मेनोपॉज से डरे नहीं, समझे इसके लक्षण और देखभाल के तरीके

मेनोपॉज वो सिचुएशन है जिसमें किसी महिला को 12 महिनों तक पीरियड्स नहीं आते. बढ़ती उम्र के साथ हर महिला को इन सिचुएशन्स से गुजरना पड़ता है.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: अगर महिलाएं मेनोपॉज की समस्या से गुजर रही है, तो बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं में ये समस्याएं बढने लगती है। यह एक स्वाभविक जैविक प्रक्रिया है। जिससे लगभग हर महिला को 40 से 55 साल की उम्र के बीच गुजरना पड़ता है। यह एक हार्मोनल बदलाव है, जो महिलाओं के शरीर में कई तरह के परिवर्तन करता है।

मेनोपॉज वो सिचुएशन है जिसमें किसी महिला को 12 महिनों तक पीरियड्स नहीं आते. बढ़ती उम्र के साथ हर महिला को इन सिचुएशन्स से गुजरना पड़ता है. वैसे तो लगभग 55 साल तक सभी महिलाओं को मेनोपॉज हो जाता है. इसे reproductive and fertility year end भी कहते हैं क्योंकि मेनोपॉज के बाद बच्चे पैदा नहीं हो सकते. ध्यान देने वाली बात ये है कि मेनोपॉज का समय हर महिला के लिए अगल होता है. किसी को 40 की उम्र में ही मेनोपॉज हो जाता को किसी को 5 साल की उम्र के बाद भी नहीं होता.

महिलाओं के जीवन में हार्मोनल बदलाव का एक बड़ा पड़ाव होता है- मेनोपॉज. लेकिन यह एक दिन में नहीं आता. यह एक प्रक्रिया होती है जो तीन चरणों में बंटी होती है: प्री-मेनोपॉज (Perimenopause), मेनोपॉज (Menopause) और पोस्ट-मेनोपॉज (Postmenopause). हर स्टेज की अपनी पहचान होती है, अलग-अलग लक्षण और अलग देखभाल की जरूरत होती है. मेनोपॉज का सबसे बड़ा कारण है शरीर में दो प्रमुख महिला हार्मोन एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोनका कम हो जाना. ये हार्मोन ओवरीज़ बनाती हैं और जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, इनकी मात्रा घटती जाती है जिससे ओवुलेशन रुक जाता है और पीरियड्स बंद हो जाते हैं.

प्री-मेनोपॉज की उम्र और लक्षण

सफदरजंग अस्पताल में महिला रोग विभाग में डॉ.  बताते हैं कि हर महिला को 40 की उम्र में मेनोपॉज नहीं होता. किसी को 35 की उम्र में भी मेनोपॉज हो जाता है. कॉमन age से पहले मेनोपॉज होने को ही प्री-मेनोपॉज कहा जाता है. हालांकि ऐसे सिर्फ 10 फिसदी महिलाओं को ही होता है. इस स्टेज में ओवरीज़ धीरे-धीरे कम हार्मोन (एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्ट्रोन) बनाने लगती हैं, पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं. फर्टिलिटी घटने लगती है, शरीर हार्मोनल बदलावों को महसूस करने लगता है.

प्री-मेनोपॉज के लक्षण-

प्री-मेनोपॉज की उम्र में पीरियड्स का चक्र बदलना शुरू हो जाता है जैसे कभी बहुत जल्दी या बहुत देर से आना. कभी -कभी अचानक गर्मी लगना शुरू हो जाता है जिसे हॉट फ्लैशेस भी कहते हैं. रात को पसीना आना, मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, नींद में परेशानी, यौन इच्छा में कमी, बालों का झड़ना या त्वचा का ड्राय होना जैसे संकेत भी दिखाई देने लगते हैं.

पोस्ट-मेनोपॉज की उम्र और लक्षण

55 की उम्र के आते आते महिला को अगर 12 महिनों तक कोई पीरियड्स नहीं आएं हैं तो मेनोपॉज हो चुका होता है. इसके बाद की स्थिति को पोस्ट-मेनोपॉज कहते हैं. भारत में ये 50 से 55 साल की महिलाओं में होता है. इस स्टेज में ओवरीज़ अंडाणु बनाना बंद कर देती हैं. एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन लगभग पूरी तरह बंद हो जाते हैं. महिला अब गर्भधारण नहीं कर सकती.

पोस्ट-मेनोपॉज के लक्षण

हॉट फ्लैशेस और रात को पसीना तेज़ हो सकता है, वेजाइना में ड्राइनेस हो जाती है, मूड में उतार-चढ़ाव, थकान और कमजोर महसूस होना, ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल, जोड़ों में दर्द जैसी शिकायत रहती है. लगभल साल भर तक इस तरह की समस्याएं हो सकती है.

क्या करें? हर स्टेज में देखभाल जरूरी है

आपको बता दें,कि कैल्शियम और विटामिन D का सेवन करें।एक्सरसाइज़ और योग को रूटीन में शामिल करें।भरपूर पानी पिएं और संतुलित भोजन लें।डॉक्टर से समय-समय पर जांच करवाएं।स्ट्रेस को कम करें, नींद पूरी लें।

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