RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर भड़के कांग्रेस नेता उदित राज, बोले – इनके लिए भारतीयता क्या है?

उदित राज ने कहा, ''इनके लिए भारतीयता क्या है? जातियों में बांटना, नफरत की दीवार खड़ी करना. आज भी दलित घोड़ी पर नहीं चढ़ सकते.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि इनके लिए भारतीयता क्या है? जातियों में बांटना, नफरत की दीवार खड़ी करना.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के भारतीयता वाले बयान पर कांग्रेस नेता उदित राज ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जात-पात, छूआछूत यहां है.भयंकर गरीबी यहां है. हिंदू-मुसलमान का रोज का झगड़ा है. जाति का नफरत है और दुनिया का कोई देश हमारे साथ नहीं है, मुंह से कुछ भी बोल दें. पहले अपने समाज को दुरस्त करना होगा.

उदित राज ने कहा, ”इनके लिए भारतीयता क्या है? जातियों में बांटना, नफरत की दीवार खड़ी करना. आज भी दलित घोड़ी पर नहीं चढ़ सकते. छूआछूत आज भी है. राष्ट्रपति तक मंदिर में नहीं जा सकतीं. क्या है इनकी भारतीयता. एक भी कॉर्पोरेट हाउस में दलित पिछड़ा नहीं है.”

भारतीय समाज में जाति के अलावा है क्या?- उदित राज

कांग्रेस नेता ने कहा, ”इनके भारतीयता का मतलब है कि 10-5 फीसदी लोग बाकी के लोगों का शोषण करें. बाकी के शूद्र बनकर उनकी सेवा करें. भारतीय समाज में जाति के अलावा है क्या? अगर भारतीयता समाधान होता तो लोग देश छोड़कर भाग क्यों रहे हैं. 40 लाख लोग अमेरिका चले गए, कौन अमेरिकी, ब्रिटिश नागरिक यहां आकर रह रहा है.”

मोहन भागवत ने क्या कहा?

मोहन भागवत ने मंगलवार (23 जुलाई) को लोगों से भारतीयता को आत्मसात करने और दुनिया को उन सभी समस्याओं का समाधान दिखाने का आह्वान किया, जिनका वह सामना कर रही है. इग्नू और अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास की ओर से आयोजित कार्यक्रम में दिल्ली में भागवत बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि भौतिकवाद के कारण विश्व अनेक समस्याओं का सामना कर रहा है और अब वह इनके उत्तर के लिए भारत की ओर देख रहा है, क्योंकि पिछले 2,000 वर्षों में लोगों के जीवन में खुशी और संतोष लाने के लिए पश्चिमी विचारों पर आधारित सभी प्रयास विफल हो गए हैं. मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में विज्ञान और आर्थिक क्षेत्र में हुई सभी प्रगतियों ने विलासिता की चीजें ला दीं और लोगों का जीवन आसान बना दिया, लेकिन दुखों का अंत नहीं कर सकीं.

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