अब तक जीएसटी को सुधार नहीं पाई मोदी सरकार: राहुल गांधी
बोले नेता प्रतिपक्ष- आर्थिक अन्याय और कॉर्पोरेट भाईचारे का क्रूर हथियार है यह कर प्रणाली

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। जीएसटी के आठ साल पूरे होने पर जहां सरकार वाहवाही कर रही है वहीं कांग्रेस सासंद व नेता प्रतिपक्ष ने जमकर एनडीए सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह आर्थिक अन्याय और कॉर्पोरेट भाईचारे का क्रूर हथियार है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसको लेकर सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि 8 साल बाद, मोदी सरकार का जीएसटी कोई कर सुधार नहीं है।
यह आर्थिक अन्याय और कॉर्पोरेट भाईचारे का क्रूर हथियार है। इसे गरीबों को दंडित करने, एमएसएमई को कुचलने, राज्यों को कमजोर करने और प्रधानमंत्री के कुछ अरबपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया था।
देश के सबसे बड़े कर सुधारों में से एक, जीएसटी की शुरूआत ने भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को एक सुव्यवस्थित कर संरचना में एकीकृत करने में मदद की। भारत सरकार द्वारा हर साल 1 जुलाई को मनाया जाने वाला जीएसटी दिवस, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के औपचारिक रूप से लागू होने की आठवीं वर्षगांठ का प्रतीक है। देश के सबसे बड़े कर सुधारों में से एक, जीएसटी की शुरूआत ने भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को एक सुव्यवस्थित कर संरचना में एकीकृत करने में मदद की। जीएसटी के शुभारंभ के दिन का उपयोग जीएसटी ढांचे के बारे में जागरूकता और अनुपालन को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। हालांकि, यह बात भी सही है कि कांग्रेस लगातार इसका विरोध करती रही है।

जीएसटी पोर्टल दैनिक उत्पीडऩ का स्रोत बना
राहुल ने अपने पोस्ट में लिखा कि एक अच्छा और सरल कर का वादा किया गया था। इसके बजाय, भारत को अनुपालन का दु:स्वप्न और पाँच-स्लैब कर व्यवस्था मिली, जिसमें 900 से अधिक बार संशोधन किया गया है। यहाँ तक कि कारमेल पॉपकॉर्न और क्रीम बन भी इसके भ्रम के जाल में फँस गए हैं। उन्होंने आगे लिखा कि नौकरशाही की भूलभुलैया बड़े कॉरपोरेट्स के पक्ष में है, जो एकाउंटेंट की सेना के साथ इसकी खामियों को दूर कर सकते हैं, जबकि छोटे दुकानदार, एमएसएमई और आम व्यापारी लालफीताशाही में डूबे हुए हैं। जीएसटी पोर्टल दैनिक उत्पीडऩ का स्रोत बना हुआ है।
8 साल में 18 लाख से अधिक उद्यम बंद हो गए
राहुल ने कहा कि भारत के सबसे बड़े रोजगार सृजक एमएसएमई को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। आठ साल पहले जीएसटी लागू होने के बाद से 18 लाख से अधिक उद्यम बंद हो गए हैं। नागरिक अब चाय से लेकर स्वास्थ्य बीमा तक हर चीज़ पर जीएसटी का भुगतान करते हैं, जबकि कॉरपोरेट सालाना 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक कर छूट का आनंद लेते हैं।
नगर निगम ने आम नागरिकों को खतरे में डाला, मार्ग प्रकाश की लापरवाही से बढ़ी वारदातें
खुले तार और बंद स्ट्रीट लाइटों से हादसे की आशंका
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। नगर निगम की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। शहर के जोन 4 से लेकर जोन 7 तक कई स्थानों पर स्ट्रीट लाइटों के खुले तार लोगों की जान के लिए खतरा बन चुके हैं। खुर्रम नगर चौकी के पास खुले पड़े इन तारों के पास ही पानी का नल भी है, जिससे करंट फैलने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है।
