योगी राज में विकास पर नहीं हो रही कोई बात, जुमलों से चल रहा सारा काम

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को प्रदेश की सत्ता में आठ साल हो गए हैं.... लेकिन इन आठ सालों में योगी बाबा ने विकास की कोई बात नहीं की है....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को प्रदेश की सत्ता में आठ साल हो गए हैं…. लेकिन इन आठ सालों में योगी बाबा ने विकास की कोई बात नहीं की है…. जो वादे योगी बाबा ने जनता से किए थे…. सभी वादे, वादे रहकर ही रह गए…. और सरकार का सारा विकास मस्जिद और मंदिर पर आकर टिक गया…. प्रदेश में एक के बाद एक मस्जिद के मुद्दे उठने लगे…. और प्रदेश में एक के बाद एक मस्जिद को जमींदोज करने काम किया जाने लगा…. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक मस्जिद को गिराने को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है….. गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने शहर के घोष चौराहे पर बनी मस्जिद को गिराने का आदेश दिया है….. मस्जिद के जिम्मेदारों ने कोर्ट में इस नोटिस के ख़िलाफ़ अपील की है….. स्थानीय लोगों और मस्जिद समिति का दावा है कि पिछले साल यानी 2024 में इस ज़मीन पर ब्रिटिश काल की बनी एक पुरानी मस्जिद को नगर निगम ने गिरा दिया था…. वहीं इस मामले पर 3 मार्च को कमिश्नर कोर्ट में सुनवाई भी हुई है….. हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है…..

आपको बता दें कि ये मस्जिद करीब 1200 वर्ग फ़ीट पर बनी थी….. जब इस मामले पर विवाद बढ़ा….. तो निगम के नगर आयुक्त ने मुस्लिम समुदाय के साथ बैठक कर उन्हें पास में ही 520 वर्ग फ़ीट ज़मीन मस्जिद बनाने के लिए दे दी थी….. लेकिन अब जीडीए ने नोटिस में कहा है कि नगर निगम की ज़मीन पर अवैध तरीक़े से मस्जिद बनाई गई है…… इसको गिराने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है….. जीडीए का कहना है कि बिना नक्शा पास कराए मस्जिद का निर्माण कराया गया है…. दूसरी ओर मस्जिद के पक्ष के लोग कह रहे हैं कि 100 वर्गमीटर से कम पर किसी भी निर्माण के लिए नक्शा पास कराना ज़रूरी नहीं है….. वैसे उत्तर प्रदेश में इस तरह का पहला मामला नहीं है….. इससे पहले भी प्रशासन ने कई जगह अतिक्रमण की बात कहकर धर्मस्थलों को गिराया है…..

वहीं गोरखपुर नगर निगम ने दावा किया था कि पिछले 50 वर्षों से घोष कंपनी चौराहे के पास ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा था…… नगर निगम ने 25 फरवरी 2024 को एक अभियान चलाकर ज़मीन पर बनी 31 दुकानों और 12 आवासीय परिसरों को हटाया था….. इनमें एक पुरानी मस्जिद भी शामिल थी….. जब इस मामले पर विवाद बढ़ा, तो नगर निगम ने मस्जिद निर्माण के लिए 520 वर्ग फ़ीट ज़मीन दक्षिण पूर्वी कोने पर देने की सहमति जताई थी….. लेकिन वहाँ मस्जिद का निर्माण हो जाने के बाद जीडीए ने कहा कि इसका नक्शा पास नहीं कराया गया….. हालाँकि इससे पहले जीडीए ने मस्जिद कमेटी को नोटिस देकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा था….. फिलहाल, गोरखपुर की मस्जिद समिति ने शनिवार से ख़ुद ऊपरी मंज़िल के हिस्से को तोड़ना शुरू कर दिया है….. वहीं इस मामले पर 3 मार्च को कमिश्नर कोर्ट में सुनवाई भी हुई है….. उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है…..

