इस मामले में फंसे BJP विधायक, हार्दिक पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
गुजरात की राजनीति में पाटीदार आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे भाजपा विधायक हार्दिक पटेल की मुश्किलें बढ़ गई हैं...

4 पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों गुजरात की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है……. पाटीदार समुदाय के आरक्षण आंदोलन के प्रमुख चेहरे रह चुके और अब भारतीय जनता पार्टी के विधायक हार्दिक पटेल की मुश्किलें बढ़ गई हैं……. अहमदाबाद की ग्रामीण अदालत ने 10 सितंबर को उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया है……. यह कार्रवाई 2018 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज एक मामले से जुड़ी हुई है…… उस समय आंदोलनकारी कानून-व्यवस्था भंग करने और सार्वजनिक शांति में खलल डालने के आरोप में फंस गए थे…… हार्दिक पटेल अब विरमगाम से भाजपा के विधायक हैं…… उनके अलावा गीता पटेल, किरण पटेल, आशीष पटेल जैसे अन्य कार्यकर्ताओं के नाम भी इस मामले में शामिल हैं…..
आपको बता दें कि हार्दिक पटेल गुजरात की राजनीति में एक बड़ा नाम हैं…… वे पाटीदार समुदाय के युवा नेता के रूप में उभरे थे और आरक्षण की मांग को लेकर बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया था…… लेकिन अब वे भाजपा में हैं…… और यह पुराना मामला उनके राजनीतिक करियर पर असर डाल सकता है…… पाटीदार समुदाय गुजरात का एक प्रमुख समुदाय है……. इसे पटेल समुदाय के नाम से भी जाना जाता है…… यह समुदाय मुख्य रूप से कृषि, व्यापार और उद्योग से जुड़ा हुआ है…… लेकिन पिछले कुछ दशकों में आर्थिक और सामाजिक बदलावों के कारण इस समुदाय के युवाओं में असंतोष बढ़ा…… वे मानते थे कि सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण न मिलने से वे पिछड़ रहे हैं……. 2015 में यह असंतोष एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया……. जिसका नाम पाटीदार अनामत आंदोलन समिति रखा गया……
आपको बता दें कि हार्दिक पटेल इस आंदोलन के सबसे प्रमुख चेहरे बने…… वे तब सिर्फ 22 साल के थे……. लेकिन उनकी आक्रामक शैली और सोशल मीडिया का इस्तेमाल ने उन्हें जल्दी लोकप्रिय बना दिया…… आंदोलन की मुख्य मांग थी कि पाटीदार समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में शामिल किया जाए…… ताकि उन्हें आरक्षण का लाभ मिले…… उस समय गुजरात में भाजपा की सरकार थी……. और मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल थीं….. आंदोलन इतना तेज हुआ कि पूरे राज्य में रैलियां, प्रदर्शन और बंद हुए…… लेकिन इन प्रदर्शनों में हिंसा भी हुई….. जिसमें संपत्ति को नुकसान पहुंचा और पुलिस के साथ झड़पें हुईं…..
2015 के आंदोलन में हार्दिक पटेल पर कई मामले दर्ज हुए…… जिनमें राजद्रोह के आरोप भी शामिल थे……. वहीं अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने हिंसा भड़काने के आरोप में केस दर्ज किया…… उस समय हार्दिक पटेल को गिरफ्तार भी किया गया था…… लेकिन बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया…… यह आंदोलन गुजरात की राजनीति को बदलने वाला साबित हुआ……. 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार वोटों का असर दिखा…… और कांग्रेस को फायदा हुआ…… लेकिन हार्दिक पटेल ने कांग्रेस जॉइन की…… फिर 2022 में भाजपा में शामिल हो गए और विरमगाम से विधायक चुने गए……
आपको बता दें कि पाटीदार आंदोलन सिर्फ आरक्षण की मांग नहीं था……. यह युवाओं की बेरोजगारी, कृषि संकट और सामाजिक असमानता की कहानी भी था…… गुजरात में पाटीदार समुदाय की आबादी करीब 12-15 प्रतिशत है…… और वे पारंपरिक रूप से भाजपा के समर्थक रहे हैं……. लेकिन आंदोलन ने इस वोट बैंक को हिला दिया…… विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आरक्षण मिल जाता……. तो समुदाय की स्थिति बेहतर हो सकती थी…… लेकिन केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिया…….. जिससे पाटीदारों को कुछ राहत मिली…… फिर भी पुराने आंदोलन के मामले आज भी अदालतों में लंबित हैं……
वहीं अब बात 2018 की घटना की करते हैं….. जो वर्तमान वारंट से जुड़ी है…… 2015 के आंदोलन के बाद भी मांग पूरी नहीं हुई……. तो हार्दिक पटेल ने 2018 में फिर से आंदोलन तेज किया……. और उन्होंने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की घोषणा की…… यह हड़ताल अहमदाबाद के निकट निकोल इलाके में हुई……. जहां हजारों पाटीदार समर्थक जमा हुए…… प्रदर्शनकारियों ने सड़कें जाम कीं……. नारे लगाए और सरकार के खिलाफ विरोध जताया……. लेकिन पुलिस का कहना था कि यह प्रदर्शन अवैध था, क्योंकि अनुमति नहीं ली गई थी…..
