मोदी के जापान और चीन दौरे पर सामना का हमला, विदेश नीति और खर्चों पर उठाए सवाल
पत्र में पीएम पर निशाना साधते हुए कहा गया, प्रधानमंत्री मोदी हमेशा की तरह विदेश दौरे पर हैं.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया जापान और चीन दौरे को लेकर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से तीखा प्रहार किया है। पार्टी ने प्रधानमंत्री की विदेश नीति, विदेशी दौरों पर होने वाले खर्च और उनकी प्राथमिकता को लेकर गंभीर सवाल उठाए है।
शिवसेना (यूबीटी) के मुखपात्र सामना में प्रधानमंत्री के हाल ही के जापान और चीन के विदेश दौरे को लेकर निशाना साधा गया है. पत्र में पीएम पर निशाना साधते हुए कहा गया, प्रधानमंत्री मोदी हमेशा की तरह विदेश दौरे पर हैं. पहले वो जापान गए और फिर चीन. बताया जा रहा है कि जापान और चीन में प्रवासी भारतीयों ने उल्हास के साथ उनका स्वागत किया. उन्होंने जिंदाबाद के नारे लगाए.
इसी के आगे पत्र में पीएम पर वोट चोरी को लेकर हमला किया गया. आगे कहा गया, मौजूदा हालात में मोदी का भारत में रहना मुश्किल हो गया है. पिछले कुछ दिनों में उनकी प्रतिष्ठा और बची-कुची विश्वसनीयता पर ग्रहण लग गया है. लोकतंत्र को रौंदकर मोदी को भारत की सत्ता मिली है. उन्होंने चुनाव आयोग के साथ सांठ-गांठ करके चुनाव जीता. उन्होंने वोट चुराए.
राहुल गांधी ने बवंडर मचाया कि मोदी लोगों को धोखा देकर प्रधानमंत्री बने हैं. जाहिर है, यह बात विदेशों तक भी पहुंची होगी इसलिए विदेशों में मोदी के डंके बज रहे हैं, यह तस्वीर भ्रामक है. जो प्रवासी भारतीय विदेशों में मोदी की जय-जयकार कर रहे हैं, उन्हें भारत के हालात और जनभावना का जरा भी अंदाजा नहीं है. ये वो लोग हैं, जिन्हें बीजेपी की विदेशी शाखा सिर्फ मोदी के आने की वजह से जमा करती है.
पीएम मोदी के जापान और चीन दौरे को लेकर कहा गया, अब मोदी ने जापान और चीन जाकर क्या किया? जापान से ही मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को फोन किया और रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा की. मोदी ने खुद घोषणा की कि उन्होंने जेलेंस्की के साथ शांति, मानवता पर चर्चा की तो मोदी ने आखिर क्या किया? रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है. जब मोदी जेलेंस्की से बात कर रहे थे, उसी दौरान रूस ने यूक्रेन के सबसे बड़े युद्धपोत पर हमला कर उसे नष्ट कर दिया. उसी वक्त, मोदी ने जेलेंस्की को धैर्य रखने की सलाह दी. शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष समाधान के लिए भारत का रुख दोहराया.
ऑपरेशन सिंदूर के युद्धविराम को लेकर कटाक्ष
पत्र में आगे कहा गया, मोदी को पहले यह समझ लेना चाहिए कि जेलेंस्की रूस के राष्ट्रपति पुतिन के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं और राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव में रूस के आगे घुटने टेकने को तैयार नहीं हैं. यह हास्यास्पद है कि राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव में व्यापारिक कारणों से पाकिस्तान के साथ युद्ध रोकनेवाले प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति को शांति पर प्रवचन दे रहे हैं. कई देश और उनके राष्ट्राध्यक्ष, जिन्हें लगता है कि पुतिन को हराना चाहिए, लेकिन ऐसा करने की हिम्मत नहीं रखते, समय-समय पर जेलेंस्की को फोन करते हैं. क्योंकि इनमें से किसी भी देश में रूसी राष्ट्रपति पुतिन को फोन करके शांति और संयम पर भाषण देने की ताकत नहीं है इसलिए मोदी का जापान में बैठकर यूक्रेन को फोन करना कोई विशेष बात नहीं है.
पीएम मोदी और जेलेंस्की के बीच हुई बातचीत को लेकर कहा, अगर बीजेपी के अंधभक्त जेलेंस्की-मोदी वार्ता की सराहना करते हैं तो यह उनकी समस्या है. भारत को इससे लेशमात्र भी फायदा नहीं है. इसे खाली दिमाग की उपज माना जा सकता है.
जापान के बाद पीएम मोदी चीन के दौरे पर गए. जहां उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. SCO समिट का हिस्सा बने साथ ही रूस के राष्ट्रपति पुतिन से द्विपक्षीय वार्ता की. पीएम मोदी के चीन के दौरे को लेकर पत्र में कहा गया, मोदी जापान से चीन की धरती पर उतरे. मोदी शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए चीनी शहर तियानजिन में उतरे. रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी वहां आए. मोदी-पुतिन मुलाकात की तस्वीरें भी जारी की गई.
पत्र में आगे कहा गया, राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और रूस के बीच तेल व्यापार बंद करने की धमकी दी है, यानी भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है. प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन के बीच किस मुद्दे पर बातचीत होगी? मोदी अब चीन का गुणगान करने लगे हैं. वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए भारत और चीन का साथ मिलकर काम करना जरूरी है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों के स्थिर और मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए सकारात्मक हो सकते हैं. पत्र में आगे कहा गया, मोदी और जिनपिंग ने रविवार को बातचीत की. अगर कोई सोचता है कि चीन और भारत के बीच तनावपूर्ण संबंध सुधरेंगे और एक नई अंतरराष्ट्रीय राजनीति का सूत्रपात होगा, तो यह सच नहीं है. सामना में अर्थव्यवस्था को लेकर कहा गया, मोदी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने की बात की. आज डॉलर के मुकाबले रुपया इतना गिर गया है कि 9० रुपए पर आ गया है. यही भारतीय अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति है.
पत्र में आगे बुलेट ट्रेन का जिक्र किया गया, कहा गया कि जापान में भारत की बुलेट ट्रेन बन रही है और दूसरी तरफ मोदी ट्रंप के आयात शुल्क से लड़ने के लिए भारतीयों को स्वदेशी का मंत्र दे रहे हैं. अगर स्वदेशी से इतना मोह है, तो प्रधानमंत्री मोदी को अपने विदेशी दौरों पर करोड़ों रुपये बर्बाद करना बंद कर देना चाहिए और कुछ समय के लिए स्वदेश में ही रहना चाहिए. मोदी को लगातार विदेशी पर्यटन की लत लग गई है. इसके लिए भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रसातल में चला गया है.
इसी के बाद पत्र में आगे ऑपरेशन सिंदूर का भी जिक्र किया गया. पत्र में कहा गया, इतना कुछ करने के बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक भी देश भारत के साथ खड़ा नहीं हुआ. अब चीन क्या करेगा? चीन पहले ही लद्दाख और लेह की जमीन पर अवैध कब्जा कर चुका है. अरुणाचल प्रदेश में उसकी घुसपैठ जारी है और भारत के खिलाफ पाकिस्तान को मजबूत करने की उसकी खुराफातें थमी नहीं हैं. मोदी में इतनी हिम्मत नहीं कि वो चीन से कहें कि वो इसे रोके और भारत के साथ दोस्ती का नया दौर शुरू करे, क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप के साये में मोदी की विदेश नीति अभी भी रेंग रही है.



