वायरल वीडियो पर बवाल के बाद यू-टर्न’, सिद्धारमैया पर टिप्पणी के बाद कांग्रेस विधायक की सफाई

कर्नाटक कांग्रेस विधायक बीआर पाटिल ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर की गई टिप्पणी के विवाद के बाद सफाई जारी किया है। पाटिल का स्पष्टीकरण पहले की बातों से विपरीत है।
पाटिल ने सफाई देते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया ने मेरी बातों को तोड़-मड़ोकर कर पेश किया है। उन्होंने बताया कि मैं केआर पेटे में अपने एक प्रिय मित्र से बात कर रहा था, जब सिद्धारमैया का विषय उठा। मैंने तब कहा कि सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बनने के मामले में जैसे लॉटरी जीत गए हों। यह कहना गलत है कि मैंने उन्हें सोनिया गांधी से मिलने के लिए कहा था। मैं तो बस उस समय उनके साथ था जब वे सोनिया गांधी से मिलने गए थे। इस बार तो वे सोनिया गांधी से मिलने के लिए तैयार ही नहीं थे, लेकिन मेरे दबाव के बाद उन्होंने उनसे मिलने का फैसला किया। वह एक जननेता हैं। मेरे पास उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का अधिकार नहीं है।
सिद्धारमैया के पास जनता का भारी समर्थन था
सिद्धारमैया की नियुक्ति को प्रभावित करने के आरोपों को खारिज करते हुए पाटिल ने कहा कि कुल लोग जानबूझकर उनके साथ मेरे रिश्ते खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। हम नौ लोग जेडीएस से इस्तीफा देकर सिद्धरामैया के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हुए थे। कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री इसलिए बनाया क्योंकि उन्हें जानता से भारी समर्थन मिला था, न कि इसलिए कि हमनें उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी।
वायरल वीडियो में कही गई थी ये बात
बता दें कि यह विवाद रविवार को पाटिल के एक वीडियो के सामने आने के बाद शुरू हुआ। उस वीडियो में पाटिल को यह कहते हुए सुना गया कि सिद्धारमैया ने बड़ी लॉटरी जीती और मुख्यमंत्री बन गए। मैंने ही उन्हें सोनिया गांधी से मिलवाया था। उनकी किस्मत अच्छी थी, इसलिए उन्हें यह पद मिला। मांड्या में केआर पेटे के दौरे के दौरान की गई इस कॉल में उन्होंने सिद्धारमैया के उत्थान का श्रेय अनुकूल ग्रहचक्र (ग्रहों की स्थिति) को दिया। उन्होंने आगे कहा कि देखिए राजनीति में हमारे पास तो कोई गॉडफादर नहीं है। सच कहूं तो न गॉड है न फादर।
पाटिल ने राजीव गांधी हाउसिंग कॉर्पोरेशन पर लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप
यह विवादास्पद वीडियो पाटिल से जुड़े एक अन्य विवाद के बाद आई है। इससे पहले एक अलग ऑडियो क्लिप सामने आई थी। उस रिकॉर्डिंग में उन्होंने राजीव गांधी हाउसिंग कॉर्पोरेशन से जुड़े अधिकारियों पर बड़े पैमाने से जुड़े भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। पाटिल ने आरोप लगाया कि आवास आवंटन रिश्वत के दाम पर हुआ था। इसमें उनके जैसे निर्वाचित प्रतिनिधियों के अनुशंसा पत्रों को दरकिनार कर दिया गया था।



