CDS जनरल अनिल चौहान ने रण संवाद में ऐसा क्यों कहा? युद्ध और शांति के बीच का अंतर मिट गया
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने मध्य प्रदेश में रण संवाद में अहम बाते सामने रखी. उन्होंने कहा, भारत हमेशा शांति के पक्ष में खड़ा रहा है.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने मध्य प्रदेश में रण संवाद में अहम बाते सामने रखी. उन्होंने कहा, भारत हमेशा शांति के पक्ष में खड़ा रहा है. हम एक शांति-पसंद राष्ट्र हैं, लेकिन गलत मत समझिए, हम सिर्फ अहिंसावादी नहीं हो सकते. मेरे हिसाब से बिना शक्ति के शांति सिर्फ एक आदर्शवाद है. मैं एक लैटिन उदाहरण कहना चाहता हूं, अगर आप शांति चाहते हैं, तो युद्ध के लिए तैयार रहिए.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद तीनों सेनाओं ने युद्ध पद्धति में इनोवेशन और रणनीती को लेकर राष्ट्रीय स्तर का रण संवाद 2025 आयोजित किया. यह कार्यक्रम मध्य प्रदेश में किया जा रहा है. इस सेमिनार में थल सेना, जल सेना और वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हो रहे हैं.
इस मौके पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा, मैं उम्मीद करता हूं कि यह सेमिनार सिर्फ तकनीक पर ही नहीं, बल्कि इस बात पर भी आधारित होंगे कि भविष्य में किस तरह की लड़ाइयां होंगी और उनके पीछे के कारणों पर भी ध्यान देगा. मेरी हिसाब से चार मुख्य चीजें हैं. सबसे पहले, देशों और सरकारों में शक्ति का इस्तेमाल करने का ट्रेंड बढ़ रहा है.
#WATCH | Mhow, MP: At the Ran Samvad, CDS General Anil Chauhan says, "…I hope this particular seminar, apart from technology, will also focus upon what kind of wars will happen in the future, the background for this. In my view, there are four essential trends that I foresee.… pic.twitter.com/HiU8gat2iC
— ANI (@ANI) August 26, 2025
सीडीएस जनरल ने कहा, दूसरा ट्रेंड जो मैं देखता हूं, वो यह है कि युद्ध और शांति के बीच का अंतर मिट गया है. पहले हम घोषित युद्धों के समय में रहते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. आधुनिक युद्ध आज एक तरह की की सतत प्रक्रिया बन गया है, जिसे मैं पांच Cs प्रतियोगिता, संकट, सामना , संघर्ष और लड़ाई के रूप में देखता हूं. तीसरी अहम बात है लोगों का महत्व. पहले युद्धों में सिर्फ क्षेत्र और विचारधारा के लिए लोग और सैनिक बलिदान देते थे.
चौथा अहम ट्रेंड जिस पर हम चर्चा कर सकते हैं, वो है जीत के मापदंड और हम जीत को कैसे समझते हैं. पहले जीत के मापदंड शायद सैनिकों और उपकरणों के नुकसान से तय किए जाते थे. उदाहरण के लिए, 1971 में हमने 95,000 पाकिस्तानी सैनिकों को पकड़ा. लेकिन आज के युद्ध में, जीत के नए मापदंड शायद यह हैं कि ऑपरेशन कितनी तेजी और लय के साथ हुए, लंबी दूरी के सटीक हमलों का क्या असर हुआ.
क्यों कहा युद्ध के लिए तैयार रहिए?
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बात करते हुए सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर एक आधुनिक संघर्ष था जिससे हमने कई सबक सीखे, इनमें से ज्यादातप पर काम चल रहा है, कुछ को लागू भी किया जा चुका है. यह ऑपरेशन अभी भी जारी है. साथ ही उन्होंने कहा, हम यहां ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करने नहीं आए हैं. हम यहां ऑपरेशन सिंदूर के परे की चीज़ों पर चर्चा करने आए हैं.
#WATCH | "India has always stood on the side of peace. We are a peace-loving nation, but don't get mistaken, we cannot be pacifists. I think peace without power is utopian. I like to state a Latin quote which translates, 'if you want peace, prepare for war'…" says CDS General… pic.twitter.com/auyHR1fgWw
— ANI (@ANI) August 26, 2025
उन्होंने आगे कहा, भारत हमेशा शांति के पक्ष में खड़ा रहा है. हम एक शांति-पसंद राष्ट्र हैं, लेकिन गलत मत समझिए, हम सिर्फ अहिंसावादी नहीं हो सकते. मेरी सोच में बिना शक्ति के शांति सिर्फ एक आदर्शवाद है. मैं एक लैटिन उद्धरण कहना चाहता हूं, जिसका मतलब है अगर आप शांति चाहते हैं, तो युद्ध के लिए तैयार रहिए.
सुदर्शन चक्र को लेकर क्या कहा?
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा, इस सेमिनार में हम सुदर्शन चक्र की चर्चा कर सकते हैं, यानी भारत का अपना आयरन डोम या गोल्डन डोम. प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को सुदर्शन चक्र के बारे में बात की और कहा कि यह भारत की रणनीतिक रक्षा को मजबूत करेगा. मेरी सोच में इसका मकसद भारत की रणनीतिक, नागरिक और राष्ट्रीय महत्व वाली जगहों की सुरक्षा के लिए एक प्रणाली विकसित करना है. यह प्रणाली ढाल और तलवार दोनों की तरह काम करेगी.
सीडीएस जनरल ने कहा, दो या तीन दिन पहले आपने सुना होगा कि डीआरडीओ (DRDO) ने एक विशेष इंटीग्रेटेड सिस्टम का परीक्षण किया, जिसमें QRSAM, VSHORADS और 5-किलोवाट लेजर शामिल थे और इन्हें एक साथ जोड़ा जा रहा था. हमें मल्टी-डोमेन ISR पर ध्यान देना होगा, जिसमें जमीन, हवा, समुद्र, समुद्र के नीचे, अंतरिक्ष और सेंसर सबको एकीकृत करना होगा. इसके लिए बहुत बड़े पैमाने पर इंटीग्रेशन की जरूरत होगी, क्योंकि कई क्षेत्रों को नेटवर्क के माध्यम से जोड़कर हमें एक एकीकृत तस्वीर (fused picture) मिल सके. रीयल-टाइम प्रतिक्रिया के लिए बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करना होगा. इसमें एआई (AI), डेटा एनालिटिक्स, बिग डेटा, LLM और क्वांटम तकनीकें बेहद जरूरी होंगे.



