सुप्रीम डे : कई अहम मामलों पर फैसला, सरकारों पर भी अंकुश

- बिहार मतदाता सूची संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज से सुनवाई शुरू
- वैक्सीनेशन के बाद मूल स्थान पर छोड़े जाएंगे कुत्ते
- डॉग लवर्स की जीत
- सार्वजनिक स्थानों पर खिलाया खाना तो लगेगा जुर्माना
- मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में अहम सुनवाई
- संभल मस्जिद विवाद में 25 अगस्त तक जस की तस स्थिति के आदेश
पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। आज आवारा कुत्तों की ज़ंजीर, मतदाता नामों का गायब होना। संभल मस्जिद विवाद श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद का विवाद जैसे संवेनशील मुद्दो पर भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एतिहासिक आदेश और गाइडलांइस जारी की।
इन आदेशों से सरकारों को भी गंभीर संदेश देने का प्रयास किया गया है। उन्हें मनमानी नहीं करनी चाहिए और कोई भी निणर्य संविधान के दायरे में ही किए जाने चाहिए। आज का दिन न्याय की तराज़ू पर तीन अलग-अलग सच एक साथ रखे जाने वाले अहम दिन के तौर पर था। इंसान और जानवर के बीच सहअस्तित्व की जद्दोज़हद को लेकर कोर्ट ने लोगों की भावनाओं का आदर करते हुए अपने मूल आदेश में संशोधन किया। कोर्ट ने संभल मस्जिद विवाद में 25 अगस्त तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। उन्होंने हिंदू याचिकाकर्ताओं को नोटिस भी जारी किया। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर की पीठ ने यह आदेश पारित किया।
पीठ के निर्देश अब पूरे भारत में लागू
दो न्यायाधीशों की पीठ के निर्देश अब पूरे भारत में लागू हैं। सभी संबंधित मामले सुप्रीम कोर्ट को स्थानांतरित कर दिए गए हैं। आवारा कुत्तों पर प्रतिबंध लगाने वाला दो न्यायाधीशों की पीठ का पिछला आदेश यथावत है, लेकिन एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, इसलिए निर्देशों में संशोधन किया गया है। नगरपालिका अधिकारियों को आवारा कुत्तों को छोडऩे से रोकने वाले निर्देश को छोड़कर, अन्य सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए। रेबीज या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को नहीं छोड़ा जाना चाहिए, जबकि अन्य को अनुमति दी जा सकती है।
कुत्तों पर संशोधित आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर अपने पुराने आदेश में संशोधन करते हुए आज एक नया अंतरिम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा है कि अब वैक्सीनेशन के बाद कुत्तों को उनके मूल इलाकों में ही छोड़ा जाएगा लेकिन रेबीज से पीडि़त या आक्रामक कुत्तों को छोड़े जाने की अनुमति नहीं होगी। साथ ही सड़कों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। इसके बजाय नगर निगम (एमसीडी) को कुत्तों के लिए विशेष फीडिंग स्थल बनाने का निर्देश दिया गया है ताकि व्यवस्थित तरीके से उनकी देखभाल हो सके। कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ निर्धारित जगहों पर ही कुत्तों की फीडिंग की जाएगी। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई इन नियमों की अवहेलना करता हुआ पाया गया तो निश्चित तौर पर उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को फीडिंग करने की अनुमति नहीं दी है।
कांग्रेस की मान्यता रद्द करने की अर्जी
एक जनहित याचिका ने कांग्रेस की मुसीबत बढ़ा दी है। सतीश कुमार अग्रवाल नाम के व्यक्ति ने चुनाव आयोग के खिलाफ गंभीर आरोप लगाने पर कांग्रेस की मान्यता रद्द कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल डाली है। राहुल गांधी ने हाल ही में वोट चोरी का मुद्दा उठाया है।
एसआईआर पर राजनीतिक दलों की निष्क्रियता पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार के राजनीतिक दलों को मसौदा मतदाता सूची से बाहर रह गए लोगों को दावे और आपत्तियां दर्ज कराने में मदद करने में निष्क्रियता के लिए फटकार लगाई। शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी चुनाव आयोग द्वारा यह टिप्पणी किए जाने के बाद आई है, जो चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कर रहा है। आयोग ने कहा कि जनता की आलोचना के बावजूद किसी भी प्रमुख राजनीतिक दल ने कोई आपत्ति या शिकायत दर्ज नहीं कराई है। सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि हम केवल राजनीतिक दलों की निष्क्रियता से हैरान हैं। बीएलए (बूथ-स्तरीय एजेंट) नियुक्त करने के बाद, वे क्या कर रहे हैं? लोगों और स्थानीय राजनीतिक व्यक्तियों के बीच दूरी क्यों है? राजनीतिक दलों को मतदाताओं की सहायता करनी चाहिए। मामले में 12 राजनीतिक दलों को पक्षकार बनाते हुए शीर्ष अदालत ने उन्हें निर्देश दिया कि वे पार्टी कार्यकर्ताओं को आदेश जारी करें कि वे लोगों को चुनाव आयोग द्वारा सूचीबद्ध 11 दस्तावेजों या आधार कार्ड में से किसी के साथ अपनी शिकायत दर्ज कराने में सहायता करें।
संभल जामा मस्जिद विवाद
संभल मस्जिद विवाद में 25 अगस्त तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। उन्होंने हिंदू याचिकाकर्ताओं को नोटिस भी जारी किया। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर की पीठ ने यह आदेश पारित किया। शीर्ष अदालत मस्जिद समिति की ओर से दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद में संभल की एक अदालत की ओर से दिए गए सर्वेक्षण के खिलाफ उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी और सर्वेक्षण के लिए सिविल अदालत के निर्देश को बरकरार रखा गया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश और मुकदमा विचारणीय है।




