आईएएस अधिकारी खुद को मानते हैं सीनियर: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के साथ जारी वर्चस्व की लड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बात कही है। देश की सर्वोच्च अदालत का कहना है कि आईएएस अधिकारी अक्सर आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों पर अपनी श्रेष्ठता साबित करने की कोशिश करते रहते हैं। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कॉम्पेन्सेटरी अफोरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी फंड के दुरुपयोग को लेकर सुनवाई कर रहा था। इसी दौरान यह बात कही है।सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बीआर गवई और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि उन्होंने यह अनुभव किया है कि आईएएस अधिकारी आईएफएस और आईपीएस अधिकारियों के ऊपर अपनी श्रेष्ठता दिखाने की कोशिश करते रहते हैं।न्यायमूर्ति गवई ने कहा,मैं तीन साल तक सरकारी वकील रहा। इसके बाद 22 वर्षों का मेरा न्यायधीश का करियर हो चुका है। अब मैं यह कहने की स्थिति में हूं कि आईएएस अधिकारी आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों से अपनी श्रेष्ठता दिखाना चाहते हैं। यह सभी राज्यों में एक निरंतर मुद्दा है। हमेशा यह शिकायत रहती है कि आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों के मन में यह जलन रहती है कि वे एक ही कैडर का हिस्सा होने के बावजूद आईएएस अधिकारी उन्हें अपने से जूनियर क्यों मानते हैं। फंड का दुरुपयोगसुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चिंता व्यक्त की कि फंड का इस्तेमाल गैर-स्वीकृत गतिविधियों के लिए किया गया है। जैसे कि आईफोन और लैपटॉप खरीदने के लिए इस फंड के इस्तेमाल को कोर्ट ने गलत माना है। कोर्ट ने संबंधित राज्य के मुख्य सचिव को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को आश्वस्त किया कि वह अधिकारियों के बीच ऐसे आंतरिक संघर्षों को सुलझाने की कोशिश करेंगे। बेंच ने कहा, फंड का उद्देश्य हरियाली बढ़ाना है। फंड के दुरुपयोग और उसके ब्याज का पैसा जमा नहीं किया जाना गंभीर चिंता का विषय है। बेंच ने संबंधित राज्य के मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।