इस दौरान जमकर हिंसा हुई…… प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के साथ झड़प, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और कानून-व्यवस्था भंग करने के आरोप लगे…… निकोल पुलिस स्टेशन में हार्दिक पटेल और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई……. आईपीसी की धाराएं 143 अवैध जमावड़ा, 147 दंगा, 149 सामूहिक अपराध, 353 सरकारी कर्मचारी पर हमला, 188 सरकारी आदेश की अवज्ञा, 186 सरकारी काम में बाधा, 120 आपराधिक साजिश, 294 अश्लीलता, 34 सामान्य इरादा और 506 धमकी लगाई गईं……. इन धाराओं से साफ है कि मामला गंभीर था…… क्योंकि इसमें हिंसा और साजिश के आरोप शामिल थे…..
हार्दिक पटेल की भूख हड़ताल 19 दिनों तक चली…… और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा……. इस आंदोलन ने फिर से गुजरात की राजनीति को गर्माया…… कई पाटीदार नेता गिरफ्तार हुए……. और समुदाय में सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ा…… लेकिन सरकार ने आंदोलन को दबाने के लिए सख्त कदम उठाए…… बाद में हार्दिक पटेल ने कांग्रेस जॉइन की और 2019 के लोकसभा चुनाव में लड़ने की कोशिश की……. लेकिन अदालती मामलों के कारण अयोग्य ठहराए गए……
वहीं यह 2018 का मामला आज भी अहमदाबाद ग्रामीण कोर्ट में चल रहा है…… वर्तमान में यह आरोप-पत्र के चरण में है……. जहां अदालत आरोपियों पर औपचारिक आरोप तय करती है……. लेकिन हार्दिक पटेल और अन्य आरोपी कई सुनवाइयों में हाजिर नहीं हुए……. अदालत ने कई बार समन जारी किए…… लेकिन अनुपस्थिति के कारण वारंट जारी करना पड़ा…… वहीं आमतौर पर ऐसे मामलों में पुलिस को आरोपी को पकड़ने का आदेश दिया जाता है।
भारतीय कानून में किसी मामले की प्रक्रिया लंबी होती है……. 2018 का यह मामला निकोल पुलिस स्टेशन से शुरू हुआ और अहमदाबाद ग्रामीण कोर्ट पहुंचा…….. पुलिस ने जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल की……. जिसमें हार्दिक पटेल को मुख्य आरोपी बताया गया…… अदालत ने सुनवाई शुरू की…… लेकिन आरोपी की अनुपस्थिति एक बड़ी समस्या बनी…… भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता के अनुसार……. अगर आरोपी समन के बावजूद हाजिर नहीं होता……. तो अदालत वारंट जारी कर सकती है……
वहीं पिछले सालों में हार्दिक पटेल पर कई वारंट जारी हुए हैं…… 2023 में सुरेंद्रनगर कोर्ट ने 2017 के एक मामले में वारंट जारी किया था…… जहां वे सरकारी आदेश का उल्लंघन करने के आरोपी थे…… 2020 में भी राजद्रोह के मामले में गिरफ्तारी हुई थी….. लेकिन मार्च 2025 में गुजरात सरकार ने कुछ राजद्रोह मामलों को वापस लेने की अनुमति मांगी…… और अदालत ने हार्दिक पटेल समेत पांच आरोपियों को बरी कर दिया…… यह सरकार का पाटीदार समुदाय को खुश करने का कदम था…..
