महाराष्ट्र में गुजरातियों पर हो रहा अत्याचार, मोदी चुप क्यों? उठ रहे सवाल!

गुजरातियों पर महाराष्ट्र में चला हंटर! भाषा विवाद पर मोदी चुप क्यों? यही है बीजेपी का अमृत काल? उठ रहे सवाल!

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों मुंबई इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है….. मुंबई कभी बॉम्बे स्टेट का हिस्सा था……. आज फिर से सुर्खियों में है……. इस बार वजह है भाषा विवाद…….. जिसने गुजरातियों और मराठी समुदाय के बीच तनाव को बढ़ा दिया है……. हाल के दिनों में मुंबई और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में गुजराती व्यापारियों……. और निवासियों पर हमले की खबरें सामने आई हैं……. ये हमले कथित तौर पर मराठी भाषा को अनिवार्य करने….. और गैर-मराठी भाषियों  खासकर गुजरातियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाइयों से जुड़े हैं……

वहीं अब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह…… दोनों ही गुजरात से ताल्लुक रखते हैं……. और महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार है…… तब भी गुजरातियों पर हो रहे इन हमलों पर केंद्र और राज्य सरकार की चुप्पी क्यों……… क्या यह वही ‘अमृत काल’ है……. जिसका वादा बीजेपी ने देशवासियों से किया था…… मोदी और शाह गुजरात के हैं….. महाराष्ट्र में डबल इंजन की सरकार है…. उसके बाद गुजरातियों पर हो रहे अत्याचार पर मोदी और शाह चुप्पी साधे हुए हैं…… वही जब मोदी महाराष्ट्र के मंत्री को फोन पर पूछा की मराठी में बात करूं या हिंदी में जिसको गोदी मीडिया बड़े जोर- शोर के साथ ब्रेकिंग खबर चलाया….. लेकिन अब गुजरातियों पर लगातार हमले हो रहे हैं…. फिर मोदी की चुप्पी हजम नहीं हो रही है….

आपको बता दें कि भारत में भाषा हमेशा से एक संवेदनशील मुद्दा रहा है…….. आजादी के बाद 1956 में राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर किया गया……. बॉम्बे स्टेट जिसमें वर्तमान गुजरात और महाराष्ट्र शामिल थे…… उनको 1 मई 1960 को दो अलग-अलग राज्यों में बांट दिया गया…….. गुजरात में गुजराती और महाराष्ट्र में मराठी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया…… मुंबई उस समय बॉम्बे स्टेट की राजधानी थी…….. जो एक बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक शहर था……. यहां मराठी, गुजराती, हिंदी और अन्य कई भाषाएं बोली जाती थीं…….. लेकिन मराठी भाषा को महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान के रूप में देखा जाता रहा है……. समय-समय पर मराठी अस्मिता को लेकर राजनीतिक…… और सामाजिक आंदोलन देखने को मिले हैं…….. जिनमें गैर-मराठी भाषियों को निशाना बनाया गया…….

हाल ही में महाराष्ट्र में मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं……. और महाराष्ट्र सरकार ने पहली से पांचवीं कक्षा में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का फैसला किया था……. लेकिन इस फैसले को मराठी भाषा पर हमले के रूप में देखा गया……. जिसके बाद शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), एनसीपी (शरद पवार) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना जैसे दलों ने इसका कड़ा विरोध किया……. जिसके चलते सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा……

वहीं हाल की घटनाओं में मुंबई के कुछ इलाकों में गुजरातियों पर हमले की खबरें सामने आई…… बता दें कि घाटकोपर और बोरिवली में गुजराती व्यापारियों……. और निवासियों पर मराठी भाषा बोलने को लेकर हमले की खबरें सामने आई हैं…….. इन हमलों का कारण कथित तौर पर यह है कि कुछ स्थानीय संगठनों ने गैर-मराठी भाषियों, खासकर गुजरातियों, को मराठी बोलने के लिए दबाव डाला…….. जो लोग मराठी नहीं बोल पाए…… उन्हें निशाना बनाया गया……

ऐसी ही एक घटना में एक गुजराती व्यापारी को कथित तौर पर स्थानीय गुंडों ने मारपीट का शिकार बनाया…….. क्योंकि उसने मराठी में जवाब देने से इनकार कर दिया……. इस घटना की निंदा करते हुए गुजरात कांग्रेस के नेता अमित चावड़ा ने ट्वीट किया कि मुंबई में भाषा विवाद के नाम पर गुजराती व्यापारी पर हमले की घटना की घोर निंदा करते हैं…… जब PM और देश के गृहमंत्री गुजराती हैं……. महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार है……. तब भी सरकार में से किसी ने न एक्शन लिया….. न निंदा की…… वहीं ये घटनाएं न केवल सामाजिक तनाव को बढ़ा रही हैं……. बल्कि यह सवाल भी उठा रही हैं कि क्या बीजेपी की ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की नीति सिर्फ़ नारों तक सीमित है……

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के गौरव के प्रतीक माने जाते हैं…….. इस मुद्दे पर पूरी तरह चुप हैं……. यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठे हैं……. 2022 में पैगंबर मुहम्मद पर बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा की टिप्पणी को लेकर हुए विवाद में भी पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पीएम की चुप्पी पर सवाल उठाए थे……. और उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री की चुप्पी संयोगवश नहीं है……बल्कि इसके कई मायने हैं…… वहीं इस बार भी जब गुजरातियों पर हमले की खबरें सामने आ रही हैं…….. न तो पीएम मोदी और न ही गृह मंत्री अमित शाह ने कोई बयान जारी किया है……. यह चुप्पी कई सवाल खड़े करती है…….

