ईडी मेहमान, भूपेश बघेल बने मेजबान

  • छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम के ठिकानों पर ईडी की कार्रवाई
  • चार इनोवा कारों से पहुंचे अधिकारी
  • पूर्व सीएम का जवाब- पंजाब में कांग्रेस को आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निशाने पर एक बार फिर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हंै। इस बार उनके बेटे चैतन्य बघेल के आवास पर छापेमारी की जा रही है। खबर लिखे जाने तक ईडी की 14 टीमे सर्च वारंट लेकर सर्वे की कार्रवाई कर रही हैं। गौरतलब है कि पूर्व में भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा और बघेल के दो विशेष कार्य अधिकारियों (ओएसडी) के परिसरों पर भी छापा मार कर तलाशी ली गयी थी।
आज सुबह छत्तीसगढ़ के भिलाई के पदुम नगर स्थित पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के आवास पर छापेमारी की। ईडी की 14 टीमें चार इनोवा कारों में सवार होकर चैतन्य के भिलाई स्थित आवास पर पहुंचीं। सूत्रों के मुताबिक आज की कार्रवाई एक बड़े अभियान का हिस्सा हो सकता है, जिसमें केंद्रीय जांच एजेंसी ने राज्य भर में करीब 14 स्थानों पर छापेमारी की, इनमें से कुछ चैतन्य बघेल से जुड़े हैं।

महादेव ऐप से जुड़ा है मामला

ईडी के अधिकारियों ने चैतन्य बघेल के दफ्तर के दस्तावेज खंगाले। बताया जा रहा है कि ईडी की टीम कोयला घोटाला और महादेव सट्टा ऐप मामले में जांच करने आई है। इससे पहले 2023 में जब राज्य में चुनाव होने वाले थे, तब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रायपुर और दुर्ग जिलों में बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा और दो विशेष कार्य अधिकारियों (ओएसडी) के परिसरों पर तलाशी ली थी।

षड्यंत्र से कोई लाभ नहीं : बघेल

पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यालय ने अपने एक्स हैंडल पर छापेमारी पर तुरंत प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में कहा गया है कि पिछले सात वर्षों से चले आ रहे झूठे केस को जब अदालत में बर्खास्त कर दिया गया है तो आज ईडी के मेहमानों ने पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल के भिलाई निवास में आज सुबह प्रवेश किया है। अगर इस षड्यंत्र से कोई पंजाब में कांग्रेस को रोकने का प्रयास कर रहा है तो यह गलतफहमी है। यह पहली बार नहीं है जब ईडी ने बघेल से जुड़े किसी मामले में छत्तीसगढ़ में तलाशी अभियान चलाया है।

राहुल के बेहद करीबी हैं भूपेश बघेल

भूपेश बघेल राहुल गांधी के बेहद करीबी और विश्वासपात्र बताये जाते हैं। राहुल गांधी के कहने पर ही छत्तीसगढ़ में टीएस सिंह देव की जगह भूपेश बघेल को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था। बाद में उन्हें पंजाब कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है। भूपेश बघेल ने पंजाब प्रभारी बनते ही वहां का राजनैतिक रूट मैप बना कर काम करना शुरू कर दिया है। भूपेश बघेल एक बेहतरीन संगठक माने जाते हैं। लोकसभा चुनाव में भूपेश ने यूपी की कई सीटों पर चुनाव प्रचार किया था। बाराबंकी लोकसभा में कई रैलियां आर नुक्कड़ सभाएं कर तनुज पूनिया की जीत प्रशस्त करने का काम भी किया।

किस केस में हुई कार्रवाई किसी को नहीं मालूम : खेड़ा

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने वीडियो जारी कर कहा है कि ईडी की छापेमारी की परंपरा बीजेपी ने शुरू की है। यह छापेमारी किस केस में की जा रही है किसी को नहीं मालूम। छापेमारी क्यों हो रही है? नहीं मालूम। उन्होंने आगे कहा कि आज से कुछ दिनों पहले कोर्ट ने सीबीआई का एक केस जो बघेल के खिलाफ था, उसको खारिज कर दिया था। उनके खिलाफ कोई केस नहीं है। फिर भी आज ईडी की छापेमारी उनके आवास पर चल रही है। आज संसद का सत्र शुरू हो रहा है। भाजपा चारों तरफ से घिरी हुई है। छापेमारी ध्यान भटाकने का एक षड्यंत्र है। ये भी हो सकता है कि भूपेश बघेल पंजाब में अपनी राजनीतिक गतिविधि अब शुरू कर रहे हैं, प्रभारी बने हैं।

बीजेपी सभासदों का विद्रोह, नहीं हो सकी निगम कार्यकारणी की बैठक

  • उच्चाधिकारियों की हिटलरशाही के विरोध में 10 सभासदों ने बनाई बैठक से दूरी
  • बजट अधर में, अब कैसे होगा शहर का काम

मो. शारिक/4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। जिस निकाय के बल पर आज बीजेपी की सत्ता पूरे देश में है। लगता है उसी निकाय में बीजेपी की चूलें हिलना शुरू हो गयी है। आज पहली बार ऐसा हुआ है कि नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक से बीजेपी के 10 पार्षदों के एकाएक नदारद होने के चलते बजट जैसी महत्वपूर्ण चर्चा को टालना पड़ा।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी पार्षदों में नगर निगम की कार्यशैली को लेकर लंबे समय से विरोध चल रहा है। सभासद एलएसए कंपनी का विरोध कर रहे हैं और उस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। लेकिन विरोध के बाद भी एलएसए को निगम के टेंडर मिल रहे हैं और वह काम कर रही है।

नहीं पहुंचने वाले सभासद

मुकेश सिंह मोंटी,अनुराग मिश्रा ,अनुप कवल सक्सेना उमेश सगवाल, भरगूनाथ शुक्ला, कृष्णा नारायण सिंह गौरी सांवरिया

नहीं पारित हो सका बजट

आज नगर निगम की कार्यकारिणी बैठक, जो वित्त वर्ष 2025-26 के बजट को पारित करने के लिए आयोजित की गई थी अधर में लटक गयी है। भारतीय जनता पार्टी के आठ पार्षद बिना किसी पूर्व सूचना के बैठक से अनुपस्थित रहे, जिससे नगर निगम का बजट पारित नहीं हो सका। यह बैठक आज सुबह 9 बजे नगर निगम मुख्यालय में प्रस्तावित थी, जिसकी सूचना सभी कार्यकारिणी सदस्यों को 3 मार्च को पत्र और फोन के माध्यम से दे दी गई थी। बैठक की पूर्व संध्या पर कैम्प ऑफिस में भी बजट को लेकर चर्चा की गई थी।

सिर्फ दो सभासद पहुंचे

आज की महत्वपूर्ण बैठक में भाजपा से केवल उपसभापति गिरीश गुप्ता और रंजीत सिंह ही उपस्थित हुए, जबकि आठ अन्य भाजपा पार्षद बिना किसी कारण बताए बैठक में नहीं पहुंचे। इस अनुपस्थिति के चलते नगर निगम के दैनिक कार्यों और लखनऊ के विकास योजनाओं पर प्रभाव पडऩे की आशंका जताई जा रही है। नगर निगम प्रशासन ने इस विषय पर गंभीरता दिखाते हुए संबंधित पार्षदों से अनुपस्थिति का कारण स्पष्ट करने की मांग की है। प्रशासन का मानना है कि बजट बैठक न होने से राजधानी की विकास योजनाओं में बाधा आ सकती है।

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