गुजरात की कांग्रेस सांसद की बड़ी मांग, गाय को मिले ‘राज्यमाता’ का दर्जा
गुजरात की एकमात्र कांग्रेस सांसद ने राज्य की बीजेपी सरकार से खास मांग रखी है... उन्होंने कहा कि गाय को 'राज्यमाता' का दर्जा दिया जाए...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों भारत में गाय को हमेशा से एक विशेष स्थान मिला है….. यह न केवल एक पशु है, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है….. हाल ही में गुजरात से कांग्रेस की एकमात्र लोकसभा सांसद गेनीबेन नागाजी ठाकोर ने राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को एक पत्र लिखकर गाय को ‘राज्यमाता’ घोषित करने की मांग की है…… यह मांग महाराष्ट्र की तर्ज पर की गई है…… जहां सितंबर 2024 में स्वदेशी गौ नस्लों को ‘राज्यमाता गोमाता’ का दर्जा दिया गया था…… ठाकोर का यह पत्र स्थानीय धार्मिक नेता देवनाथ बापू के समर्थन में लिखा गया है…… जो पिछले एक सप्ताह से कच्छ जिले में इस मांग को लेकर अनशन पर बैठे हैं……. वहीं इस घटना ने गुजरात में गौ संरक्षण की बहस को फिर से तेज कर दिया है…… जहां धार्मिक संगठन और हिंदू नेता इस मुद्दे पर एकजुट हो रहे हैं…..
गेनीबेन ठाकोर बनासकांठा लोकसभा सीट से चुनी गई हैं….. उन्होंने अपने पत्र में साफ किया कि यह मांग कोई राजनीतिक या वैचारिक एजेंडा नहीं है…… बल्कि जनता की सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाओं से जुड़ी हुई है…. और उन्होंने कहा कि लोकसभा सदस्य और कांग्रेस नेता होने के नाते….. वह मुख्यमंत्री से अपील करती हैं कि गुजरात में भी गाय को ‘राज्यमाता’ का दर्जा दिया जाए…… ठाकोर का यह कदम कांग्रेस पार्टी के लिए भी दिलचस्प है……. क्योंकि पार्टी अक्सर ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ के आरोपों से बचती रही है…… लेकिन ठाकोर ने साफ कहा कि यह पार्टी का एजेंडा नहीं…… बल्कि लोगों की भावनाओं की छाया है…..
वहीं इस मांग के पीछे एक बड़ा आंदोलन है….. देवनाथ बापू एकलधाम से जुड़े हैं….. उन्होंने अनशन शुरू किया है…… क्योंकि पहले की कोशिशें नाकाम रहीं….. कच्छ के रापर में कई महंतों, साधुओं, राष्ट्रीय हिंदू संगठनों….. और बजरंग दल के नेताओं की बैठक हुई थी….. जिसके बाद 159 विधायकों को पत्र लिखे गए थे….. लेकिन कोई ठोस जवाब न मिलने पर अनशन का फैसला लिया गया….. देवनाथ बापू के समर्थकों का कहना है कि गाय को ‘राज्यमाता’ का दर्जा देने से न केवल धार्मिक भावनाओं को बल मिलेगा…… बल्कि गौ संरक्षण के प्रयासों को भी मजबूती मिलेगी…… यह घटना दिखाती है कि भारत में गाय का मुद्दा आज भी कितना संवेदनशील और महत्वपूर्ण है….
आपको बता दें कि यह पूरी घटना अगस्त में शुरू हुई…… जब देवनाथ बापू ने कच्छ में अनशन शुरू किया…… बापू एकलधाम के प्रमुख हैं और गौ संरक्षण के लिए लंबे समय से सक्रिय हैं…… उनके अनशन का मुख्य कारण गाय को ‘राज्यमाता’ घोषित करने की मांग है…… जो महाराष्ट्र में पहले ही लागू हो चुकी है…… वहीं अनशन से पहले कच्छ के रापर में एक बड़ी बैठक हुई थी…… इस बैठक में गुजरात और कच्छ जिले के कई महंत, साधु, राष्ट्रीय हिंदू संगठनों के प्रतिनिधि और बजरंग दल के नेता शामिल थे…… बैठक के बाद सभी ने मिलकर 159 विधायकों को पत्र लिखे…… जिसमें गाय को ‘राज्यमाता’ घोषित करने की अपील की गई…… लेकिन विधानसभा से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर देवनाथ बापू ने अनशन शुरू कर दिया…… कई साधु भी उनके साथ जुड़ गए……
इसी बीच गेनीबेन ठाकोर ने इस आंदोलन का समर्थन किया…… और उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल को पत्र लिखा….. जिसमें कहा गया कि मैंने सुना है कि गुजरात और कच्छ जिले के कई महंतों, साधुओं, राष्ट्रीय हिंदू संगठनों और बजरंग दल के नेताओं की बैठक के बाद 159 विधायकों को पत्र लिखा गया था…… लेकिन कोई उचित जवाब न मिलने पर देवनाथ बापू और कई साधुओं ने अनशन शुरू किया है…… ठाकोर ने आगे अपील की कि लोकसभा सदस्य और कांग्रेस नेता के रूप में, वह मुख्यमंत्री से अनुरोध करती हैं कि महाराष्ट्र की तरह गुजरात में भी गाय को ‘राज्यमाता’ घोषित किया जाए…… और उन्होंने जोर देकर कहा कि जनता गाय को ‘गोमाता’ के रूप में पूजती है…… और यह मांग लोगों की भावनाओं से जुड़ी है……
