विधानसभा में बजट पेश कर फंसी योगी सरकार अखिलेश-मायावती ने भाजपा को कर दिया एक्सपोज!
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यूँ तो योगी सरकार दावे करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती है। भाजपा नेता कानून व्यवस्था से लेकर महिला सुरक्षा तक की गारंटी लिए फिरते हैं। उनके हिसाब से शिक्षा और रोजगार में भी कोई कमी नहीं है। बस लोग ही काबिल नहीं हैं जो उनके द्वारा दिए गए रोजगार के काबिल हों। जबकि असल हकीकत क्या है ये बात राज्य में रहने वाले किसी भी शख्स से छुपी नहीं है। आलम ये है आज लगभग 5, 7 सालों से लोग रोजगार की तलाश में दर बा दर की ठोकरें खा रहे हैं। रात में ये सोच कर सोते हैं कि शयद कल योगी सरकार की नींद खुलेगी और युवाओं को रोजगार देने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी। मगर अफसोस युवाओं का ये ख्वाब महज ख्वाब ही रह गया है।
सरकार को सिर्फ सत्ता पर कब्ज़ा पाने की जल्दी है राजनेताओं के धंधे चलते रहें गरीब के घर चूल्हा जले या न जले इससे उन्हें कुछ खास फर्क नहीं पड़ता है। हाँ वहीं कहीं चुनाव नजदीक हो तो जरूर भाजपा के नेता मंचों पर खड़े होकर बड़े बड़े वादे कर लेते हैं। ये कोई युवाओं की बात नहीं है इस सरकार में कई ऐसे तबके हैं जिन्हें भाजपा सरकार से लगातार उम्मीद है लेकिन सरकार का उनपर ध्यान ही नहीं जा रहा है। बिजली पानी से लेकर छात्रों की शिक्षा किसानों के लिए बेहतर सुविधा, इन सबपर सरकार का ध्यान ही नहीं है। ध्यान है तो बस अपनी जेब भरने पर।
खैर अब इन सब में लोगों को महज उम्मीद होती है सरकार द्वारा विधनसभा में पेश किये बजट से। लेकिन बीते कई सालों से सरकार बजट को लेकर भी लोगों की उम्मीदों पर पानी फेरती नजर आ रही है। योगी सरकार ने 9वां बजट पेश किया। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने आठ लाख, आठ हजार 736 करोड़ का बजट पेश किया है। वित्तमंत्री सुरेश खन्ना विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-2026 के लिए बजट पेश करते हुए कई बड़े एलान किए हैं। यूपी सरकार मेधावी छात्राओं को पात्रता के आधार पर स्कूटी देगी। युवाओं को ब्याजमुक्त लोन दिया जाएगा। चार नए एक्सप्रेसवे का एलान किया गया है। 58 नगर पालिकाओं को स्मार्ट सिटी बनाया जाएगा। ये साड़ी चीजें सुनने में बहुत अच्छी लग रही होंगी। लेकिन असलियत कुछ और है। इस पूरे बजट में गरीबों, किसानों, और युवाओं के लिए कुछ खास नहीं दिखा। जिसे लेकर विपक्ष ने भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला है।
सरकार के इस बजट पर बड़ा आरोप लगाते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती, कांग्रेस विधायक आरधना मिश्रा ‘मोना’ समेत अन्य बड़े नेताओं ने हमला बोला। यूपी सरकार प्रस्तुत किये गए बजट को लेकर मायावती प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर कहा कि यूपी सरकार द्वारा विधानसभा में आज पेश 2025-26 का बजट यदि व्यापक जनहित व जनकल्याण का ज्यादा होता तो यह बेहतर होता, जबकि बजट में महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ेपन को दूर करने व आमजन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के प्रति पर्याप्त सरकारी नीयत-नीति का अभाव है। ऐसे सही विकास कैसे संभव है? कुल मिलाकर, यूपी भाजपा सरकार का बजट भी पेट भरे मध्यम वर्ग के तुष्टीकरण वाला है जबकि सरकारों की असली चिन्ता व संवैधानिक दायित्व करोड़ों परिवारों की दरिद्रता को दूर करके सुख-चैन पहुंचाने वाला सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय के उद्देश्य की पूर्ति का होना चाहिए। ऐसा ना होना चिन्तनीय।
साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के शहर, गांव, क्षेत्र एवं समाज बुनियादी सुविधाओं के अभाव व अनेकों विषमताओं से जूझ रहे हैं तथा लोगों को जब सड़क, पानी, स्कूल, अस्पताल, रोजी-रोजगार के बेहतर व्यवस्था करने की मांग है तब उन्हें दूसरे सपने दिखाना यह समस्या का सही समाधान नहीं। वहीं इसे लेकर कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा ने कहा, “यूपी सरकार ने पिछली बार भी बहुत बड़ा बजट 7.18 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था पर सरकार विभागों को इसका 53 से 54 प्रतिशत ही बजट आवंटित कर पाई है। ऐसे में केवल आंकड़े बड़े कर देने से यूपी की जनता का भला नहीं होने वाला है। जनता की भलाई की सरकार की नियत, नियति और इच्छाशक्ति नहीं है।”
वहीं इस पूरे बजट को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने जो कहा उसे सुनकर भाजपा के खेमे में खलबली सी मच गई है। उन्होंने बजट पर घेरते हुए कहा कि महिलाओं के माथे पर घर चलाने की चिंता की लकीरें उभर आई हैं। आम जनता के लिए इसमें कुछ नहीं है लोग कह रहे हैं कि सरकार का प्रवचन तो गया है अब बजट कब आएगा। उन्होंने कहा कि बजट देखकर मंत्री और विधायक भी निराश हैं क्योंकि इसमें उनके अपने विभाग के लिए कुछ नहीं है। आखिर उन्हें ही जनता को फेस करना है। भाजपा ने इस बजट में भी अपने संकल्प पत्र के वादे पूरे नहीं किए हैं।
ये उनका नौवां बजट है। साथ ही उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने कहा कि बजट में महंगाई और बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिए कुछ भी नहीं है। प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा बजट पेश होने पर उन्होंने कहा कि बजट बड़ा होने से कुछ नहीं होता है सवाल ये है कि इसमें युवा, किसान और बेरोजगारों और महिलाओं को क्या मिला है। इस वर्ष के बाद योगी सरकार अपना आखिरी बजट पेश करेगी जिसके बाद नई सरकार सत्ता में आएगी। बात यहीं खत्म नहीं होती जिस हिसाब से ये बजट को लेकर योगी सरकार ने ढिंढोरा पीटा था उसपर खरी नहीं उतर सकी।
गौरतलब है कि इस बजट के बलबूते पर योगी सरकार आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव की भूमिका बांधना चाह रही थी लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि इस बजट को लेकर एक तरफ जहां भाजपा के नेता अपनी वाह वाही बटोर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष भाजपा को लगातार घेर रहा है। अब इसमें किसका कितना फायदा होगा ये तो खैर आने वाला चुनाव ही तय करेगा। लेकिन अभी की बात की जाए तो यूपी सरकार के इस बजट को लेकर जनता और विपक्ष दोनों जमकर हमलावर है।