जस्टिस पंचोली को सुप्रीम कोर्ट भेजे जाने पर क्यों छिड़ा है विवाद, महिला न्यायमूर्ति का खासतौर पर ऐतराज

जस्टिस विपुल पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किए जाने पर विवाद है. जस्टिस बीवी नागरत्ना ने उनकी नियुक्ति पर आपत्ति जताई है. उनके अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने भी नाखुशी व्यक्त की है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अभय एस ओका ने आपत्तियों को चिंताजनक बताया और कहा कि असहमति को सार्वजनिक किया जाना चाहिए.
जस्टिस ओका ने बुधवार को इसे बेहद चिंताजनक बताते हुए कहा, न्यायमूर्ति विपुल पंचोली को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने पर कॉलेजियम में असहमति को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है. हमें पारदर्शिता को परिभाषित करना होगा. आप सही कह रहे हैं कि एक न्यायाधीश ने असहमति जताई है, हमें पता होना चाहिए कि वह असहमति क्या है, इसमें कुछ भी गलत नहीं है. आपकी यह आलोचना जायज है कि असहमति सार्वजनिक क्यों नहीं हुई.
बता दें कि जस्टिस बीवी नागरत्ना कॉलेजियम के पांच न्यायाधीशों में से एक हैं. सरकार ने बुधवार को जस्टिस पंचोली की पदोन्नति को मंजूरी दी. वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने जस्टिस ओका से कॉलेजियम में अभूतपूर्व असहमति के बारे में पूछा. हालांकि, न्यायमूर्ति ओका ने यह भी आगाह किया कि असहमति का खुलासा जरूरी है, लेकिन कॉलेजियम की बैठक की कार्यवाही सार्वजनिक करने के लिए निजता की चिंताओं का भी ध्यान रखना होगा.
जस्टिस पंचोली को लेकर क्या है आपत्ति?
जस्टिस विपुल पंचोली के प्रमोशन पर जस्टिस बीवी नागरत्ना को आपत्ति है. उनका कहना है कि जस्टिस पंचोली की नियुक्ति न्याय प्रशासन के लिए प्रतिकूल होगी और कॉलेजियम प्रणाली की विश्वसनीयता को खतरे में डालेगी. जस्टिस बीवी नागरत्ना चीफ जस्टिस भूषण आर गवई की अध्यक्षता वाले पांच न्यायाधीशों के कॉलेजियम की एकमात्र महिला सदस्य हैं. जस्टिस बीवी नागरत्ना के अलावा कॉलेजियम में न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी शामिल हैं.
जस्टिस बीवी नागरत्ना की आपत्ति का केंद्र न्यायमूर्ति पंचोली का गुजरात हाई कोर्ट से पटना हाई कोर्ट में स्थानांतरण रहा है. जस्टिस पंचोली का ट्रांसफर जुलाई 2023 में हुआ था. जस्टिस नागरत्ना ने इसे एक सुविचारित विचार-विमर्श का परिणाम बताया. रिपोर्टों के अनुसार, न्यायमूर्ति नागरत्ना के नोट से संकेत मिलता है कि जस्टिस पंचोली हार्ट कोर्ट के न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में 57वें स्थान पर हैं. उनकी असहमति से पता चलता है कि इस प्रक्रिया में कई अन्य वरिष्ठ और समान रूप से योग्य न्यायाधीशों की अनदेखी की गई.
उन्होंने आगे बताया कि गुजरात उच्च न्यायालय का प्रतिनिधित्व पहले से ही सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और एनवी अंजारिया कर रहे हैं. न्यायमूर्ति नागरत्ना के अनुसार, उसी उच्च न्यायालय से तीसरे न्यायाधीश की नियुक्ति करने से संतुलन बिगड़ जाएगा, क्योंकि कई उच्च न्यायालयों का प्रतिनिधित्व नहीं है या उनका प्रतिनिधित्व कम है. न्यायमूर्ति नागरत्ना वर्तमान में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं. उनका कार्यकाल 2027 से शुरू होकर 36 दिनों का होगा.
जस्टिस पंचोली को जानिए
28 मई, 1968 को जन्मे न्यायमूर्ति पंचोली का न्यायिक सफर 1 अक्टूबर, 2014 को शुरू हुआ था, जब उन्हें गुजरात उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. 10 जून, 2016 को उन्हें स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. गुजरात उच्च न्यायालय में लगभग एक दशक की सेवा के बाद, 24 जुलाई, 2023 को उनका स्थानांतरण पटना उच्च न्यायालय में हुआ, जहां उन्होंने न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. अक्टूबर 2031 में उनका भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना है और उनका कार्यकाल डेढ़ साल से ज़्यादा का होगा.

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