प्रेग्नेंट महिलाओं ने पक्की सड़कों की लगाई गुहार, बीजेपी सांसद के बयान से बढ़ा विवाद
सांसद ने कहा, डिलीवरी से पहले उठवा लेंगे. इसी के बाद जब उनके इस बयान पर बवाल मचा तो अब उनके सुर बदल गए हैं. उन्होंने कहा, सड़क बनवा देंगे.

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क: मध्य प्रदेश राज्य के एक ग्रामीण इलाके से एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है, जिसमें 8 गर्भवती महिलाएं सरकार से पक्की सड़कों की मांग करती नजर आ रही हैं।
इन महिलाओं का कहना है कि गांव की कच्ची सड़कों के कारण अस्पताल तक पहुंचना बेहद मुश्किल हो गया है, जिससे गर्भवती महिलाओं की जान को खतरा हो सकता है। वीडियो में महिलाओं ने साफ कहा कि बारिश के मौसम में हालात और भी खराब हो जाते हैं। रास्ते कीचड़ से भर जाते है और ट्रांसपोर्ट की कोई व्यवस्था नहीं होती, जिससे इमरजेंसी की स्थिति में अस्पताल पहुंचना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
बीजेपी सांसद का बयान बना विवाद का कारण
इस गंभीर मुद्दे पर बीजेपी सांसद राजेश मिश्रा का रिएक्शन सामने आया है, जो अब विवाद का विषय बन गया है। सांसद ने कहा:”हर डिलीवरी की एक अनुमानित तारीख होती है, उसके एक हफ्ते पहले ही उठवा लेंगे।” सांसद का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और लोगों ने इसे गैर-जिम्मेदाराना और असंवेदनशील करार दिया है।
मध्य प्रदेश की सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर लीला साहू ने पक्की सड़कों को लेकर सरकार से मांग की है. लीला साहू प्रेग्रेंट हैं और ऐसे में कच्ची सड़कों के चलते अस्पताल तक जाना उनके लिए मुश्किल हो रहा है. इसी के बाद अब महिला की मांग पर सांसद का रिएक्शन सामने आया है. सांसद ने कहा, डिलीवरी से पहले उठवा लेंगे. इसी के बाद जब उनके इस बयान पर बवाल मचा तो अब उनके सुर बदल गए हैं. उन्होंने कहा, सड़क बनवा देंगे.
मध्य प्रदेश के सीधी जिले के एक गांव की 8 प्रेग्रेंट महिलाओं ने सोशल मीडिया पर एक बुनियादी जरूरत की मांग की. उन्होंने अस्पतालों तक पहुंचने के लिए सरकार से पक्की सड़क की मांग की. लीला साहू ने 7 और प्रेग्रेंट महिलाओं के साथ वीडियो बनाई है. इस वीडियो में उन्होंने सीधे परविहन मंत्री नितिन गडकरी को टैग किया है. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है कि लीला साहू ने पक्की सड़कों के लिए आवाज उठाई हो, इससे पहले भी साल 2023 में उन्होंने पक्की सड़कों के लिए आवाज उठाई थी, लेकिन सड़क का निर्माण नहीं किया गया. इसी के बाद अब दोबारा अपनी प्रेग्रेंसी के दिनों में उन्होंने इस मुद्दे को उठाया है.
यह वीडियो मध्य प्रदेश के खड्डी खुर्द गांव की महिलाओं ने बनाया है. गांव में पक्की सड़कें नहीं हैं और प्रेग्रेंसी के आखिरी दिनों में महिलाओं को अक्सर अस्पताल तक पहुंचने के लिए कीचड़ भरे, ऊबड़-खाबड़ कच्चे रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. लेकिन उनके इस विरोध के बाद भी तुरंत एक्शन नहीं लिया गया.
लीला साहू, जिनके सभी प्लेटफॉर्म पर एक लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं, उन्होंने साल 2023 में प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को टैग करते हुए एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें कहा गया था कि आपने मध्य प्रदेश से सभी 29 सांसदों को जिताया. क्या अब हमें सड़क मिल सकती है?वो वीडियो वायरल होने के बाद सीधी के सीधी कलेक्टर और सांसद ने तुरंत कार्रवाई का वादा किया था. लेकिन एक साल बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया. सड़क वहीं की वहीं है जहां थी. बिना निर्माण के, असुरक्षित, और विकास की नजरों से ओझल.
हालांकि, एक बार दोबारा अब लीला साहू ने इस मांग को उठाया है. अब इस वीडियो के सामने आने के बाद बीजेपी सांसद राजेश मिश्रा ने कहा, हर डिलीवरी की एक तारीख होती है. हम उसे उससे एक हफ्ता पहले ही उठवा लेंगे. उन्होंने आगे कहा, अगर वह चाहें, तो हमारे पास आएं. हम उन्हें सभी सुविधाएं देंगे. खाना, पानी, देखभाल. लेकिन इन चीजों के बारे में सार्वजनिक रूप से बात करना आदर्श बात नहीं है.
चलने योग्य सड़क की साल भर से चली आ रही मांग को स्वीकार करने के बजाय, सांसद ने बात को टालते हुए कहा, क्या आज तक ऐसी कोई घटना (सड़क के कारण डिलीवरी में समस्या) हुई है? जरूरत पड़ने पर हमारे पास हेलीकॉप्टर और हवाई जहाज हैं. हमारे पास आशा कार्यकर्ता हैं. हमारे पास एम्बुलेंस हैं. चिंता की क्या बात है? सांसद ने कहा कि वन विभाग की आपत्तियों की वजह से निर्माण कार्य में देरी हुई है, लेकिन परियोजना के शुरू होने या पूरा होने की कोई समय-सीमा नहीं बताई.
लोक निर्माण मंत्री ने क्या कहा?
दो दिन पहले, लोक निर्माण विभाग मंत्री राकेश सिंह ने कहा था, अगर कोई सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट डालता है, तो क्या हम डम्पर या सीमेंट कंक्रीट प्लांट लेकर पहुंचेंगे? यह संभव नहीं है. सिंह ने आगे तर्क दिया कि बजट सीमित हैं और ऑनलाइन पोस्ट पर की गई हर मांग का समाधान नहीं किया जा सकता. उन्होंने आगे कहा, संवैधानिक प्रक्रियाएं हैं. अगर यह ग्रामीण सड़क है, तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सी एजेंसी जिम्मेदार है. हम हर पोस्ट पर कार्रवाई नहीं कर सकते.



