महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री के बयान पर कोहराम
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- पुणे रेपकांड पर की शर्मनाक टिप्पणी
- अब क्या करेंगे सीएम फडणवीस
- महायुति सरकार की पूरे देश में थू-थू
- योगेश कदम के बयान से लग रहा है आरोपी के साथ खड़ी है सरकार!
- गृह राज्य मंत्री ने बोला शांतिपूर्वक तरीके से हुआ रेप
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। फास्ट टै्रक आदलातें, सख्त कानून और फांसी की सजा। देश में बलात्कार को रोकने के लिए वह सबकुछ किया गया जो संभव के दायरे में आता है। लेकिन न तो सूरत बदली और न ही मानसिकता। बस फर्क सिर्फ इतना आया कि दिल्ली में बालत्कार चलती बस में हुआ था और महाराष्ट्र में खड़ी बस में एक युवती के साथ बालत्कार किया गया।
यही नहीं इंसानियत को तार-तार कर देने वाले महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री योगेश कदम का बयान ने पूरे देश में तूफान मचा दिया है। कदम ने कहा है कि रेप शांतीपूर्वक तरीके से हुआ है लड़की ने शोर क्यों नहीं मचाया। उनके इस बयान पर विपक्ष हमलावर है और जनता उनके बयान की भर्तस्ना कर रही है। कांग्रेस ने फडणवीस सरकार से तुरंत गृह राज्यमंत्री को बाहर करने की अपील की है।
असंवेदनशील बयान पर बीजेपी चुप क्यों?
बड़ा सवाल यहीं है कि यदि इस तरह का बयान किसी गैर भाजपाई राजनीतिक दल के किसी सदस्य ने दिया होता तो क्या होता? बीजेपी आज भी मुलायम सिंह यादव के लड़कों से गलती हो जाती है वाले बयान को लेकर तरह—तरह के व्यंग कसती है। अभी कुछ दिन पहले ही यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने भी इस बयान को याद दिलाया था तो सदन में काफी हंगामा हो गया था। ऐसे में यदि इस संवेदनशील मुददे पर सरकार के शीर्ष पद पर बैठा व्यक्ति असंवेदनशील बयान जारी करता है तो फिर उसके क्या मायने होंगे।
सरकार के घटक दलों ने मांगी है फांसी की सजा
यह बात सही है कि सरकार में साथ दे रहे शिव सेना और अजीत पवार दोनों ने ही घटना की निंदा की है और आरोपी को फांसी देने की मांग की है। ऐसे में बीजेपी सरकार में मंत्री योगेश कदम ने क्या यह बयान वोट बैंक पालिटिक्स के तहत दिया है यह समझना जरूरी होगा। महाराष्ट्र पुलिस ने जनता के सहयोग से रेपेस्टि को गिरफ्तार करने में सफलता पाई।
आरोपी के साथ है सरकार : सपकाल
महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने बयान पर कड़ा विरोध जताया है। हर्षवर्धन सपकाल ने कहा है कि जब कोई पीडि़ता खराब समय से गुजरती है तो उसकी प्रतिक्रिया क्या होनी चाहिए, इसकी परिकल्पना करना भी समझ से परे है। गृह राज्य मंत्री का जिस तरह का बयान है, ऐसे लोगों को सार्वजनिक रूप से ही संन्यास ले लेना चाहिए। वह क्या बोल रहे हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा है। वह पीडि़ता के साथ हैं या फिर आरोपी के साथ? मैं समझता हूं कि इस तरह के बयान नहीं होने चाहिए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की महायुति सरकार दो वर्गों, दो धर्मों में लड़ाई लड़वाना चाहती है। जो भी घटनाएं हो रही हैं, वह सरकार की विफलता को दर्शाती हैं।
नेताओं से लेकर कानूनविदों ने की आलोचना
पुणे घटना को लेकर नेताओं से लेकर पूर्व न्यायाधीश तक ने आलोचना की है। पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि निर्भया घटना के बाद कानूनों में बहुत सारे बदलाव किए गए, हालांकि, हम केवल कानून बनाकर ऐसी घटना को नहीं रोक सकते। चंद्रचूड़ ने कहा कि समाज पर बड़ी जिम्मेदारी है और इसके अलावा कानूनों का क्रियान्वयन भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए बने कानूनों को सही ढंग से लागू किया जाना चाहिए। महिलाएं जहां भी जाएं उन्हें सुरक्षित महसूस करना चाहिए। वंहीं संजय राउत ने कहा कि अगर राज्य में विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी की सरकार होती तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महिला नेता अब तक राज्य मुख्यालय मंत्रालय के बाहर हंगामा कर रही होतीं। राउत ने महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता की भाजपा नीत सरकार की लाडकी बहिन योजना का जिक्र करते हुए पूछा, हर महीने 1,500 रुपये देकर क्या आपने महिलाओं का आत्मसम्मान खरीद लिया है?
