राहुल गांधी का हाइड्रोजन बम अभी फटा नहीं, पर दिखने लगा दम !

  • चुनाव आयोग ने 474 राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन निरस्त किये
  • अभी तो चुनावी चंदे का हिसाब बाकी है
  • निरस्त दलों की संख्या सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश से
  • आजादी के बाद यह चुनाव आयोग की सबसे बड़ी कार्रवाई
  • 359 अन्य राजनीतिक दलों को निरस्तीकरण की भेजी गयी है नोटिस

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। यह लोकतंत्र है या बंद कमरे में खेला जा रहा कोई कारपोरेट गेम? एक तरफ राहुल गांधी मंच पर खड़े होकर कहते हैं कि मैं हाइड्रोजन बम फोडऩे वाला हूं तो दूसरी तरफ चुनाव आयोग अचानक 474 राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन निरस्त कर देता है और 359 को नोटिस थमा देता है। यह संयोग है या फिर सत्ता के गलियारों में सचमुच कोई विस्फोट होने वाला है? इतिहास गवाह है कि आजादी के बाद अभी तक चुनाव आयोग ने इतनी बड़ी कार्रवाई नहीं की। 474 दलों को बाहर का रास्ता दिखाना वो भी एक झटके में यह छोटा फैसला नहीं।
सबसे ज्यादा चोट उत्तर प्रदेश को लगी है। सवाल ये है कि जब इतने दल सालों से बेकार बैठे थे तो अब तक आयोग सो क्यों रहा था? क्या ये सफाई अभियान अचानक राहुल गांधी के बम की गूंज सुनते ही याद आया? चुनाव आयोग पर लग रहे गंभीर आरापों के बीच आज एक बड़ी खबर सामने आयी है। जिसमें चुनाव आयोग की गाज उन राजीनतिक दलों पर गिरी है जिन्होंने चुनाव का खर्च/ब्योरा आदि नहीं दिया है। आयोग की यह कार्रवाई जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत की गई जिसमें प्रावधान है कि यदि कोई राजनीतिक दल लगातार छह वर्षों तक किसी भी चुनाव में भाग नहीं लेता तो उसे पंजीकृत दलों की सूची से हटाया जा सकता है। इस कदम के साथ पिछले दो महीनों में कुल 808 आरयूपीपी को सूची से हटाया जा चुका है जिसमें 9 अगस्त को हटाए गए 334 आरयूपीपी शामिल हैं।

राहुल के आरोप

राहुल गांधी ने जो आरोप लगाएं हैं वो किसी पटाखे जैसा नहीं बल्कि यह सचमुच लोकतंत्र के माथे पर रखा बारूद है। कर्नाटक के अलंद में 6,000 से ज़्यादा वोटर नाम डिलीट करने का खेल पकड़ा गया। नकली नाम, फर्जी पते, एक ही वोटर के कई रजिस्ट्रेशन यह किसी लोकल जुगाड़ की हरकत नहीं बल्कि बड़े नेटवर्क का खेल है। राहुल गांधी ने साफ कहा कि सिर्फ भाजपा को फायदा पहुँचाने के लिए वोटर लिस्ट के साथ छेड़छाड़ हो रही है। अब सोचने वाली बात है कि अगर यह आरोप सच हैं तो ईवीएम की बहस तो बच्चों का खेल निकली। असली जंग तो वोटर लिस्ट पर है जहां नाम काटना और जोडऩा ही तय कर देता है कि जीत किसकी होगी।

चुनाव आयोग सफाई या सेटिंग?

चुनाव आयोग कहता है कि यह दल छह साल से चुनाव नहीं लड़ रहे थे इसलिए इन्हें हटाया जा रहा है। ठीक है नियम है लेकिन सवाल ये है कि जब सालों से यह दल निष्क्रिय थे तब आयोग सोया क्यों रहा? खाते जमा न करने वाले दलों पर कार्रवाई अब क्यों हो रही है जब राहुल गांधी खुलासा करने की धमकी दे रहे हैं? क्या ये सफाई अभियान सिर्फ जनता का ध्यान भटकाने का तरीका है?

359 अन्य आरयूपीपी की पहचान

दूसरे चरण में हटाए गए आरयूपीपी की सर्वाधिक संख्या 121 उत्तर प्रदेश से है। वहीं, तीसरे चरण के अंतर्गत की जा रही कार्रवाई में भी सर्वाधिक 127 संख्या उत्तर प्रदेश से ही है। दूसरे चरण में, ईसीआई ने 359 अन्य आरयूपीपी की पहचान की है, जो पिछले तीन वित्तीय वर्षों में अपने वार्षिक लेखापरीक्षित खाते जमा करने में विफल रहे हैं या जिन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन आवश्यक चुनाव व्यय रिपोर्ट दाखिल नहीं की। ये दल देश के 23 विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं। इन दलों को हटाने से पहले, निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए, संबंधित राज्यों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। इन नोटिसों के जवाब में दलों को सुनवाई का अवसर दिया जाएगा, और अंतिम निर्णय मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा।

क्या कहना है चुनाव आयोग का

हालांकि चुनाव आयोग का कहन है कि उसने इस कार्रवाई को किसी के कहने या शिकायत के बाद नहीं शुरू किया है। बल्कि यह कार्रवाई 2019 से शुरू एक राष्ट्रव्यापी अभियान के बाद की गयी है। इस अभियान का उद्देश्य उन आरयूपीपी की पहचान करना और हटाना है जो निर्धारित शर्तों को पूरा करने में विफल रहे हैं। इस अभियान का मकसद निष्क्रिय या अनुपालक दलों को हटाकर चुनावी प्रक्रिया को साफ-सुथरा बनाना है। पंजीकृत दलों को प्रतीक चिन्ह कर छूट जैसे विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं लेकिन इनके लिए नियमों का पालन अनिवार्य है।

अभी तो चुनावी बांड बाकी है

अगर चुनाव आयोग इतनी ही ईमानदारी से सफाई करना चाहता है तो उसे चुनावी चंदे की सफाई करनी चाहिए। चुनाव बॉन्ड्स से किसे कितनी रकम मिली क्यों नहीं बताया जा रहा। दलों को हटाना आसान है लेकिन चुनाव की पवित्रता बचाना मुश्किल। राहुल गांधी का हाइड्रोजन बम अभी फटा नहीं है लेकिन आयोग की कार्रवाई से ये जरूर लग रहा है कि कहीं न कहीं कोई दरार तो है।

कड़ी कार्रवाई सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में

भारतीय निर्वाचन आयोग ने 474 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों जिन्हें आरयूपीपी कहा जाता है को अपनी सूची से हटा दिया। साथ ही 359 आरयूपीपी पर कार्रवाई भी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि मतदाता सूचियों में गड़बड़ी और दूसरे अन्य बड़े आरोपों के बाद चुनाव आयोग की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। आगे इस कार्रवाई के साथ अन्य दूसरी बड़ी कार्रवाईया जारी रहेगी।

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