वहीं सोशल मीडिया पर इस घटना की काफी चर्चा हुई….. कि गुजरात कांग्रेस सांसद ‘गेनीबेन नागाजी ठाकोर’ ने गाय को ‘राज्यमाता’ घोषित करने की मांग की…… उन्होंने राज्य के CM भूपेंद्रभाई पटेल को पत्र लिखकर महाराष्ट्र की तर्ज पर गाय को ‘राज्यमाता’ घोषित करने की मांग की है….. इसी तरह से कई अखबारों ने भी इस खबर को कवर किया…… जिसमें ठाकोर की अपील को प्रमुखता दी गई…… अगस्त 2024 में उन्होंने लोकसभा में गौ माता को राष्ट्रीय माता का दर्जा देने और गौ-वंश हत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी…… आपको बता दें कि यह घटना गुजरात विधानसभा की चुप्पी को भी उजागर करती है….. जहां एक तरफ धार्मिक नेता अनशन कर रहे हैं…… वहीं राजनीतिक स्तर पर अभी कोई बड़ा कदम नहीं उठा है……. ठाकोर की अपील ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे दिया है…… हालांकि उन्होंने साफ किया कि यह राजनीति नहीं है……
बता दें कि गेनीबेन नागाजी ठाकोर गुजरात की प्रमुख राजनीतिक हस्ती हैं….. वह बनासकांठा लोकसभा सीट से कांग्रेस की एकमात्र सांसद हैं….. इससे पहले वह 2017 से 2024 तक वाव विधानसभा सीट से विधायक रहीं…… ठाकोर समुदाय से आने वाली गेनीबेन ग्रामीण मुद्दों पर सक्रिय हैं….. और किसानों, महिलाओं और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए जानी जाती हैं….. उन्होंने लोकसभा चुनाव में बड़े अंतर से जीत हासिल की….. जो कांग्रेस के लिए गुजरात में एक बड़ी सफलता थी…..
ठाकोर गौ संरक्षण पर पहले भी बोलती रही हैं…… 2024 में लोकसभा में उन्होंने गाय को राष्ट्रीय माता घोषित करने की मांग की थी…… साथ ही गायों के रखरखाव के लिए प्रति पशु 100 रुपये प्रतिदिन देने की अपील की…… उनका मानना है कि गाय भारतीय संस्कृति का हिस्सा है और इसका संरक्षण जरूरी है…… हालांकि, वह कांग्रेस पार्टी की लाइन से अलग नहीं जातीं……. लेकिन इस मुद्दे पर उन्होंने व्यक्तिगत रूप से आवाज उठाई है……
देवनाथ बापू कच्छ के एकलधाम से जुड़े धार्मिक नेता हैं….. वह गौ संरक्षण के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं…… उनका अनशन पिछले सप्ताह से चल रहा है….. और इसमें कई साधु शामिल हैं…… अनशन का उद्देश्य सरकार का ध्यान आकर्षित करना है….. बापू के समर्थकों का कहना है कि गाय को ‘राज्यमाता’ का दर्जा मिलने से गौ रक्षा मजबूत होगी…… और धार्मिक भावनाएं मजबूत होंगी…… आंदोलन की शुरुआत रापर, कच्छ में हुई बैठक से हुई…… बैठक में बजरंग दल, राष्ट्रीय हिंदू संगठन और स्थानीय साधु शामिल थे….. यह आंदोलन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है…… जो गौ संरक्षण को बढ़ावा देना चाहता है…..
महाराष्ट्र में सितंबर 2024 में NDA सरकार ने स्वदेशी गौ नस्लों को ‘राज्यमाता गोमाता’ घोषित किया…… मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि गौ माता की रक्षा हमारी जिम्मेदारी है…… डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इसे पहले से ही अपनी रैलियों में उठाया था….. यह फैसला गुजरात की मांग के लिए प्रेरणा है…… भारत में गौ संरक्षण की जड़ें वैदिक काल से हैं…… रिग्वेद में गाय को धन, शक्ति और प्रचुरता का प्रतीक माना गया है…… वैदिक युग में गाय जीवन, उर्वरता और अहिंसा का प्रतीक थी….. धीरे-धीरे, हिंदू धर्म में गाय को मां का दर्जा मिला…… महात्मा गांधी ने गाय को हिंदू धर्म का प्रतीक माना….. और कहा कि गौ रक्षा हिंदुओं की पहचान है…..
आपको बता दें कि 19वीं शताब्दी में आर्य समाज ने गौ रक्षा आंदोलन शुरू किया….. दयानंद सरस्वती ने गौ हत्या पर प्रतिबंध की मांग की….. 1880-1890 के दशक में कई दंगे हुए….. जहां ईद पर गौ हत्या के खिलाफ विरोध हुआ…… ब्रिटिश काल में गौ रक्षा हिंदू एकता का प्रतीक बनी…… बता दें कि स्वतंत्रता के बाद, संविधान के अनुच्छेद 48 में गौ संरक्षण का प्रावधान है….. 20 राज्यों में गौ हत्या पर कानून हैं….. 1966 में दिल्ली में दंगे हुए, जब गौ रक्षा की मांग की गई….. 2018 में एक संगठन ने गाय को ‘राष्ट्र माता’ घोषित करने की मांग की…… इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2021 में गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने की अपील की…… कानून समय के साथ सख्त हुए हैं……



