जांच के बाद बंद हो सकता है मेकवेल हॉस्पिटल!
- ई-रिक्शा से ज्यादा निजी अस्पताल, रोज ले रहे हैं लोगों की जान
- सिर्फ पैसा कमाना मकसद दवाईयों, पैथालॉजिकल रिपोर्ट और चिकित्सीय सुविधाओं के नाम पर मरीजों को लूट रहे हैं
- न पार्किंग, न फायर, फिर भी सुपरस्पेशल हॉस्पिटल का दावा
- न जाने कितने लोगों के घरों में मातम बरपा रहे हैं डग्गामार अस्पताल
- कई अस्पतालों के सुपर डीलक्स रूम तो ओयो रूम की तरह हो रहे हैं इस्तेमाल
- दिमाग को सन्न कर देने वाली फर्जी अस्पतालों की पोल खोलती 4PM न्यूज नेटवर्क की यह रिपोर्ट…
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। चौक चौराहे से लेकर दुब्बगा चौराहे तक कम से कम 150 अस्पताल, सहादतगंज हो या फिर गोमतीनगर जैसे पॉश इलाके इन डग्गामार अस्पतालों ने किसी को नहीं बख्शा। लखनऊ की संकरी गलियां हो या फिर चौड़े रास्ते सभी जगह आप को ट्रामा सुविधाओं से लेकर जीवन रक्षक उपकरणों से लैस बड़े-बड़े अस्पताल मिल जाएंगे। यह अस्पताल लोगों की जिंदगियों से खेल रहे हैं और न जाने कितने घरों में मौत का मातम बरपा कर चुके हैं।
सरकार इनका कुछ नहीं बिगाड़ पा रही। सभी जगह ऐन, केन और येन फार्मूले के तहत सबकुछ शांतिपूर्वक चल रहा है। बस हो हल्ला तब मचता है जब किसी को किसी का भ्रष्टाचारी लिफाफा समय पर नहीं पहुंचता है। तब छापे और दूसरी अन्य कार्रवाई करके अपने फर्ज की इतिश्री कर ली जाताी है। हद तो यहा तक पहुंच चुकी है कि मेडिकल कालेज से लेकर दूसरे अन्य सरकारी आस्पतलाओं के मरीज तक इन निजी अस्पतालों में पूल हो जाते हैं। एंबूलेंस की अपनी अलग कहानी है, पैथालॉजिकल रिपोर्ट की तो पूछिये मत। नकली दवाइयों ने कहर बरपा कर रखा है। इन सब चीजों का काकटेल मरीज को सीधे यमलोक के दरवाजे पर पहुंचा रहा है और हम चुपचाप खड़े तमाश देख रहे हैं। 4पीएम कभी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटा। सच के सामने चाहे जो खड़ा हो हमने उसे हटाकर हमेशा सच को दिखाया है। इस बार हमने एैसे ही फर्जी अस्पतालों के खिलाफ बीड़ा उठाया है। हमे धमकियां मिलनी शुरू हो चुकी है और हमारे रिपोर्टस को अर्दब में लेने की कोशिशे भी हुई है। हम पहली कड़ी में कठौता झील सिथत मेकवेल अस्पताल का काला चिटठा लेकर आ रहे हैं। आगे भी हमारी यही कोशिश जारी रहेगी। मेकवले हॉस्पिटल के डायरेक्टर के मुताबिक यह अस्पताल मल्टीस्पेशल चिकित्सय सुविधाओं से लैस है जो किसी को दिखती नहीं है। यहां पैरामेडिकल स्टाफ के तौर पर 29 लोग काम कर रहे हैं। ईएमओ भी है। फार्मेसी और पैथालॉजी की सुविधा इन हाउस है। टोटल रजिस्ट्रर्ड बेड की संख्या 45 है। जनरल वार्ड में 10 बेड है औरआईसीयू में 18 बेड इसके अतिरिक्त डीलक्स और सेमी डीलक्स रूम की सुविधा भी उपलब्ध है।
‘जांच करा के उचित कार्रवाई करेंगे’
सिक्योरिटी गार्ड अवनीश सिंह ने बताया कि यहा सैलरी की समस्या शुरू से हैं। समय पर सैलरी नहीं मिलती। वहीं उसने बताया कि लोगों को जो दिक्कतें आती है उसकी वह शिकायत करते हैं। बिलिंग इंचार्ज के मुताबिक यहां पर सबकुछ सही चल रहा है। खैर इस विषय पर हम अपनी अगली रिपोर्ट में बताएंगे कि यहां पर क्या—क्या और कैसे कैसे कारनामों को अंजाम दिया जा रहा है। इस विषय पर सीएमओ लखनउ एनबी सिंह ने कहा है कि हम जांच करा के उचित कार्रवाई करेंगे ठीक शिकायतों के संबध में यदि अस्पताल उन्हें ठीक करेगा तो ठीक वर्ना हास्पिटल को बंद करा दिया जाएगा।
लंबे समय से लग रहे हैं तरह-तरह के आरोप
यह कहानी सिर्फ मेकवेल हॉस्पिटल जैसे हास्पिटल की नहीं है। इस जैसे सैकड़ों निजी अस्पताल आप को लखनऊ के किसी भी गली मोहल्ले के मोड़ पर मिल जाएंगे जो खुद को सुपर स्पेशल हॉस्पिटल होने का दावा करेंगे। सोचिए जिस अस्पताल में लिफ्ट नहीं है, पार्किंग की व्यवस्था नहीं है और अपने कर्मचारियों को देने की तनख्वाह नहीं है वह कैसा हास्पिटल होगा? 4पीएम न्यूजनेटवर्क के पास लंबे समय से इस अस्पताल की शिकायतों के फोन आ रहे थे। हमारे रिपोर्टर ने जब शिकायतों की सच्चाई को जाना तो होश उड़ा देने वाले तथ्य सामने आये। इस अस्पताल के खिलाफ लोग खुद को सामने न लाकर लंबे समय से तरह-तरह के आरोप लगा रहे है। कोई कुछ कहता है तो कोई किसी दूसरे प्रकार का आरोप लगाता है। मेकवेल हास्पिटल में नियमों के मुताबिक न तो पार्किंग व्यवस्था मिली और न ही लिफ्ट चलती मिली। मरीजों के साथ खराब आचरण के तो अनगिनत किस्से मिले।