जऱा सी असावधानी किसी बड़े हादसे को जन्म दे सकती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके की अधिकांश स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी हैं, जिससे रात के समय अंधेरा रहता है और दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है। जोन 4 में पॉलिटेक्निक चौराहे से पहले बस स्टॉप के पास भी यही हाल है—बंद लाइटें और खुले तार। नगर निगम की यह बड़ी लापरवाही आम जनता और जानवरों के लिए खतरे का कारण बन रही है।
राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले की सुनवाई अब 14 जुलाई को
एमपी-एमएलए अदालत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि के एक मामले की सुनवाई टल गई। मंगलवार को गवाह से जिरह होनी थी, लेकिन गवाह के न आने पर अदालत ने अगली सुनवाई 14 जुलाई को निर्धारित की है। साल 2018 के राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि के एक मामले में सुनवाई को एक बार फिर से टाल दिया गया है। इस बार इस केस में गवाह ही हाजिर नहीं हुआ।इस लिए कोर्ट ने मामले की सुनवाई को आगे बढ़ा दिया है। यह मामला वर्ष 2018 का है, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता विजय मिश्रा ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। एमपी-एमएलए अदालत ने दिसंबर 2023 को राहुल गांधी के खिलाफ वारंट जारी किया था। फरवरी 2024 में राहुल ने अदालत में आत्मसमर्पण किया और उन्हें 25-25 हजार रुपये के दो मुचलकों पर जमानत दे दी गई। इसके बाद 26 जुलाई 2024 को राहुल ने अदालत में अपना बयान दर्ज कराया था। उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश हो रही है।
नगर निगम ने आम नागरिकों को खतरे में डाला, मार्ग प्रकाश की लापरवाही से बढ़ी वारदातें
खुले तार और बंद स्ट्रीट लाइटों से हादसे की आशंका
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। नगर निगम की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। शहर के जोन 4 से लेकर जोन 7 तक कई स्थानों पर स्ट्रीट लाइटों के खुले तार लोगों की जान के लिए खतरा बन चुके हैं। खुर्रम नगर चौकी के पास खुले पड़े इन तारों के पास ही पानी का नल भी है, जिससे करंट फैलने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है।
जऱा सी असावधानी किसी बड़े हादसे को जन्म दे सकती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके की अधिकांश स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी हैं, जिससे रात के समय अंधेरा रहता है और दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है। जोन 4 में पॉलिटेक्निक चौराहे से पहले बस स्टॉप के पास भी यही हाल है—बंद लाइटें और खुले तार। नगर निगम की यह बड़ी लापरवाही आम जनता और जानवरों के लिए खतरे का कारण बन रही है।
वार्ड विकास निधि से नहीं मिल रही लाइटें : राजेश सिंह पार्षद
पेपर मिल कॉलोनी वार्ड नंबर 70 के पार्षद राजेश सिंह गब्बर ने भी लाइटों की समस्या पर रोष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि उन्होंने एक माह पहले अपने वार्ड में स्ट्रीट लाइटें लगाने के लिए पत्र दिया था, लेकिन अब तक उन्हें वार्ड विकास निधि से एक भी लाइट नहीं मिली है। राजेश सिंह गब्बर ने बताया, मेरे वार्ड में 100 से अधिक लाइटों की आवश्यकता है। अंधेरे की वजह से लोगों को असुविधा हो रही है। महापौर द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि पार्षद वार्ड विकास निधि से लाइटें ले सकते हैं, लेकिन मेरी सुनवाई नहीं हो रही।पार्षद गब्बर अपनी शिकायत लेकर आर.आर. चीफ मनोज प्रभात से भी मिले। उन्होंने पार्षद का पत्र मंगवाया और आश्वासन दिया कि जल्द ही उनके वार्ड में स्ट्रीट लाइटें लगवाई जाएंगी।
