वक्फ संशोधन- यूसीसी का विरोध, मुसलमानों ने किया ब्लैकआउट
वक्फ अमेंडमेंट एक्ट और यूसीसी के विरोध में गुजरात के मुसलमानों 15 मिनट तक ब्लैकआउट किया... बुधवार रात 9 से सवा नौ तक मुस्लिम दुकानदारों

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात जो कभी देश की एकता और विविधता का प्रतीक माना जाता था…… आज एक बार फिर धार्मिक और सामाजिक तनाव के केंद्र में है……. बुधवार 30 अप्रैल 2025 की रात को…… गुजरात के मुस्लिम समुदाय ने यूनिफॉर्म सिविल कोड और वक्फ (संशोधन) एक्ट 2025 के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने के लिए एक अनोखा…… और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया…… बता दें कि रात 9:00 बजे से 9:15 बजे तक…… दक्षिण गुजरात के कई इलाकों में मुस्लिम परिवारों ने अपने घरों और दुकानों की लाइटें बंद कर दीं……. जिसे ‘बत्ती गुल’ आंदोलन के रूप में जाना जा रहा है…… यह ब्लैकआउट मुस्लिम हित रक्षक समिति….. और साउथ गुजरात मुस्लिम समाज की अपील पर किया गया……. जिसे मस्जिदों के मौलवियों, ऑटो रिक्शा पर लाउडस्पीकरों…… और सोशल मीडिया के व्यापक अभियानों के माध्यम से समर्थन मिला…… इस विरोध ने न केवल गुजरात……. बल्कि देश भर में केंद्र की बीजेपी सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं…….
यूनिफॉर्म सिविल कोड और वक्फ (संशोधन) एक्ट 2025 को लेकर मुस्लिम समुदाय में गहरी नाराजगी है…….. UCC का प्रस्ताव, जिसे बीजेपी सरकार लंबे समय से अपने एजेंडे के रूप में प्रस्तुत करती रही है……. मुस्लिम समुदाय को लगता है कि यह उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर सीधा हमला है…… UCC का लक्ष्य सभी धर्मों के लिए एक समान नागरिक कानून लागू करना है…… लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ….. विशेष रूप से शादी, तलाक और विरासत जैसे मामलों में हस्तक्षेप करता है…….. जो संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा हैं…….
वहीं, वक्फ (संशोधन) एक्ट 2025 को लेकर मुस्लिम समुदाय का गुस्सा और भी तेज हो गया है…… इस कानून में कई ऐसे प्रावधान हैं……. जिन्हें समुदाय असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण मानता है……. उदाहरण के लिए, वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति, वक्फ संपत्तियों का केंद्रीकृत पंजीकरण……. और यह शर्त कि वक्फ संपत्ति बनाने के लिए व्यक्ति को कम से कम पांच साल तक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होना चाहिए……. जैसे प्रावधानों को समुदाय अपनी धार्मिक स्वायत्तता पर हमला मानता है…… ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे ‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ अभियान का नाम दिया है……. जिसमें ब्लैकआउट जैसे शांतिपूर्ण विरोध शामिल हैं……
गुजरात के दक्षिणी हिस्सों, विशेष रूप से सूरत…… और छोटा उदयपुर जैसे क्षेत्रों में, मुस्लिम समुदाय ने इस ब्लैकआउट में व्यापक भागीदारी दिखाई…….. ऑटो रिक्शा पर लगे लाउडस्पीकरों ने दिन भर लोगों से इस विरोध में शामिल होने की अपील की…….. मस्जिदों में नमाज के बाद मौलवियों ने समुदाय को एकजुट होकर अपनी आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया……. सोशल मीडिया पर #BlackOutAgainstWaqfAmendments और #RejectUCC जैसे हैशटैग के साथ अभियान ने युवाओं को भी इस आंदोलन से जोड़ा…….
सूरत में जहां पहले भी UCC और वक्फ बिल के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया था……. इस ब्लैकआउट को विशेष रूप से प्रभावी माना गया……. कई मुस्लिम महिलाओं को पहले हिरासत में लिया गया था……. जिसने समुदाय के गुस्से को और भड़काया…… इस बार, ब्लैकआउट के रूप में शांतिपूर्ण विरोध ने पुलिस…… और प्रशासन को भी सकते में डाल दिया……. क्योंकि इसमें कोई हिंसा या उग्रता नहीं थी……. फिर भी इसका संदेश स्पष्ट और तीखा था……
वहीं इस विरोध का प्रभाव केवल गुजरात तक सीमित नहीं रहा…… हैदराबाद में, AIMIM के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस अभियान को और बल दिया…….. ओवैसी ने दावा किया कि हैदराबाद के मुस्लिम समुदाय ने भी इस ब्लैकआउट में हिस्सा लिया…… उन्होंने इसे एक ‘काला कानून’ करार देते हुए कहा, “यह कानून मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता…… और संवैधानिक अधिकारों पर हमला है……. हम तब तक शांतिपूर्ण विरोध करते रहेंगे……. जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाता……. ओवैसी ने इसे किसान आंदोलन से जोड़ते हुए कहा कि जिस तरह किसानों ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाया……… वैसे ही मुस्लिम समुदाय इस कानून को रद्द करवाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ेगा…….
