें कि जब बीजेपी नेता अपनी नाकानी छुपाने के लिए बोलना शुरू करते हैं तो वो भूल जाते हैं कि मेरी सरकार अल्पमत हैं और कभी भी गिर सकती है…. और गलत तथ्यों को जनता के सामने परोसने लगते हैं…. आपको बता दें कि मोदी हो या शाह बीजेपी के सभी नेता नेहरू और इंदिरा गांधी का बार- बार जिक्र कर अपनी राजनीति कर रहें है…. हमेशा से मोदी पिछले पैंसठ सालों का जिक्र करते हैं…. लेकिन अपनी सरकार के दस सालों का काम जनता को नहीं बताते हैं कि मेरी सरकार ने पिछले दस सालों में कितने एम्स बनवाए….. कितनी फैक्ट्रियां लगवाई हैं…. कितने रोजगार शुरू हुए हैं.,…. जिससे युवाओं को रोजगार मिला है…. पिछले दस सालों में महंगाई में कितनी कमी आई है…. महिला की सुरक्षा, अपराध, स्कूल, यूनिवर्सिटी को लेकर कितना काम किया है…. शिक्षा के क्षेत्र में बीजेपी ने कितनी नई यूनिवर्सिटी बनाई है…. या फिर जनता से जुड़े कितने काम किए हैं…. इन सब मुद्दों पर बात नहीं करते हैं…. बस अपनी नाकामी को छुपाने के लिए पिछली सरकारों पर आरोप लगाते हैं…..
आपको बता दें कि पिछली सरकारों पर आरोप लगाने वाले मोदी ने अपने दस साल के कार्यकाल में एक भी सार्वजनिक उपक्रम नहीं बनाए हैं…. और जिसकी आलोचना करके मोदी और शाह अपनी दुकान चला रहें है…. उन प्रधान सेवकों ने देश को उंचाइयों पर ले जाने के लिए अपने कार्यकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने छासठ, जवाहरलाल नेहरू ने तैंतीस, डॉ. मनमोहन सिंह ने तेइस, अटल बिहारी वाजपेयी ने सत्रह, राजीव गांधी ने सोलह, पी.वी. नरसिम्हा राव चौदह, मोरारजी देसाई ने नौ, लाल बहादुर शास्त्री ने पांच, आई.के. गुजराल ने तीन, एच.डी. देवगौड़ा ने तीन, वी.पी. सिंह ने दो और पिछली सरकारों की लगातार बुराई करने वाले विश्वगुरू नरेंद्र मोदी ने अपने दस साल के कार्यकाल के दौरान एक भी सार्वजनिक संस्थाएं नहीं बनाई हैं… जिससे देश के युवाओं को रोजगार मिल सके और देश का विकास हो…. मोदी ने लगातार जनता से झूठ बोला है…. और पिछली सरकारों द्वारा बनाई गई संस्थाओं को बेंचने का काम किया है….
बता दें कि बीजेपी की राजनीति हिंदू-मुसलमान पर केंद्रित हैं…. सभी जगह मंदिर मस्जिद सर्वे कराए जा रहें हैं…. और देश में नफरत फैलाने का काम किया जा रहा है…. हिंदुत्व की राजनीति का ढ़ों करने वाले बीजेपी के नेता हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर चुप हैं…. अपराध लगातार बढ़ रहा है…. लेकिन मोदी को देश की जनता से कुछ भी लेना देना नहीं है…. और सार्वजनिक संस्थाओं को अपने व्यवसाई भाइयों के हाथों बेचना जारी है…. वहीं दन में दिए गए अमित शाह के भाषण के भाषण के बारह सेकेंड के अंश को लेकर संसद से सड़क…. और सोशल मीडिया तक सियासी संग्राम छिड़ गया है…. आंबेडकर के बहाने सियासत भी तेज हो गई है…. बीजेपी और मोदी सरकार को दलित विरोधी कठघरे में खड़े करने ही नहीं बल्कि चंद्रबाबू नायडू… और नीतीश कुमार जैसे सहयोगी नेताओं के जरिए भी विपक्ष सियासी चक्रव्यूह रचने में जुट गया है….
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने भाषण का बारह सेकेंड का वीडियों, जिसमें उन्होंने कहा कि आजकल आंबेडकर का नाम लेना एक फैशन हो गया है….. आंबेडकर , आंबेडकर , आंबेडकर इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता…. अमित शाह ने इससे आगे भी बाते अपनी रखी….. लेकिन सिर्फ इतने ही अंश को लेकर कांग्रेस ने मोर्चा खोल रखा है…. तो आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को पत्र लिखा…. इससे पहले शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी नीतीश, नायडू और अजीत पवार तक को निशाने पर लिया…. बता दें कि संविधान निर्माता और संविधान समित में रहे बाबा साहेब का शाह के द्वारा किया गया अपमान पूरे देश नें इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है…. जिससे बीजेपी की परेशानी और बढ़ गई है…. वहीं अब सहयोगियों ने भी आंख दिखाना शुरू कर दिया है…. और सहयोगिंयों के कदम पीछे लेने से किसी भी समय सरकार गिर सकती है….
अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के पत्र लिखकर कहा कि मैं आपको यह पत्र एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर लिख रहा हूं….. जो न केवल हमारे संविधान बल्कि बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा है….. संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने बाबासाहेब के नाम पर की गई टिप्पणी ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है…. उनका (शाह) का यह कहना कि आंबेडकर-आंबेडकर बोलना आजकल फैशन बन गया है…. यह न केवल अपमानजनक है…. बल्कि बीजेपी की बाबासाहेब और हमारे संविधान के प्रति सोच को उजागर करता है…. वहीं केजरीवाल ने कहा कि अमित शाह के बयान से देशभर में करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं….. ये बयान देने के बाद अमित शाह माफी मांगने की बजाय अपने बयान को उचित ठहराया….. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक रूप से अमित शाह के बयान का समर्थन किया….. इस पर जले पर नमक छिड़कने का काम किया…. लोगों को लगने लगा है कि बाबासाहेब को चाहने वाले अब बीजेपी का समर्थन नहीं कर सकते….. बाबासाहेब सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि हमारे देश की आत्मा हैं….. बीजेपी के इस बयान के बाद लोग चाहते हैं…. कि इस मसले पर आप भी गहराई से विचार करें…..
वहीं आंबेडकर पर अमित शाह के द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख ठाकरे भी आक्रमक रुख अख्तियार कर रखा है….. इस संबंध में उन्होंने बुधवार को प्रेस कॉफ्रेंस करके कहा कि संसद में जिस तरह से अमित शाह ने आंबेडकर को लेकर बयान दिया है…. उसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है…. उद्धव ने कहा कि आंबेडकर ऐसी सख्सियत हैं….. जो किसी भी पक्ष से बंधे नहीं हैं…. आरएसएस और बीजेपी क्या अमित शाह के खिलाफ कार्रवाई करेंगे या फिर उन्होंने ऐसा कहने की इजाजत दी है…. क्या यह उन अन्य दलों को स्वीकार्य है….. जिन्होंने अमित शाह को समर्थन दिया है…. चाहे वह चंद्रबाबू नायडू हों या नीतीश कुमार या अजीत पवार….. क्या इसके बाद भी रामदास अठावले उनके मंत्रिमंडल में बने रहेंगे…..
अरविंद केजरीवाल और उद्धव ठाकरे बहुत ही सोची-समझी रणनीति के तहत अमित शाह के बयान को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू…. और बिहार के सीएम नीतीश कुमार से सवाल कर रहे हैं….. नायडू और नीतीश पर भले ही निगाहें हों…. लेकिन उनका निशाना मोदी सरकार पर है….. केजरीवाल और उद्धव जानते हैं कि आंबेडकर के अपमान के बहाने नीतीश-नायडू पर अघर प्रेशर पॉलिटिक्स स्थापित करने में कामयाब हो जाते हैं….. तो मोदी सरकार के खिलाफ सियासी चक्रव्यूह रचने की रणनीति भी कामयाब हो जाएगी…… आपको बता दें कि केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार दो हजार चौदह…. और दो हजार उन्नीस की तरह सिर्फ बीजेपी सांसद के दम पर नहीं चल रही है…… बीजेपी को दो हजार चौबीस के लोकसभा चुनाव में दो सौ चालीस सीटें मिली थी….. जो बहुमत के आंकड़े से कम है…. चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू के समर्थन से दो हजार चौबीस में बीजेपी सरकार बना सकी है….. बता दें कि टीडीपी के सत्रह और जेडीयू के बारह लोकसभा सांसद हैं….. ऐसे में अगर यह दोनों ही दलों के सियासी स्टैंड बदलते हैं…. तो फिर मोदी सरकार डगमगा जाएगी….. इसी के चलते केजरीवाल और उद्धव ठाकरे दोनों ही अमित शाह के बयान को लेकर नीतीश…. और नायडू से सवाल खड़े कर रहे हैं…..
आपको बता दें कि बिहार और आंध्र प्रदेश दोनों ही राज्यों में दलित वोटर अच्छी खासी संख्या में है…… बिहार में करीब अट्ठारह फीसदी के करीब दलित समाज है….. जबकि आंध्र प्रदेश में दलितों की आबादी सत्रह फीसदी है….. बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं…… जिसे देखते हुए भी नीतीश कुमार पर राजनीतिक दबाव बनाने की कवायद की जा रही है…. बता दें कि दो हजार चौबीस के आंध्र प्रदेश में हुए लोकसभा…. और विधानसभा चुनाव में दलित समाज का एकमुश्त वोट टीडीपी के पक्ष में गया था….. जिसको देखते हुए नायडू और नीतीश कुमार अमित शाह के बयान पर कुछ न कुछ स्टैंड जरूर लेंगे…. वहीं राहुल गांधी की मुस्कुराहत से बीजेपी की बेचैनी लगातार बढ़ रही है…. भारत जोड़ो यात्रा के बाद से राहुल गांधी की राजनीति में बहुत बड़ा बदलाव आया है…. और राहुल गांधी मोदी, शाह की बातों का सोच समझकर बहुत ही सहजता से और बेबाकी से जवाब देते हैं…. और अब राहुल गांधी मोदी की बातों में उलझते नहीं है…. जिसको देखते हुए मोदी और शाह की परेशानी और बढ़ती जा रही है….