फिर भी 2018 का यह मामला अलग है…… क्योंकि इसमें राजद्रोह नहीं बल्कि दंगा और कानून भंग के आरोप हैं…… अदालत ने वारंट जारी कर साफ कर दिया कि कानून सबके लिए बराबर है…… चाहे आरोपी विधायक ही क्यों न हो….. हार्दिक पटेल अब पुलिस के सामने पेश हो सकते हैं या जमानत के लिए अपील कर सकते हैं…… अगर वे गिरफ्तार होते हैं…… तो यह उनके राजनीतिक करियर पर असर डालेगा….. हार्दिक पटेल का जन्म 1993 में हुआ। वे विरमगाम के एक किसान परिवार से हैं…… पढ़ाई में सामान्य थे…… लेकिन सोशल मीडिया ने उन्हें स्टार बना दिया…… 2015 में पीएएएस की स्थापना के बाद वे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुए……. आंदोलन के दौरान वे जेल गए, लेकिन बाहर आकर कांग्रेस में शामिल हुए। 2017 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस का समर्थन किया……. जिससे भाजपा को नुकसान हुआ……
आपको बता दें कि 2022 में हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन की…… और उन्होंने कहा कि कांग्रेस में युवाओं को मौका नहीं मिलता……. भाजपा में शामिल होने के बाद वे विरमगाम से विधायक चुने गए……. अब वे भाजपा के युवा चेहरे हैं…… और पाटीदार वोटों को मजबूत करने में मदद करते हैं……. लेकिन पुराने मामले उनके लिए सिरदर्द बने हुए हैं…… वहीं यह वारंट भाजपा के लिए भी असहज है……. क्योंकि हार्दिक पटेल पार्टी के विधायक हैं…… विपक्ष इसे राजनीतिक साजिश कह सकता है……. लेकिन तथ्य यही हैं कि मामला पुराना है और अदालत स्वतंत्र है…… गुजरात में पाटीदार वोट महत्वपूर्ण हैं…… और यह घटना समुदाय में असंतोष पैदा कर सकती है…..
पाटीदार आंदोलन ने गुजरात की राजनीति को बदल दिया…… 2017 के चुनाव में भाजपा की सीटें घटीं, और कांग्रेस मजबूत हुई…… आंदोलन ने अन्य समुदायों को भी प्रेरित किया…… जैसे राजस्थान में गुर्जर और हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन…… सामाजिक रूप से यह युवाओं की आवाज बना…… लेकिन हिंसा के कारण कई मौतें हुईं….. और संपत्ति का नुकसान हुआ……
वहीं इसका आर्थिक रूप से गुजरात की छवि पर असर पड़ा…… राज्य विकास का मॉडल है……. लेकिन आंदोलन ने बेरोजगारी की समस्या उजागर की…… सरकार ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण देकर समस्या हल करने की कोशिश की…… लेकिन पाटीदारों की पूरी मांग पूरी नहीं हुई……. आज भी समुदाय में असंतोष है…… और हार्दिक पटेल जैसे नेता उसकी आवाज हैं….. वर्तमान वारंट से राजनीतिक प्रभाव पड़ सकता है…… अगर हार्दिक पटेल गिरफ्तार होते हैं……. तो भाजपा को सफाई देनी पड़ेगी….. विपक्ष इसे भाजपा की आंतरिक कलह बता सकता है…… लेकिन हार्दिक पटेल ने अब तक कोई बयान नहीं दिया है……
इस मामले में हार्दिक पटेल अकेले नहीं हैं…… गीता पटेल, किरण पटेल और आशीष पटेल भी आरोपी हैं…… वे भी आंदोलन के कार्यकर्ता थे….. अदालत ने उनके खिलाफ भी वारंट जारी किया है…… ऐसे मामलों में अक्सर सभी आरोपी एक साथ ट्रायल फेस करते हैं….. पिछले मामलों में हार्दिक पटेल को सजा भी हुई थी….. 2018 में विसनगर दंगे के मामले में उन्हें 2 साल की सजा सुनाई गई…… लेकिन हाईकोर्ट ने निलंबित कर दी…… 2020 में राजद्रोह के मामले में गिरफ्तारी हुई……. लेकिन बाद में रिहा हो गए….. इन मामलों से साफ है कि हार्दिक पटेल की कानूनी लड़ाई लंबी है……
आपको बता दें कि यह वारंट हार्दिक पटेल के लिए चुनौती है…… लेकिन वे इससे उबर सकते हैं…… वे पुलिस के सामने सरेंडर कर जमानत ले सकते हैं…… गुजरात हाईकोर्ट में अपील भी संभव है…… जैसा कि 2023 में हुआ था जब हाईकोर्ट ने एक वारंट रद्द किया….. राजनीतिक रूप से यह भाजपा के लिए टेस्ट है…… अगर सरकार मामले को वापस लेने की कोशिश करती है…… तो विपक्ष इसे पक्षपात कहेगा…… लेकिन अगर मामला चलता रहा….. तो पाटीदार समुदाय नाराज हो सकता है…… हार्दिक पटेल अब परिपक्व नेता हैं…… और वे इस संकट से मजबूत होकर निकल सकते हैं……