जनता में आक्रोश
क्षेत्रीय नागरिकों में नगर निगम की इस लापरवाही को लेकर गहरा आक्रोश है। लोग मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत हो और खुले तारों को सुरक्षित किया जाए, जिससे किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
नगर निगम की लापरवाही पर गरजे आरआर चीफ
नगर निगम की मार्ग प्रकाश व्यवस्था में लगातार सामने आ रही लापरवाही को लेकर आरआर चीफ मनोज प्रभात ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन-जिन जोनों में स्ट्रीट लाइटों के तार खुले पाए गए हैं, वहां के जेई के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
हिमाचल में फिर बादल फटे 18 से ज्यादा लोगों की मौत
34 लापता 332 बचाए गए
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
शिमला। हिमाचल प्रदेश में इस हफ्ते तीन दिनों में को कई जगह बादल फटे हैं। मंडी जिले में 15, जबकि कुल्लू और किन्नौर जिले में एक-एक जगह बादल फटा है। मंडी जिले में बारिश, बादल फटने और ब्यास नदी व नालों के रौद्र रूप से भारी तबाही हुई है। मंडी में 16 लोगों समेत पूरे प्रदेश में 18 की जान चली गई है। 33 लोग अभी लापता हैं। दर्जनों लोग घायल हो गए हैं। 332 लोगों को जगह-जगह से रेस्क्यू कर उनकी जान बचाई गई है। अकेले मंडी जिले में 24 घर और 12 गोशालाएं जमींदोज हो गई हैं। 30 पशुओं की मौत हो गई है। कुकलाह के समीप पटीकरी प्रोजेक्ट बह गया है।
कई पुल ध्वस्त हो गए हैं। थुनाग उपमंडल में कुकलाह में भी रात को बादल फटने से आई बाढ़ में करीब आठ घरों के साथ 24 लोग बह गए। मंगलवार शाम को 9 शव मिले हैं, जबकि 21 लोग लापता है। गोहर उपमंडल के स्यांज में सोमवार रात को बादल फटने से नौ लोगों के साथ दो घर बह गए। इनमें दो के शव मिले हैं। बाड़ा में एक घर के ढहने से छह लोग दब गए। इनमें से चार को रेस्क्यू कर लिया गया, जबकि दो के शव बरामद हुए हैं। बस्सी में फंसे दो लोगों को रेस्क्यू किया गया, जबकि परवाड़ा में मकान बहने के कारण एक ही परिवार के दो सदस्य लापता हैं। एक शव बरामद कर लिया गया है। करसोग में बादल फटने से पुराना बाजार नेगली पुल से चार लोग लापता हैं, जबकि एक शव बरामद कर लिया गया है। यहां छह घरों को नुकसान पहुंचा है। एनडीआरएफ ने लापता लोगों की खोज के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। टिकरी प्रोजेक्ट से करीब दो दर्जन लोग रेस्क्यू किए गए हैं। केलोधार में घर ढहने के कारण फंसे आठ लोगों को रेस्क्यू किया गया। लस्सी मोड़ में एक कार व रैल चौक में चार मवेशी बह गए।
दोनों इंजन फेल होने से हुआ था अहमदाबाद में विमान हादसा!
फ्लाइट सिमुलेटर पर जांच से तह तक पहुंचने की कवायद
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। अहमदाबाद में एअर इंडिया विमान हादसे को दो हफ्ते से ज्यादा का समय बीत चुका है और जांचकर्ता इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि इस हादसे की वजह क्या रही। एअर इंडिया के पायलटों ने हादसे की वजह जानने के लिए फ्लाइट सिमुलेटर पर भी जांच की। इस जांच में पता चला है कि संभवत: विमान के दोनों इंजन फेल होने की वजह से विमान क्रैश हुआ होगा।
