कारगिल विजय दिवस: भारत की वीरता और बलिदान की गाथा

आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस मना रहा है,जो भारतीय सेना की अदम्य साहस और वीरता प्रतीक है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस मना रहा है,जो भारतीय सेना की अदम्य साहस और वीरता प्रतीक है। ठीक 26 साल पहले, 1999 में भारत और पकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध छिड़ा था, जो लगभग 85 दिनों तक चला।

इस युद्ध की शूरूआत 3 मई 1999 को हुई थी, जब पाकिस्तान के सैनिकों और आतंकवादियों ने चुपके से कारगिल की ऊंची पहाड़ियोंपर कब्जा कर लिया था।लेकिन भारतीय सेना ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में, बर्फीले पहाड़ों और दुर्गम इलाकों में अद्वितीय साहस दिखाते हुए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया।

भारतीय जवानों ने दिन-रात संघर्ष करते हुए, बिना रूके, बिना थके और बिना झुके दुश्मन से लोहा लिया। 26 जुलाई 1999 को भारत ने विजय प्राप्त की और दुश्मन सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। कारगिल विजय दिवस न केवल हमारे जवानों की बहदुरी का प्रतीक है, बल्कि यह दिन हमें उनके बलिदान और समर्पण की याद दिलाता है। इस अवसर पर देशभर में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी जा रही है और विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उनकी वीरता को नमन किया जा रहा है।

कारगिल युद्ध जहां एक तरफ जवानों पर गर्व करने का मौका देता है. वहीं, यह विजय दिवस उन सभी शहीदों की याद दिलाता है जिन्होंने देश के नाम अपनी जान निछावर कर दी. विक्रम बत्रा से लेकर मनोज कुमार पांडे देश की मिट्टी की रक्षा के लिए मर मिटे और अपने पीछे छोड़कर एक परिवार जो 26 साल बाद भी उनकी आवाज सुनने और उनको गले लगाने, युद्ध में जीत की बधाई देने का इंतजार कर रहा है.

कहां से शुरू हुआ युद्ध?
भारत-पाकिस्तान दो ऐसे देश हैं, जो 1947 से पहले एक सा इतिहास शेयर करते हैं. 1947 में आजादी मिलने के बाद देश का विभाजन हुआ. धर्म के आधार पर पाकिस्तान बना. विभाजन होने के बाद एरिया के हिस्से होने में दोनों देशों के बीच जो तनाव शुरू हुआ वो आज तक भी जारी है. कश्मीर को लेकर दोनों देश आमने-सामने आ गए. कारगिल वॉर से पहले भारत पाकिस्तान के बीच 1965 और 1971 में भी जंग हुई.

कारगिल युद्ध भी पाकिस्तान की कश्मीर को हासिल करने की जिद्द थी. जिसके चलते पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ रणनीति बनाई. पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ सैन्य अभियान की तैयारी की थी. इस योजना को बनाने वालों में पाकिस्तान सेना के तत्कालीन प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ, जनरल मोहम्मद अजीज, जावेद हसन और महमूद अहमद शामिल थे. पाकिस्तान ने इसको ऑपरेशन बद्र का नाम दिया था. लेकिन, पाकिस्तान के इस ऑपरेशन के बारे में जानने के बाद भारत ने ऑपरेशन विजय शुरू किया.

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