नहीं बदली सूरत
दिल्ली के निर्भया रेप कांड के बाद देश में रेप को लेकर सख्त कानून बने। लोगों को लगा कि कानून बनने से और दंड मिलने से अपराधियों के मन में भय व्यप्त होगा और रेप होना कम होंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रेप की घटनाओं में कमी नहीं आयी। दिल्ली से मिलता जुलता कांड महाराष्टï्र में हो गया । वहां खड़ी बस में युवति के साथ रेप कर दिया गया। रेप के बाद जिस तरह की कार्रवाई दिल्ली में हुई थी उस तरह की कर्रवाई महाराष्ट्र में देखेने को नहीं मिली। बड़ा सवाल यही है कि आखिर गृह राज्य मंत्री को रेप को जस्टीफाई करने की क्या जरूरत थी। अगर उनकी जुबान फिसली है तो फिर आलाकामन ने उस पर क्या कार्रवाई की।
शिवसेना-बीजेपी में बढ़ेगी तकरार!
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच सियासी तकरार बढऩे के आसार दिख रहे हैं. शिंदे सरकार के दौरान स्वास्थ्य विभाग के 3,200 करोड़ रुपये के काम को देवेंद्र फडणवीस ने स्थगित कर दिया है। तानाजी सावंत पर बिना किसी कार्य अनुभव के कंपनी को मैकेनिकल सफाई का ठेका देने का आरोप लगा है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे सरकार के दौरान की कथित अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है, शिंदे सरकार के कई फैसले स्थगित कर दिए गए, वहीं कुछ को रद्द भी कर दिया गया. तानाजी सावंत शिंदे सरकार के दौरान स्वास्थ्य मंत्री थे। उनके कार्यकाल के दौरान अधिकारियों के तबादलों और एम्बुलेंस खरीद सहित हजारों करोड़ रुपये के घोटाले होने की बात सामने आ रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधीन सभी सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों की सफाई का कार्य आउटसोर्सिंग से कराने पर सहमति बनी. इसके लिए 30 अगस्त 2024 को पुणे की एक निजी कंपनी को सालाना 638 करोड़ रुपये और 3 साल के लिए कुल 3,190 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया। सीएम फडणवीस ने मंत्रियों के ओएसडी और निजी सचिव के मामले में भी सख्त रुख अपनाया है। मंत्रियों के ओएसडी और सचिव की नियुक्त के लिए 125 नाम भेजे गए थे, जिसमें सीएम ने 109 नामों को मंजूरी दी है जबकि 16 नामों को रोक दिया है उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि वह किसी दलाल को यह जिम्मेदारी नहीं देंगे। इन नामों में कुछ ऐसे नाम है जिनके सुझाव को एकनाथ शिंदे की शिवसेना की ओऱ से भी गए थे। इस फैसले की उद्धव ठाकरे गुट ने भी तारीफ की थी। शिवसेना यूबीटी ने कहा था कि फडणवीस राज्य के शासन में अनुशासन लाने के लिए मजबूत कदम उठा रहे हैं। सीएम फडणवीस ने भ्रष्टाचार के नाले की सफाई शुरू कर दी है।