दिल्ली विश्वविद्यालय: एबीवीपी का जोरदार प्रदर्शन, अनिश्चितकालीन धरने की चेतावनी

छात्र नेताओं का कहना है कि जब तक प्रशासन उनकी मांगों पर उचित कार्यवाही नहीं करता, तब तक यह धरना जारी रहेगा।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: अखिल भारतिया विद्यार्थी परिषद यानी ABVP ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।

छात्र हितों से जुड़ी कई अहम मागों को लेकर संगठन ने विश्वविद्यालय परिसर में ‘छात्र अधिकार मार्च’ निकाला, जिसमें हजारों की संख्या में छात्र-छात्रओं ने भाग लिया। प्रदर्शन के दौरान एबीवीपी नेताओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि यह एक चेतावनी है। यदि अब भी प्रशासन ने संवाद और समाधान नहीं किया, तो हमारा धरना और आंदोलन और भी व्यापक रीप लेगा। मार्च के समापन के बाद एबीवीपी और एबीवीपी समर्थित दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के पदाधिकारी अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठगए।

छात्र नेताओं का कहना है कि जब तक प्रशासन उनकी मांगों पर उचित कार्यवाही नहीं करता, तब तक यह धरना जारी रहेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन अगर प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं हुई, तो इसका दायरा और बढ़ाया जाएगा।

एबीवीपी ने यह मार्च दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) से आरंभ हुआ और मेट्रो की मुख्य सड़क से होते हुए कला संकाय (आर्ट्स फैकल्टी) पर पहुंचकर संपन्न किया. छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर छात्रों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया और अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठ गए और संघर्ष तेज करने का ऐलान किया.

ये हैं मांगें
एबीवीपी ने अपनी मांगों में विश्वविद्यालय में केंद्रीयकृत हॉस्टल आवंटन प्रणाली को शीघ्र लागू करने, ‘एक कोर्स, एक फीस’ नीति को पीजी पाठ्यक्रमों में लागू किए जाने, कॉलेजों में अनैतिक रूप से बढ़ाई गई फीस को तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाने एवं सभी कॉलेजों में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का पूर्णतः गठन और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किए जाने जैसी मांगों को सम्मिलित किया है.

एबीवीपी दिल्ली प्रांत मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा, “विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार छात्रों की समस्याओं की अनदेखी कर रहा है. हम हॉस्टल, फीस और सुरक्षा जैसे मूलभूत मुद्दों को लेकर वर्षों से आवाज़ उठा रहे हैं, लेकिन समाधान के नाम पर केवल औपचारिकता की जाती है.”

‘ये अभी चेतावनी’
उन्होंने आगे कहा, “यह ‘छात्र अधिकार मार्च’ एक चेतावनी है अब अगर प्रशासन ने संवाद और समाधान नहीं किया, तो हमारा धरना और आंदोलन और व्यापक रूप लेगा. साथ ही हम प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जब तक हमारी मांगें मानी नहीं जाती तब तक हम धरने पर से उठेंगे नहीं.”

डूसू सचिव मित्रविंदा कर्णवाल ने कहा कि, “महिला सुरक्षा से जुड़े मामलों में विश्वविद्यालय की उदासीनता चिंताजनक है. ICC का गठन केवल कागजों में नहीं, जमीनी स्तर पर सक्रिय होना चाहिए. हम छात्राओं की गरिमा, सुरक्षा और शिकायत निवारण की पूरी व्यवस्था की मांग करते हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन से अपनी मांगों को मानने की मांग करते हैं.”

‘ये छात्र अधिकारों का संकल्प’
डूसू उपाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा, “यह आंदोलन केवल मांगों की सूची नहीं है, बल्कि छात्र समुदाय के अधिकारों की रक्षा का संकल्प है. यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस शांतिपूर्ण आंदोलन को हल्के में लिया, तो यह संघर्ष हर कॉलेज और हर छात्र तक पहुंचेगा तथा हम इन मांगों को मनवाकर ही दम लेंगे.”

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