यह ब्लैकआउट न केवल एक विरोध प्रदर्शन है……. बल्कि केंद्र की बीजेपी सरकार की नीतियों पर एक बड़ा सवालिया निशान भी है……… पिछले एक दशक से, बीजेपी सरकार पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियां अपनाने का आरोप लगता रहा है……. तिहरे तलाक कानून, नागरिकता संशोधन अधिनियम और अब UCC और वक्फ एक्ट जैसे कदमों ने समुदाय को यह महसूस कराया है कि उनकी धार्मिक……. और सांस्कृतिक पहचान को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया जा रहा है……
वक्फ एक्ट में गैर-मुस्लिमों को बोर्ड में शामिल करने का प्रावधान विशेष रूप से विवादास्पद है….. ओवैसी ने इसकी तुलना हिंदू मंदिर ट्रस्टों और सिख गुरुद्वारा बोर्डों से की……. जहां गैर-हिंदू या गैर-सिख सदस्यों की नियुक्ति की कल्पना भी नहीं की जा सकती…… और उन्होंने सवाल उठाया, “जब अन्य धर्मों के धार्मिक बोर्डों में केवल उनके अनुयायी ही शामिल हो सकते हैं…… तो मुस्लिम वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति क्यों…….. यह सवाल बीजेपी की मंशा पर गहरी चोट करता है…… और यह संदेश देता है कि सरकार धार्मिक समानता के नाम पर मुस्लिम समुदाय को कमजोर करने की कोशिश कर रही है…..
AIMPLB और अन्य मुस्लिम संगठनों ने दावा किया है कि वक्फ (संशोधन) एक्ट संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (धर्म के आधार पर भेदभाव का निषेध), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता)…… और 26 (धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन का अधिकार) का उल्लंघन करता है…… इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है……. जिसमें ओवैसी समेत कई नेताओं ने याचिकाएं दायर की हैं…….. कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है….. लेकिन इस बीच समुदाय का गुस्सा सड़कों पर दिखाई दे रहा है……
आपको बता दें कि गुजरात में जहां बीजेपी का दबदबा रहा है…….. इस तरह का व्यापक और संगठित विरोध सरकार के लिए एक चेतावनी है…….. मुस्लिम समुदाय का यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन न केवल उनकी एकता को दर्शाता है……. बल्कि यह भी दिखाता है कि वे अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार हैं……. वहीं बीजेपी का दावा है कि UCC और वक्फ एक्ट जैसे कदम देश में समानता और पारदर्शिता लाने के लिए उठाए गए हैं……. सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता की कमी और संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए संशोधन जरूरी थे……. लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह केवल एक दिखावा है…… वास्तव में, बीजेपी की रणनीति धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देना है…… जिससे हिंदू वोट बैंक को मजबूत किया जा सके……
गुजरात, जहां 2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने भारी जीत हासिल की थी…… इस तरह के ध्रुवीकरण की रणनीति का गढ़ रहा है……. लेकिन मुस्लिम समुदाय का यह संगठित विरोध बीजेपी की इस रणनीति को चुनौती देता है…… यह सवाल उठता है कि क्या बीजेपी वास्तव में सभी समुदायों के लिए समानता चाहती है…… या यह केवल एक राजनीतिक चाल है….. बता दें कि गुजरात और हैदराबाद में हुए इस ब्लैकआउट ने न केवल मुस्लिम समुदाय की एकता को प्रदर्शित किया……. बल्कि बीजेपी सरकार की नीतियों के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी दिया…… यह विरोध केवल एक रात का ब्लैकआउट नहीं है…… बल्कि एक लंबी, लोकतांत्रिक लड़ाई की शुरुआत है……
बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड और वक्फ अमेंडमेंट एक्ट के विरोध में गुजरात के मुस्लिम समुदाय ने बुधवार रात 15 मिनट तक ब्लैकआउट किया….. मुस्लिम हित रक्षक समिति और साउथ गुजरात मुस्लिम समाज की अपील पर रात 9 बजे से 9.15 बजे तक मुसलमानों ने अपनी घर और इलाके की लाइटें बंद कर दी…… इस ब्लैकआउट के लिए साउथ गुजरात में ऑटो रिक्शा पर लगे लाउडस्पीकरों के माध्यम से अपील की गई……. इसके अलावा मस्जिदों के मौलवियों ने नमाज के बाद लोगों से रोशनी बंद करने को कहा था……. इसके लिए सोशल मीडिया पर भी कैंपेन चलाए गए……. सासंद असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि हैदराबाद में भी मुस्लिम समुदाय के लोग ब्लैकआउट कैंपेन में शामिल हुए……
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अपील पर गुजरात के मुसलमानों ने यूसीसी…… और वक्फ अमेंडमेंट बिल के खिलाफ विरोध जताया…… और उन्होंने बुधवार रात 9 बजे से 9.15 बजे तक लाइट बंद रखी…… हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बारे में ट्वीट किया….. और उन्होंने लिखा, हैदराबाद का #BlackOutAgainstWaqfAmendments. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह विरोध पीएम मोदी की सरकार को यह संदेश देने के लिए किया जा रहा है…… कि यह कानून वक्फ बोर्ड को बर्बाद कर देगा……. जो कानून बनाया गया है वह असंवैधानिक है…… इसके विरोध में एक से दो हफ्ते बाद मानव श्रृंखला बनाई जाएगी……



