Shahjahanpur: पुवायां तहसील में हंगामा, IAS रिंकू सिंह राही ने क्यों लगाई उठक-बैठक?
Shahjahanpur: पुवायां तहसील में हंगामा, IAS रिंकू सिंह राही ने क्यों लगाई उठक-बैठक? योगी राज में ईमानदारी की सजा? ब्यूरोक्रेसी की नाक कटी!

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों यूपी के शाहजहांपुर जिले की पुवायां तहसील में एक ऐसी घटना घटी.. जिसने न केवल प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया… बल्कि योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.. यह मामला एक ईमानदार IAS अफसर रिंकू सिंह राही का है.. जिन्हें अपने पहले ही दिन वकीलों के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक करनी पड़ी. वहीं अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. और लोग इसे योगी सरकार में ब्यूरोक्रेसी की बदहाली.. और ईमानदारी की सजा के रूप में देख रहे हैं..
आपको बता दें कि शाहजहांपुर की पुवायां तहसील में एक ऐसी घटना घटी.. जिसने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया.. नवागत उपजिलाधिकारी और IAS अफसर रिंकू सिंह राही ने सोमवार रात को पुवायां तहसील में अपना कार्यभार संभाला था.. मंगलवार को अपने पहले ही दिन जब वे तहसील परिसर का निरीक्षण कर रहे थे.. तब उनकी नजर एक वकील के मुंशी पर पड़ी.. जो तहसील परिसर में खुले में पेशाब कर रहा था.. स्वच्छता और अनुशासन के प्रति अपनी निष्ठा दिखाते हुए रिंकू सिंह ने उस मुंशी को फटकार लगाई.. और उसे सजा के तौर पर कान पकड़कर उठक-बैठक करने को कहा.. उनका मकसद था कि इस तरह की हरकत दोबारा न हो और तहसील परिसर में स्वच्छता बनी रहे..
लेकिन यह छोटा-सा कदम एक बड़े विवाद में बदल गया.. उस मुंशी ने यह बात वकीलों तक पहुंचा दी.. जिन्हें यह कार्रवाई अपमानजनक लगी.. वकील समुदाय ने इसे अपने सम्मान पर हमला माना.. और तहसील परिसर में धरना शुरू कर दिया.. वकीलों का गुस्सा इस कदर बढ़ा कि उन्होंने रिंकू सिंह राही से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की.. स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए रिंकू सिंह धरना स्थल पर पहुंचे.. और उन्होंने मंच पर खड़े होकर कहा कि मैं इस तहसील का सबसे बड़ा अधिकारी हूं.. अगर मेरी बातों से किसी को ठेस पहुंची हो.. तो मैं आप सभी से माफी मांगता हूं.. इसके बाद उन्होंने वकीलों के सामने खुद कान पकड़कर पांच बार उठक-बैठक की.. वहीं इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया..
बता दें कि रिंकू सिंह राही कोई साधारण IAS अफसर नहीं हैं.. उनकी जिंदगी संघर्ष, साहस और ईमानदारी की मिसाल है.. हाथरस के रहने वाले रिंकू सिंह ने 2021 में दिव्यांग कोटे से UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास की.. और 683वीं रैंक हासिल की.. 2022 बैच के IAS अफसर के रूप में उनकी नियुक्ति हुई.. और वे वर्तमान में शाहजहांपुर की पुवायां तहसील में SDM के पद पर कार्यरत हैं.. वहीं रिंकू सिंह का नाम पहली बार 2009 में तब सुर्खियों में आया.. जब उन्होंने मुजफ्फरनगर में समाज कल्याण अधिकारी के रूप में कार्य करते हुए 83 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया… इस साहसी कदम ने कई रसूखदार लोगों को बौखला दिया.. जिसके चलते उन पर हमला हुआ और उन्हें सात गोलियां मारी गईं.. इस हमले में उनकी एक आंख और जबड़ा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया.. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने जज्बे को बनाए रखा. इससे साफ पता चलता है कि वे एक इमानदार अफसर हैं, जो भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता के खिलाफ बिना डरे खड़े होते हैं..
आपको बता दें कि पुवायां तहसील में यह विवाद तब और गहरा गया.. जब वकीलों ने रिंकू सिंह की कार्रवाई को अपने सम्मान के खिलाफ माना.. वकीलों का कहना था कि तहसील परिसर के शौचालय गंदे हैं.. जिसके कारण लोग बाहर पेशाब करने को मजबूर हैं.. इस पर रिंकू सिंह ने अपनी जिम्मेदारी स्वीकारी.. और कहा कि अगर शौचालय की स्थिति खराब है.. तो यह प्रशासन की लापरवाही है.. और उन्होंने यह भी कहा कि वह इस मामले में सुधार करेंगे.. लेकिन वकीलों का गुस्सा शांत नहीं हुआ.. और उन्होंने रिंकू सिंह से न केवल माफी मांगने की मांग की.. बल्कि उन्हें कान पकड़कर उठक-बैठक करने के लिए मजबूर किया…
वहीं यह सीन जिसमें एक IAS अफसर कोट-पैंट-टाई में वकीलों के सामने कान पकड़कर उठक-बैठक करता नजर आया.. न केवल चौंकाने वाला था. बल्कि यह प्रशासनिक गरिमा पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है. वहीं कुछ लोग इसे योगी सरकार में ब्यूरोक्रेसी की कमजोरी और ईमानदार अफसरों के अपमान के रूप में देख रहे हैं..
बता दें कि यह घटना योगी सरकार के लिए एक बड़ा झटका साबित हो रही है.. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार हमेशा से अनुशासन, स्वच्छता.. और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति की बात करती रही है.. लेकिन इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या ईमानदार अफसरों को योगी राज में सजा मिल रही है.. रिंकू सिंह राही जैसे अफसर पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते हुए अपनी जान जोखिम में डाल चुके हैं.. आज वकीलों के सामने अपमानित होने को मजबूर हैं..
वहीं इस पूरे मामले पर रिंकू सिंह राही ने अपनी सफाई दी है.. और उन्होंने कहा कि मैंने तहसील परिसर में एक व्यक्ति को खुले में पेशाब करते देखा.. मैंने उसे समझाने के लिए सजा दी थी.. ताकि वह भविष्य में ऐसी हरकत न करे.. जब वकीलों ने शौचालय की गंदगी की बात उठाई.. तो मैंने अपनी जिम्मेदारी स्वीकारी और उनके सामने उठक-बैठक की.. मेरा मकसद किसी को अपमानित करना नहीं था.. बल्कि स्वच्छता और अनुशासन का संदेश देना था..
दोस्तों तो सुना आपने कि एक IAS अफसर ने कितनी सादगी और विनम्रता से साथ अपनी बात रखी.. वहीं योगी बाबा की सरकार ने हमेशा से अनुशासन और स्वच्छता को अपनी प्राथमिकता बताया है.. स्वच्छ भारत मिशन से लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई तक. योगी सरकार ने कई बड़े दावे किए हैं.. लेकिन इस घटना ने यह दिखाया कि जमीनी हकीकत कुछ और है. अगर एक IAS अफसर को अपने पहले ही दिन इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ता है. तो यह सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था पर बड़ा सवाल है..



