रीढ़ की हड्डी का बढ़ना: जानिए क्या है ‘स्पाइनल ऑस्टियोफाइट्स’ और कैसे करें बचाव

रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइन हमारे शरीर की सबसे महत्वपूर्ण हड्डियों में से एक है। यह न केवल शरीर को सीधा रखने और संतुलन बनाए रखने का काम करती है

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क: रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइन हमारे शरीर की सबसे महत्वपूर्ण हड्डियों में से एक है। यह न केवल शरीर को सीधा रखने और संतुलन बनाए रखने का काम करती है, बल्कि यब नर्व सिस्टम से जुड़े संदेशों को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाने में भी अहम भूमिका निभाती है। हालांकि, ये उम्र बढ़ाने या कुछ अन्य कारणों से कई लोगों को एक समस्या का सामना करना पड़ता है, जिसे आम भाषा में “रीढ़ की हड्डी का बढ़ना” कहा जाता है। मेडिकल साइंस में इस स्थिति को स्पाइनल ऑस्टियोफाइट्स (Spinal Osteophytes) या बोन स्पर (Bone Spur) कहा जाता है।

जब रीढ़ की हड्डियो के किनारों पर अतिरिक्त हड्डी बनने लगती है, तो उसे स्पाइनल ऑस्टियोफाइट्स कहा जाता है। यह हड्डी का अतिरिक्त विकास शरीर के प्राकृतिक ढांचे को प्रभावित करता है और कई बार यह नसों पर दबाव डाल सकता है, जिससे पीठ दर्द, गर्दन में अकड़न, झुनझुनाहट या चलने में कठिनाई जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

हड्डियों की यह समस्या धीरे-धीरे बनती है गंभीर, जानिए इसके शुरुआती लक्षण

रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कुछ समस्याएं धीरे-धीरे गंभीर रूप ले लेती हैं, जिनके लक्षण शुरुआत में बेहद सामान्य प्रतीत होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, शुरुआत में मरीज को केवल पीठ या गर्दन में हल्का दर्द महसूस होता है, जिसे आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है। हालांकि समय के साथ जब हड्डी का आकार बढ़ने लगता है, तो यह रीढ़ की नसों पर दबाव डालने लगती है। इसका असर शरीर के अन्य हिस्सों पर भी दिखता है। मरीज को हाथों या पैरों में सुन्नता, झनझनाहट, कमजोरी और चलते समय रीढ़ में खिंचाव जैसा अहसास हो सकता है।

चिकित्सकों का कहना है कि इस स्थिति में कई लोगों को चलने में तकलीफ, लंबे समय तक खड़े रहने में परेशानी और मांसपेशियों में जकड़न जैसी समस्याएं भी झेलनी पड़ती हैं। अगर इन लक्षणों की शुरुआत हो रही हो, तो इसे हल्के में न लें और तुरंत चिकित्सा परामर्श लें, ताकि समय रहते इसका उचित इलाज संभव हो सके।

रीढ़ की हड्डी की समस्याओं से बचना है तो अपनाएं ये जरूरी सावधानियां

बदलती जीवनशैली और लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठकर काम करने की आदत रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं को जन्म दे सकती है। इन समस्याओं से बचने के लिए कुछ जरूरी सावधानियां अपनाना बेहद जरूरी है। सबसे पहले, सही पोश्चर में बैठना और काम करना बेहद अहम है। लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहना रीढ़ पर दबाव डाल सकता है, जिससे दर्द और अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। विशेषज्ञ रोज़ाना योग, स्ट्रेचिंग और हल्का व्यायाम करने की सलाह देते हैं। इससे न सिर्फ रीढ़ मजबूत बनी रहती है, बल्कि पूरे शरीर में लचीलापन भी बना रहता है।

इसके अलावा, कैल्शियम और विटामिन D से भरपूर आहार हड्डियों की सेहत के लिए फायदेमंद होता है। दूध, दही, हरी सब्जियां और सूरज की रोशनी इसके प्रमुख स्रोत माने जाते हैं। साथ ही, शरीर का वजन संतुलित रखना भी आवश्यक है। अधिक वजन रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे उसकी कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। इन सरल उपायों को अपनाकर न सिर्फ रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखा जा सकता है, बल्कि भविष्य में होने वाली गंभीर समस्याओं से भी बचा जा सकता है।

रीढ़ की समस्याओं को न करें नजरअंदाज, समय पर जांच है बेहद जरूरी

रीढ़ की हड्डी में लगातार दर्द बना रहना या चलने-फिरने में तकलीफहोना एक गंभीर संकेत हो सकता है, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे मामलों में तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना और आवश्यकतापड़ने पर X-ray या MRI करवाना जरूरी होता है।

अक्सर यह देखा गया है कि शुरुआती अवस्था में फिजियोथेरेपी और नियमित एक्सरसाइज से भी काफी हद तक राहत मिल सकती है। ये उपाय रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने के साथ-साथ दर्द और असहजता को कम करने में सहायक होते हैं। रीढ़ की हड्डी में यह परिवर्तन उम्र के बढ़ने के साथ-साथ गलत जीवनशैली के कारण भी हो सकता है। लेकिन यदि समय रहते इस पर ध्यान दिया जाए, एक्सपर्ट की सलाह ली जाए और नियमित व्यायाम को दिनचर्या में शामिल किया जाए, तो इस पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है।

अंततः, रीढ़ की हड्डी की देखभाल केवल एक शारीरिक ज़रूरत नहीं, बल्कि बेहतर और सक्रिय जीवन जीने की कुंजी है। इसलिए समय पर कदम उठाकर हम न सिर्फ दर्द से राहत पा सकते हैं, बल्कि अपने जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर बना सकते हैं।

Related Articles

Back to top button