लोगों की आशा पर खरी नहीं उतरी मोदी सरकार: पटवारी

  • जातिगत जनगणना के नायक राहुल हैं, मोदी को झुकना पड़ा
  • पीसीसी अध्यक्ष बोले- पीएम जब डिक्टेट होते हैं तो देश के सम्मान पर होता है असर

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जबलपुर। जब पाकिस्तान से युद्ध चल रहा था तो देश के लोगों को आशा थी कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर देश का अंग बनेगा। राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण यह संभव नहीं हो पाया। पटवारी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 दिन तक चले युद्ध में पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे। चालीस साल बाद सैन्य ताकत में कोई कमी नहीं थी, अद्भुत व अकल्पनीय थी। मोदी हमारे प्रधानमंत्री हैं और हमारे सिर के ताज हैं। वह अमेरिका के राष्ट्रपति से डिक्टेट होते हैं तो देश के सम्मान पर असर होता है। विदेश मंत्री कहते हैं कि हमने पहने की बात कर ली थी कि कहां अटैक करेंगे।
यह देश की सेना का अपमान हुआ है। पटवारी ने कहा कि प्रदेश में रोजाना 25 बच्चियों से दुष्कर्म हो रहा है। बालाघाट में चार बच्चियों को रात भी रौंदा गया। एक बहन की बच्चेदानी निकालकर दुष्कर्म किया गया। देश के प्रधानमंत्री को गृह मंत्री से पूछना चाहिए। पटवारी ने कहा कि भारत माता की रक्षा के सौगंध के साथ कांग्रेसियों ने जबलपुर में जय हिंद सभा का आयोजन किया था। देश की सेना व सीमा के लिए देश का नागरिक व कांग्रेसी सर कटाने को तैयार हैं। लोकतंत्र को जिंदा रखा है तो हमें सवाल पूछना पड़ेंगे। मोदी बताएं उन्होंने विजय शाह व जगदीश देवड़ा को क्यों नहीं हटाया। पटवारी ने ये भी कहा कि जातिगत जनगणना के नायक राहुल गांधी हैं और प्रधानमंत्री को झुकना पड़ा। प्रधानमंत्री के मंत्री कहते थे कि जो करेगा जाति पात की बात हम उसको मारेंगे लात, बंटोगे तो कटोगे। मोदी ने भी जातिगत गणना के संबंध में अलग-गलत बयान दिए और आखिर में उनको झुकना पड़ा।

सरकार देश को जानकारी देने के लिए बाध्य : झा

राजद के सांसद मनोज कुमार झा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ऑपरेशन सिंदूर और इसके भू-राजनीतिक, सैन्य और घरेलू निहितार्थों पर विचार-विमर्श के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया है। अपने पत्र में झा ने कहा कि नागरिक बढ़ते ध्रुवीकरण के बीच संगठित अराजकता को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने लिखा, उन्हें लग रहा है कि उन्हें अपने देश के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में अंधेरे में छोड़ दिया गया है, चाहे वह सीमा पार आतंकवाद का जवाब हो या इसके भू-राजनीतिक निहितार्थ। राजद नेता ने विदेशी हस्तक्षेप, रणनीतिक शासन ढांचे, मीडिया सुधार और सैन्य अभियानों के राजनीतिकरण जैसे मुद्दों पर संसदीय विचार-विमर्श की आवश्यकता पर जोर दिया। झा ने कहा कि वह भारतीय नागरिकों की चिंताओं और भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं, जो महसूस कर रहे हैं कि उन्हें अपने देश के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में अंधेरे में रखा गया है। कई विपक्षी दल पहलगाम आतंकी हमले के बाद से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। राजद नेता ने कहा कि सत्र के एजेंडे में भारत की संप्रभु विदेश नीति के मामलों में ‘दूसरे देशों की सरकारों के हस्तक्षेप’’ का मुद्दा शामिल होना चाहिए।

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