चुनाव नियमों में संसोधन कर बुरा फंसा चुनाव आयोग, ‘मोदी’ की हो रही फजीहत

विगत कई वर्षो से लगातार कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल ईवीएम पर सवाल उठाते रहें है.... और बीजेपी द्वारा चुनाव में धांधली...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः विगत कई वर्षो से लगातार कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल ईवीएम पर सवाल उठाते रहें है…. और बीजेपी द्वारा चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाया जाता रहा है…. जिससे मोदी सरकार की जमकर फजीहत हो रही है…. आपको बता दें कि विपक्ष लगातार कहता चला आ रहा है कि मोदी ईवीएम से चुनाव जीतते हैं…. इसके लिए चुनाव आयोग पर भी लगातार सवालिया निशान उठते रहें है…. लेकिन चुनाव आयुक्त राजीव कुमार पर कोई असर नहीं पड़ रहा है…. और विपक्ष को ईवीएम से जुड़ी सही और सटीक जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं…. जिसको लेकर विपक्ष लगातार कहता रहा है कि चुनाव आयोग मोदी के इशारे पर काम कर रहा है…. ऐसा कहे भी न क्यों…. क्योंकि आज के समय में मोदी को सत्ता में बनाए रखने के लिए चुनाव आय़ोग ने अपनी निष्पक्षता को खो दिया है…. और सिर्फ एक पार्टी के लिए काम कर रहा है…. हाल ही में हुए दो राज्य़ों के चुनावों में ईवीएम को लेकर बड़ा प्रदर्शन देखने को मिला…. और महाराष्ट्र के एक गांव की जनता ने ईवीएम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था… कि हमने बीजेपी को वोट ही नहीं दिया फिर उनको वोट कैसे पड़ गया… जिसके बाद सरकार ने अपने तंत्रों का प्रयोग करके आम जनता की आवाज को दबाने का काम किया है….

आपको बता दें कि चुनाव खत्म होने के बाद लगातार सत्ता के इशारे पर आंकड़ो में हेराफेरी का खेल चलता रहा हैं…. जिसको लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार और चुनाव आय़ोग को हमलावर रहा है…. जिसको देखते हुए मोदी ने बीते दिनों एक बड़ा फैसला लेते हुए चुनाव नियम उन्नीस सौ इकसठ में संसोधन कर दिया हैं…. मतदान केंद्रों के CCTV कैमरों और वेबकास्टिंग की फुटेज तक अब आम लोगों की पहुंच मुश्किल होगी….. केंद्र सरकार ने इसके लिए चुनाव नियमों में बदलाव किया है….. इलेक्शन कमिशन की सिफारिश पर केंद्रीय कानून मंत्रालय ने शुक्रवार को यह फैसला किया….. EC के एक अधिकारी ने कहा, ‘चुनाव संचालन उन्नीस सौ इकसठ के नियम तिरानबे (दो)ए में संशोधन किया गया है….. ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां नियमों का हवाला देते हुए इलेक्ट्रॉनिक रेकॉर्ड मांगे गए…… मतदान केंद्रों के अंदर CCTV कैमरे के फुटेज के दुरुपयोग से वोटर्स की गोपनीयता से समझौते का डर था….. ऐसे फुटेज को AI के जरिए फर्जी कहानी बनाने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है…..

आपको बता दें कि चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे सभी डॉक्यूमेंट्स उम्मीदवार के लिए उपलब्ध हैं….. जिसमें फुटेज भी शामिल है…. संशोधन के बाद भी ये उनके लिए उपलब्ध रहेंगे….. लेकिन आम लोग ऐसे इलेक्ट्रॉनिक रेकॉर्ड हासिल करने के लिए कोर्ट का रुख कर सकते हैं….. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में विधानसभा चुनाव से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट याचिका दायर करने वाले के साथ शेयर करने का निर्देश दिया था….. चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि नियम तिरानबे (दो) में इलेक्ट्रॉनिक रेकॉर्ड को लेकर स्पष्टता नहीं थी….. इसी को दूर करने के लिए नियम में यह संशोधन किया गया….. वहीं चुनाव संचालन नियमों में हालिया संशोधनों को चुनौती देते हुए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है….. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की ओर से याचिका दायर की गई है…. दरअसल चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्रालय ने चुनाव संचालन नियम उन्नीस सौ इकसठ के नियम तिरानबे (दो)(ए) में संशोधन किया था….. ताकि सार्वजनिक निरीक्षण के लिए कागजातों या दस्तावेजों के प्रकार को प्रतिबंधित किया जा सके…..

वहीं अब से चुनाव से संबंधित सभी दस्तावेज जनता के लिए उपलब्ध नहीं होंगे….. यानि आम लोग इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड नहीं मांग सकेंगे…. इसे लेकर जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट भी किया है…. आपको बता दें कि जयराम रमेश ने लिखा कि निर्वाचनों का संचालन नियम….. उन्नीस सौ इकसठ में हाल के संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट दायर की गई है….. चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है….. इस पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है….. इसलिए इसे एकतरफा और सार्वजनिक विचार-विमर्श के बिना इतने महत्वपूर्ण नियम में इतनी निर्लज्जता से संशोधन करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है….. और उन्होंने आगे लिखा कि ऐसे में तो विशेष रूप से नहीं जब वह संशोधन चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी…. और जवाबदेह बनाने वाली आवश्यक जानकारी तक सार्वजनिक पहुंच को समाप्त करता है….. चुनावी प्रक्रिया में सत्यनिष्ठा तेजी से कम हो रही है…. उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे बहाल करने में मदद करेगा…..