क्या केंद्र सरकार महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी सरकार पर दबाव नहीं डाल सकती…… क्या गुजरातियों की सुरक्षा बीजेपी के लिए प्राथमिकता नहीं है….. क्या यह चुप्पी बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है……. ताकि मराठी वोटबैंक नाराज़ न हो…… वहीं अब सवाल उठता है कि अपना वोट बैंक बचाने के लिए मोदी किसी भी स्तर तक जा सकते हैं….. वहीं मोदी की चुप्पी से साफ पता चल रहा है….. कि मोदी को देश की जनता की कोई चिंता नहीं है….. उनको सिर्फ अपनी कुर्सी से प्यार है….. और अपनी कुर्सी को बरकरार रखने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं…….

बता दें कि बीजेपी ने 2022 में आजादी के 75वें साल को ‘अमृत काल’ के रूप में प्रचारित किया था…….. यह वह दौर बताया गया……. जिसमें भारत विकास की नई ऊंचाइयों को छूएगा……. सामाजिक सद्भाव बढ़ेगा और देश एकजुट होगा……… लेकिन महाराष्ट्र में हो रहे भाषा विवाद और गुजरातियों पर हमले इस ‘अमृत काल’ की हकीकत पर सवाल उठाते हैं……

महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद, गुजरातियों के खिलाफ हिंसा को रोकने में नाकामी साफ दिखाई देती है……. शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के मुखपत्र ‘सामना’ में बीजेपी पर तीखा हमला बोला गया……. इसमें लिखा गया कि पीएम मोदी और अमित शाह ने गुजरात के स्कूलों से हिंदी को हटा दिया…….. लेकिन महाराष्ट्र में मराठी को मिटाने के लिए हिंदी को अनिवार्य कर दिया……. वहीं यह न केवल बीजेपी की नीतियों पर सवाल उठाता है…… बल्कि यह भी दिखाता है कि भाषा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल की कमी है…….

महाराष्ट्र में मराठी भाषा और संस्कृति को हमेशा से गर्व के साथ देखा जाता रहा है…….. मुंबई में मराठी भाषी आबादी 44 लाख से अधिक है…….. जो शहर की कुल जनसंख्या का लगभग 20 फीसदी है….. लेकिन मुंबई एक कॉस्मोपॉलिटन शहर है…… जहां गुजराती, हिंदी, तमिल, तेलुगु और बंगाली जैसी कई भाषाएं बोली जाती हैं……. आपको बता दें कि गुजराती समुदाय व्यापार और उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है……. मुंबई की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है…….

फिर भी समय-समय पर मराठी अस्मिता के नाम पर गैर-मराठी भाषियों को निशाना बनाया जाता रहा है……. 2008 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने गैर-मराठी लोगों…… खासकर उत्तर भारतीयों और गुजरातियों के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन किए थे…… वहीं 2025 में यह मुद्दा फिर से तेजी से उभर रहा है…… और गुजरातियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है……

वहीं विपक्षी दल कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और एनसीपी…….. इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर हमलावर हैं……. कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने कहा कि गुजरात में बीजेपी के अध्यक्ष मराठी मूल के हैं……. फिर भी उन्होंने इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं की……. यह दिखाता है कि बीजेपी के लिए सत्ता से ज्यादा कुछ नहीं मायने रखता…… शिवसेना (उद्धव ठाकरे) ने भी इस मुद्दे पर फडणवीस सरकार को घेरा है……… ‘सामना’ में लिखा गया कि हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं……. लेकिन अगर हिंदी को मराठी पर थोपा जाएगा…… तो यह हमारी सांस्कृतिक पहचान पर हमला है……

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार को गुजरातियों पर हमले करने वालों के खिलाफ तत्काल……. और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए……. यह न केवल कानून-व्यवस्था को मजबूत करेगा…… बल्कि अन्य समुदायों में भी विश्वास पैदा करेगा…… केंद्र और राज्य सरकार को सभी समुदायों के बीच संवाद बढ़ाने की जरूरत है……. भाषा विवाद को सुलझाने के लिए सामुदायिक नेताओं, सांस्कृतिक संगठनों……. और राजनीतिक दलों के बीच बातचीत होनी चाहिए…… वहीं मराठी भाषा को बढ़ावा देने के साथ-साथ अन्य भाषाओं जैसे गुजराती और हिंदी को भी सम्मान देना होगा……. स्कूलों में बहुभाषी शिक्षा को प्रोत्साहन देना एक समाधान हो सकता है……. पीएम मोदी को इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए……. एक बयान या ट्वीट से वे देश को यह संदेश दे सकते हैं कि…… उनकी सरकार सभी समुदायों की सुरक्षा और सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है…….

महाराष्ट्र में गुजरातियों पर हो रहे हमले और भाषा विवाद ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि…….. भारत जैसे बहुसांस्कृतिक देश में भाषा और क्षेत्रीय अस्मिता के मुद्दे कितने संवेदनशील हैं……. बीजेपी ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा देती है…… उसके लिए भाषा विवाद एक बड़ी परीक्षा है…… अगर केंद्र और राज्य सरकार इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई नहीं करती…….. तो यह सामाजिक तनाव को और बढ़ा सकता है…….

 

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