जांच के दौरान एयरलाइन के पायलटों ने फ्लाइट सिमुलेटर में विमान के उड़ान के दौरान के विभिन्न पैरामीटर्स को फिर से दोहराया, जिसमें लैंडिंग गियर की स्थिति और विंग फ्लैप को वापस खींचना शामिल था। इस जांच में पाया गया कि केवल इन सेटिंग्स की वजह से हादसा नहीं हुआ। पिछली कुछ जांच में पता चला है कि विमान के क्रैश होने से कुछ सेकंड पहले ही आपातकालीन पावर टरबाइन भी चालू की गई थी, जिससे पता चलता है कि तकनीकी खराबी के चलते विमान क्रैश हुआ। हादसे की आधिकारिक जांच चल रही है, जिसका नेतृत्व विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो या एएआईबी द्वारा की जा रही है। फ्लाइट सिमुलेटर जांच आधिकारिक जांच से अलग हुई। इस जांच में हादसे के संभावित कारण जानने की कोशिश की गई। फ्लाइट सिमुलेटर एक डिवाइस या सॉफ्टवेयर है, जिसमें विमान की उड़ान जैसी स्थिति बनाई जाती है। फ्लाइट सिमुलेटर का इस्तेमाल पायलटों की ट्रेनिंग, विमान के डिजाइन और रिसर्च आदि में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एयरक्राफ्ट कंट्रोल सिस्टम, फ्लाइट डायनामिक्स और विमान उड़ाने जैसा अनुभव होता है, जिससे सुरक्षित तरीके से विमान उड़ाने की ट्रेनिंग की जा सकती है।
यूपी में नेम प्लेट पर फिर विवाद
सपा ने योगी सरकार को घेरा, कर्मियों की पहचान को लेकर उनकी पैंट उतारे जाने पर भडक़े विपक्षी नेता
एसटी हसन बोले- ऐसा करने वाले और पहलगाम के आंतिकयों में अंतर नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी में दुकानों पर नेम प्लेट लगाने को लेकर फिर बवाल मच गया है। सपा समेत कई विपक्षी पार्टियों ने भाजपा व योगी सरकार पर जमकर हमला बोला है। समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एसटी हसन ने उत्तर प्रदेश स्थित मुजफ्फरनगर में एक होटल में कर्मियों की पहचान को लेकर उनकी पैंट उतारे जाने के मामले में बयान दिया था।
उन्होंने कहा था कि ऐसा करने वाले और पहलगाम के आंतिकयों में अंतर नहीं है। अब हसन ने अपने बयान पर सफाई दी है। हसन ने कहा कि मुझे नेम प्लेट पर सरकार के आदेश पर एतराज नहीं है लेकिन मुजफ्फरनगर में जो हुआ, उसकी जांच हो और एक्शन लिया जाए। अपने पुराने बयान के संदर्भ में एसटी हसन ने कहा कि उसे तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। हसन ने कहा कि मैंने तो खुलकर कहा कि एक आदमी चार लोगों को लेकर जाकर दुकानों में लोगों की चेकिंग कर रहा है, उनको ये अधिकार दिया किसने है।
इस तरह से जो चेकिंग की जा रही है उससे दूरियां बढ़ेंगी : हसन
पूर्व सांसद एसटी हसन ने कहा कि सरकार ने नेम प्लेट लगाने का आदेश दिया। हमको इससे एतराज नहीं है। हमें पहचान छिपाकर काम नहीं करना चाहिए लेकिन अगर नियम को जनता लागू करने लगेगी, तो क्या देश में हिंदू मुस्लिम के बीच अंतर नहीं बढ़ेगा। इस तरह से जो चेकिंग जा रही है उससे दूरियां बढ़ेंगी। सपा नेता ने कहा कि नाम बदल कर कारोबार करना भी उचित नहीं है। किसी को धोखा देकर कारोबार न करें। इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता। हसन ने कहा कि थोड़े से वोट की खातिर, ऐसे हालत न पैदा किए जाएं कि देश में लोगों के बीच दूरियां बढ़ें। बता दें कांवड़ यात्रा पर धामी सरकार ने आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि खाने पीने की दुकानों पर मालिक का नाम अनिवार्य है। लाइसेंस और पहचान पत्र दिखाना जरूरी होगा. बिना नाम और लाइसेंस वाली दुकानें बंद रहेंगी।कांवड़ रूट पर निगरानी अभियान चलाया जाएगा. कानूनी कार्रवाई और 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा। उधर, यूपी में योगी सरकार ने कहा है कि ढाबा और रेस्टोरेंट में मालिक और मैनेजर का नेमप्लेट जरूरी है।
सीएम ने कहा था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर खुले में मांस बिक्री नहीं, ओवररेटिंग पर सख्ती के निर्देश, संचालक को अपना नाम लिखना होगा।



