अनंत चतुर्दशी 2025: इस शुभ मुहूर्त पर करें बप्पा का विसर्जन, जानिए पूजा विधि और महत्व

यह दिन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक होता है, बल्कि गणेश उत्सव के समापन का दिन भी होता है। साल 2025 में अनंत चतुर्दशी का पर्व 6 सितंबर, शनिवार को मनाया जायेगा।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: हिंदू धर्म में हर पर्व का विशेष महत्व होता है, और अनंत चतुर्दशी उसमें से एक महत्वपूर्ण तिथि है।

यह दिन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक होता है, बल्कि गणेश उत्सव के समापन का दिन भी होता है। साल 2025 में अनंत चतुर्दशी का पर्व 6 सितंबर, शनिवार को मनाया जायेगा। इसी दिन 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव का समापन होता है और भक्त बड़ी श्रद्धा के साथ बप्पा का विसर्जन करते हैं।

अनंत चतुर्दशी का पर्व हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. साल 2025 में अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर 2025, शनिवार के दिन पड़ रही है. इस दिन 10 के गणेश उत्सव का समापन होता है और विसर्जन के साथ बप्पा को विदाई दी जाती है.

बप्पा की गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन यानी 10 दिन के बाद विसर्जन किया जाता है और उनसे अगले बरस आने का आग्रह किया जाता है. अनंत चतुर्दशी के दिन अगर आप भी बप्पा की विदाई करना चाहते हैं तो नोट कर लें विसर्जन का शुभ मुहूर्त और संपूर्ण विधि.

अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर, 2025 शनिवार को पड़ेगी.
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 02 मिनट से लेकर रात 1 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. इस दिन पूजा की कुल अवधि 19 घंटे 39 मिनट्स रहेगी. इस दिन चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर को 06, 2025 को रात 3 बजकर 12 मिनट पर होगी. चतुर्दशी तिथि समाप्त 7 सितंबर 2025 को रात 1 बजकर 41 मिनट पर होगी. गणेश विसर्जन 2025 शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan 2025 Shubh Muhurat)

सुबह- 07 बजकर 36 से सुबह 09 बजकर 10 मिनट तक. दोपहर- 12 बजकर 17 बजे से शाम 04 बजकर 59 बजे तक. सायाह्न मुहूर्त (लाभ) – शाम 06 बजकर 37 बजे से रात 08 बजकर 02 बजे तक. रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – रात 09 बजकर 28 बजे से 01 बजकर 45 बजे तक, 7 सितंबर २०२५। उषाकाल मुहूर्त (लाभ) – सुबह 04 बजकर 36 बजे से 06 बजकर 02 बजे तक, 7 सितंबर २०२५। गणेश विसर्जन विधि (Ganesh Visarjan Vidhi)

सुबह स्नान के बाद गणेश जी का ध्यान करें और पूजा स्थल को साफ करें. चौकी पर स्वच्छ पीला या लाल वस्त्र बिछाकर स्वास्तिक बनाएं और अक्षत (चावल) रखें. विसर्जन से पहले गणपति की अंतिम पूजा करें, गणेश जी को स्नान कराएं, नए वस्त्र पहनाएं, और कुमकुम का तिलक लगाएं. दूर्वा, फूल, मोदक, और लड्डू का भोग लगाएं. गणेश मंत्रों का जाप करें, जैसे ॐ गं गणपतये नमः और गणेश स्तोत्र का पाठ करें. परिवार के सभी सदस्यों के साथ गणेश जी की आरती करें. मूर्ति को जल में विसर्जित करने से पहले गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ का जयकारा लगाएं.

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