IPS अधिकारी से रिश्वत मांगना पड़ा भारी, बीकानेर ट्रैफिक पुलिस के चार जवान लाइन हाजिर

एसपी कावेन्द्र सिंह ने कहा कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ विभागीय जांच के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः राजस्थान पुलिस के लिए एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने पूरे पुलिस महकमे को हिला कर रख दिया। बीकानेर ट्रैफिक पुलिस के चार जवानों ने हाईवे पर एक आईपीएस अधिकारी से ही रिश्वत मांग डाली। हैरान करने वाली बात यह रही कि अफसर उस वक्त सादी वर्दी में निजी वाहन से जयपुर रोड पर सफर कर रहे थे।

यह घटना 14 जून की बताई जा रही है, लेकिन जब यह मामला उजागर हुआ, तो पूरे विभाग में हड़कंप मच गया। जानकारी के अनुसार, ट्रैफिक पुलिस ने अधिकारी की गाड़ी को रोका और कथित रूप से नियमों का उल्लघंन का हवाला देकर अवैध वसूली की कोशिश की।

घटना की गंभीरता को देखते हुए बीकानेर के पुलिस अधीक्षक कावेन्द्र सिंह सागर ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हवलदार और तीन सिपाहियों को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया है। एसपी कावेन्द्र सिंह ने कहा कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ विभागीय जांच के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी।

हाईवे पर रोकी गई गाड़ी, चालान के नाम पर मांगी घूस
सूत्रों के अनुसार, आईपीएस अधिकारी जयपुर के लिए रवाना हो रहे थे. जब उनकी गाड़ी बीकानेर-जयपुर नेशनल हाईवे पर पहुंची, तो ट्रैफिक पुलिस ने उसे नियम उल्लंघन का हवाला देते हुए रोक लिया. चूंकि अधिकारी सिविल ड्रेस में थे, पुलिसकर्मी उन्हें पहचान नहीं सके. इसके बाद, पुलिसकर्मियों ने न केवल चालान की धमकी दी, बल्कि कथित रूप से गाड़ी छोड़ने के बदले पैसे की मांग भी की.

इस पर अधिकारी ने अपना परिचय पत्र दिखाया और जैसे ही उन्हें पता चला कि सामने बैठा व्यक्ति एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी है, तो पुलिसकर्मियों के होश उड़ गए. उन्होंने तुरंत माफ़ी मांगने और सफाई देने की कोशिश की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी.

उच्चाधिकारियों तक पहुंचा मामला, कार्रवाई में नहीं लगी देरी
इस पूरी घटना की जानकारी बाद में स्थानीय पुलिस अधिकारियों को हुई, जिसके बाद मामला सीधे एसपी कावेन्द्र सिंह सागर तक पहुंचा. उन्होंने बिना देर किए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया और पूरे मामले की जांच के आदेश भी दिए. पुलिस सूत्रों का मानना है कि यह केवल अनुशासन का मामला नहीं, बल्कि पुलिस की छवि और विश्वसनीयता पर भी गंभीर आघात है. जब सड़क पर ड्यूटी कर रहे जवान ही नियमों का गलत इस्तेमाल कर आमजन से वसूली करें, और यहां तक कि आईपीएस अफसर से भी रिश्वत मांगे, तो सवाल लाजिमी हैं.

ट्रैफिक पुलिस पर पहले भी लगे हैं वसूली के आरोप
यह पहली बार नहीं है जब बीकानेर ट्रैफिक पुलिस पर वसूली या अभद्रता के आरोप लगे हों. समय-समय पर स्थानीय नागरिकों द्वारा ऐसे मामलों की शिकायत मिलती रही हैं. परंतु इस बार मामला इसलिए गंभीर हो गया क्योंकि ट्रैफिक पुलिस की इस करतूत का शिकार एक आईएएस रैंक के अफसर बने, जिन्होंने अपने स्तर पर मामले को गंभीरता से लिया और इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दी.

क्या कहती है ये घटना?
इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वर्दी का भय खत्म हो गया है या जिम्मेदारी का बोध कम हो गया है? कानून व्यवस्था लागू करने वाले कर्मियों द्वारा ही कानून की अवहेलना और भ्रष्टाचार करना केवल वर्दी को बदनाम नहीं करता, बल्कि जनता के विश्वास को भी तोड़ता है.

एसपी का स्पष्ट संदेश: अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं
बीकानेर एसपी कावेन्द्र सिंह सागर ने इस पूरे प्रकरण पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि पुलिस बल में अनुशासन सर्वोच्च है. कोई भी कर्मचारी अगर लोक सेवक के रूप में अपने दायित्व से हटकर आचरण करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने दो टूक कहा, “हमारे लिए कानून से बड़ा कुछ नहीं है – चाहे वो आम नागरिक हो या खुद वर्दीधारी.”

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