वहीं इस मामले में जीडीए के वाइस चेयरमैन आनंदवर्धन ने कहा कि क्योंकि अब ये मामला न्यायालय में है तो उसके निर्णय के बाद ही कोई टिप्पणी की जा सकती है….. मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल हामिद कासमी ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि हमारी सौ-सवा सौ साल पुरानी एक मस्जिद थी…… जिसे नगर निगम ने तोड़ दिया था….. उसके बाद हम लोग नगर निगम और ज़िलाधिकारी कार्यालय गए….. इसके बाद हम लोगों को एक किनारे साइड में ज़मीन दी गई थी…… जिसका नक्शा बनवाने के लिए हम लोग ऑफ़िस गए थे…. तब वहां बोला गया कि 1000 स्क्वायर फ़ीट के ऊपर नक्शा पास होता है….. उन लोगों ने कहा कि आप लोग अपना निर्माण कर लें….. हम लोगों को कोई परेशानी नहीं है…… और उन्होंने बताया कि अब यह मस्जिद बनकर तैयार हो गई है….. उसके बाद जीडीए ने नोटिस भेजा है…. और उसमें लिखा है कि यह आप लोगों का जो निर्माण है, वह ग़लत है….. इसका नक्शा पास नहीं है….. इसको लेकर जीडीए ने 15 दिन का समय दिया है….. मस्जिद को ख़ुद ध्वस्त कर लें….. नहीं तो 15 दिन के बाद जीडीए ख़ुद इसे ध्वस्त कर देगी…. और उसका ख़र्चा भी हमसे लेगी…..

जीडीए ने 15 फरवरी को मस्जिद के दिवंगत मुतवल्ली के बेटे शोएब अहमद को नोटिस देकर 15 दिन में ख़ुद ही निर्माण हटाने को कहा था….. हालांकि नगर निगम के आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा कि ये मामला जीडीए के दायरे में आता है….. जिसको लेकर जमात ए इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोहतशिम ख़ान का आरोप है कि बुलडोज़र को मुसलमानों और उनके धार्मिक स्थल के ख़िलाफ़ हथियार बना दिया गया है….. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में ख़ास तौर से मुसलमानों के धार्मिक स्थल निशाने पर हैं….. अगर सरकार आंकड़ा जारी करे, तो पता चलेगा कि किस तरह से मुसलमानों को निशाना बनाकर कार्रवाई की जा रही है…… कितने धार्मिक स्थल निशाने पर हैं….. प्रशासन एकतरफ़ा ये कैसे तय कर सकता है कि ज़मीन उनकी है….. जब तक क़ानूनी प्रावधान का प्रयोग बाक़ी रहा गया हो….. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि किसी भी इमारत का ध्वस्तीकरण ही रास्ता नहीं है…..

हालांकि उत्तर प्रदेश में ये ऐसी पहली घटना नहीं है….. इससे पहले कुशीगर में 9 फरवरी को मदीना मस्जिद के एक हिस्से को अवैध बताकर गिरा दिया गया था….. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है….. 18 फरवरी को कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश सभी पक्षों को दिया है….. ये मस्जिद निजी ज़मीन पर बनी है….. मेरठ में भी 21 फरवरी को एक मस्जिद को गिरा दिया गया था….. अधिकारियों के मुताबिक़ ये मस्जिद दिल्ली-मेरठ-ग़ाज़ियाबाद आरआरटीएस के रास्ते में आ रही थी….. इस वजह से इसको गिराया गया है….. पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में ये मस्जिद गिराई गई….. मेरठ के एडीएम सिटी ब्रजेश कुमार सिंह ने मीडिया से कहा कि मस्जिद आरआरटीएस के लिए अधिग्रहित ज़मीन पर बनी हुई थी….. और उन्होंने कहा कि एनसीआरटीसी मेरठ रैपिड मेट्रो का काम कर रही है….. मस्जिद रास्ते में आ रही थी….. तो सभी की सहमति से मस्जिद को हटाया गया है…. वहीं अब ट्रैफ़िक भी सुचारू रूप से चल सकेगा….

 

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