चुनाव संचालन नियमों के पहले के नियम तिरानबे (दो) (ए) में कहा गया था कि चुनाव से संबंधित सभी अन्य कागजात सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले रहेंगे….. जबकि अब नियम के संशोधित संस्करण में कहा गया है कि….. चुनाव से संबंधित निर्दिष्ट या निर्धारित दस्तावेज ही सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले रहेंगे…. जिनका नियमों में जिक्र किया गया है…. प्रतिबंधित सामग्रियों में सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग क्लिप और चुनाव के दौरान उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग शामिल हैं….. माना जा रहा है कि यह कदम पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा चुनाव आयोग को हाल ही में हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान चुनाव संबंधी सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए जाने के बाद उठाया गया है….. बता दें कि नामांकन फॉर्म और चुनाव परिणाम जैसे दस्तावेज़ सार्वजनिक पहुंच के लिए सूचीबद्ध हैं….. लेकिन सीसीटीवी फुटेज जैसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड इसमें शामिल नहीं हैं….. चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले नियमों के तहत इन इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के लिए अनुरोध किए गए हैं…. संशोधन में स्पष्ट किया गया है…. कि केवल निर्दिष्ट दस्तावेज़ ही निरीक्षण के लिए खुले हैं….. संदर्भित नहीं किए गए अन्य दस्तावेजों को छोड़कर…..

केंद्र सरकार ने चुनाव से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव किए हैं…. जिसे लेकर सियासत में भूचाल आ गया है….. सरकार ने सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को सार्वजनिक करने से रोकने के नियमों में बदलाव किया गया है…. ताकि उनका दुरुपयोग नहीं किया जा सके….. चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्रीय कानून मंत्रालय ने चुनाव संचालन नियम….. उन्नीस सौ इकसठ  के नियम तिरानबे (दो) (ए) में संशोधन किया है…. ताकि सार्वजनिक निरीक्षण के लिए कागजातों या दस्तावेजों के प्रकार को प्रतिबंधित किया जा सके…..

आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनाव नियमों में संशोधन को लेकर केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की….. और उन्होंने इसे चुनाव आयोग की निष्पक्षता…. और विश्वसनीयता को कमजोर करने की एक सोची-समझी साजिश करार दिया….. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पहले मोदी सरकार ने सीजेआई को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले पैनल से हटा दिया था….. और अब वे चुनावी जानकारी को जनता से छिपाना चाह रहे हैं….. ये सरकार की सोची-समझी साजिश है….. वहीं जब भी कांग्रेस ने इलेक्शन कमीशन को वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने….. और ईवीएम में ट्रांसपेरेंसी के बारे में लिखा….. तो चुनाव आयोग ने अपमानजनक लहजे में जवाब दिया…. और हमारी शिकायतों को भी स्वीकार नहीं किया…..

वहीं सीपीआई(एम) ने इलेक्ट्रॉनिक नियमों में इन बदलाव को जल्द से जल्द वापस लेने की मांग की है….. पार्टी के पोलित ब्यूरो ने जारी बयान में नियमों में संशोधनों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि…. इन संशोधनों के जरिए सरकार इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तक राजनीतिक दलों…. और उम्मीदवारों की पहुंच को रोकने का काम कर रही है….. पार्टी ने कहा कि मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि सरकार ने नए नियमों का मसौदा….. तैयार करते हुए चुनाव आयोग के साथ विचार-विमर्श किया….. लेकिन चुनाव आयोग ने किसी भी राजनीतिक दल से इस पर चर्चा नहीं की….. आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने पोलिंग स्टेशन के सीसीटीवी, वेबकास्टिंग फुटेज…. और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स को पब्लिक करने से रोकने के लिए चुनाव नियमों में बदलाव किया है…..

बता दें कि बीते दिनों चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्रीय विधि मंत्रालय ने सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज के साथ-साथ उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोकने के लिए चुनाव नियम….. उन्नीस सौ इकसठ में संशोधन किया….. और केंद्र ने तर्क दिया था कि इस कदम का उद्देश्य उनके दुरुपयोग को रोकना है…… इस कदम की आलोचना करते हुए खड़गे ने कहा कि इससे पहले उन्होंने (केंद्र) भारत के मुख्य न्यायाधीश को चयन पैनल से हटा दिया था….. जो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करता है….. और अब वे हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी चुनावी जानकारी रोकने का सहारा ले रहे हैं….. बता दें कि चुनाव आयोग की सिफारिश पर कानून मंत्रालय ने बीस दिसंबर को द कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल में बदलाव किया है….. वहीं नियम तिरानबे कहता है कि “चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज पब्लिकली उपलब्ध रहेंगे.” और अब इसे बदलकर “चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज ‘नियमानुसार’ पब्लिकली उपलब्ध रहेंगे” कर दिया गया है….

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक केस में हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़े दस्तावेज याचिकाकर्ता से साझा करने का निर्देश दिया था….. इसमें CCTV फुटेज को भी नियम तिरानबे (दो) के तहत माना गया था…… चुनाव आयोग ने कहा था कि इस नियम में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड शामिल नहीं है….. इस अस्पष्टता को दूर करने के लिए नियम में बदलाव किया गया है…. चुनाव आयोग के मुताबिक नॉमिनेशन फॉर्म, चुनाव एजेंटों की नियुक्ति, चुनाव रिजल्ट….. और इलेक्शन अकाउंट स्टेटमेंट जैसे दस्तावेजों का उल्लेख कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल में किया गया है….. जबकि कोड ऑफ कंडक्ट के दौरान CCTV फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज इसके दायरे में नहीं आते…..

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