सदन में SIR के खिलाफ प्रस्ताव पास! चुनाव आयोग बेबस, फंसे ज्ञानेश कुमार!

केरल विधानसभा में SIR के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास होने के बाद सियासत गरमा गई है... कांग्रेस के नेतृत्व वाले UDF ने भी इसका समर्थन किया...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है.. केरल विधानसभा ने सोमवार 29 सितंबर को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया.. जिसमें भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रस्तावित स्पेशल इंटेंसिव रिविजन का कड़ा विरोध जताया गया.. यह प्रस्ताव राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सदन में पेश किया था.. और विपक्षी दल यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने भी इसे पूर्ण समर्थन दिया.. यह दुर्लभ एकता राजनीतिक दलों के बीच चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता.. और नागरिकों के मताधिकार के अधिकार की रक्षा के लिए देखने को मिली..

आपको बता दें कि SIR मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण है… उसको ECI ने पूरे देश में लागू करने का ऐलान किया है.. इसका उद्देश्य मतदाता सूची को ‘शुद्ध’ करना बताया जा रहा है.. लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह प्रक्रिया लाखों पात्र मतदाताओं को सूची से बाहर कर सकती है.. केरल में आगामी स्थानीय निकाय चुनाव (नवंबर-दिसंबर 2025).. और 2026 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह कदम और संवेदनशील हो जाता है.. प्रस्ताव में ECI से मांग की गई है कि.. मतदाता सूची का पुनरीक्षण पारदर्शी, निष्पक्ष.. और लोकतांत्रिक तरीके से हो.. ताकि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो..

वहीं यह घटना न केवल केरल की राजनीति का हिस्सा है.. बल्कि पूरे देश में चल रही बहस का प्रतिबिंब है.. बिहार में SIR की प्रक्रिया से उत्पन्न विवादों ने इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है… वहीं इस खबर में हम विस्तार से समझेंगे कि SIR क्या है.. बिहार में इसका क्या असर पड़ा.. केरल में क्यों विरोध हो रहा है.. और इसका लोकतंत्र पर क्या प्रभाव पड़ सकता है.. स्पेशल इंटेंसिव रिविजन मतदाता सूची का एक विशेष प्रकार का पुनरीक्षण है.. जो ECI द्वारा समय-समय पर किया जाता है.. सामान्य पुनरीक्षण सालाना होता है.. लेकिन SIR अधिक गहन होता है.. जिसमें घर-घर जाकर सत्यापन किया जाता है.. ECI के अनुसार, इसका मुख्य उद्देश्य सूची से मृत, स्थानांतरित या डुप्लिकेट नाम हटाना और नए पात्र मतदाताओं को जोड़ना है..

ECI ने 24 जून 2025 को बिहार के लिए SIR की घोषणा की.. जो 2003 के बाद पहली बार हो रहा है.. इसमें 1 जनवरी 2026 को क्वालीफाइंग डेट रखी गई है.. ECI के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत है.. जो केवल भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार देता है.. ECI का दावा है कि बिहार में 99.8% कवरेज हो चुका है.. और 77,895 बूथ लेवल ऑफिसर्स ने घर-घर जाकर फॉर्म इकट्ठा किए.. लेकिन SIR की शर्तें विवादास्पद हैं.. इसमें मतदाताओं को जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट या अन्य 11 दस्तावेजों में से एक जमा करना पड़ता है.. जिसमें 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे.. केवल अपना जन्म स्थान और तिथि साबित करें.. 1 जुलाई 1987 से 3 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे.. एक माता-पिता का नागरिकता प्रमाण.. 3 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे.. दोनों माता-पिता के नागरिकता प्रमाण..

वहीं ये कट-ऑफ तिथियां नागरिकता संशोधन अधिनियम 2003 से जुड़ी हैं.. जो जन्म से नागरिकता के नियम बदलता है.. ECI का कहना है कि आधार कार्ड पहचान प्रमाण के रूप में मान्य है.. लेकिन नागरिकता का नहीं है.. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में भी कहा था कि आधार पहचान का प्रमाण है.. नागरिकता का नहीं.. ECI ने स्पष्ट किया कि कोई नाम बिना नोटिस के हटाया नहीं जाएगा.. प्रत्येक हटाने से पहले सुनवाई और कारण बताना जरूरी है.. फिर भी, पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने चेतावनी दी कि नागरिकता साबित करने का बोझ मतदाताओं पर डालना सार्वजनिक विश्वास को कमजोर कर सकता है.. ECI के आंकड़ों के अनुसार.. बिहार में 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ ड्राफ्ट सूची में हैं..

SIR का पायलट प्रोजेक्ट बिहार में चला.. जहां विधानसभा चुनाव नवंबर 2025 में हैं.. 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट सूची जारी हुई.. जिसमें 65 लाख नाम हटाए गए.. ECI के अनुसार, कारण थे.. 22 लाख मृत, 36 लाख स्थानांतरित, शेष डुप्लिकेट या अनुपस्थित.. लेकिन विपक्ष ने इसे बहिष्कार की राजनीति बताया.. राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव ने कहा कि यह साजिश है.. युवाओं को वोट डालने से रोकने की कोशिश की गई.. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्य मशीनरी का दुरुपयोग हो रहा है.. एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.. जिसमें कहा गया कि यह अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन है.. याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि BLOs द्वारा घर-घर सत्यापन में पूर्वाग्रह हो सकता है.. और दस्तावेज न होने पर लाखों नाम कट सकते हैं..

सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त 2025 को अंतरिम आदेश दिया.. ECI को 65 लाख हटाए नामों की खोजी सूची जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइट पर अपलोड करनी पड़ी.. कारणों के साथ। कोर्ट ने आधार को वैध दस्तावेज माना.. और व्यापक प्रचार का आदेश दिया.. 17 अगस्त को ECI ने सूची अपलोड की.. लेकिन दावा किया कि 98.2% मतदाताओं ने दस्तावेज जमा कर दिए.. फिर भी, चिंताएं बनी रहीं.. एक विश्लेषण से पता चला कि महिलाओं के नाम पुरुषों से ज्यादा कटे.. मुस्लिम बहुल इलाकों में अधिक कटौती हुई.. जो बहिष्कार की राजनीति का संकेत देता है.. सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को अगली सुनवाई रखी.. जहां ECI को अनुपालन रिपोर्ट देनी है.. ADR के अनुसार बिना दस्तावेज के 2 करोड़ से ज्यादा मतदाता जोखिम में हैं..

बिहार में राजनीतिक दलों ने ECI से स्थगन की मांग की.. ECI ने जवाब दिया कि सभी दल पिछले 20 साल से सूची शुद्धिकरण की मांग कर रहे थे.. लेकिन फॉर्म भरने के लिए.. समय कम था.. और सिर्फ 30 दिन ही मिला.. केरल में SIR का ऐलान 12 सितंबर 2025 को हुआ। ECI के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रथन यू. केलकर ने कहा कि 2002 की मतदाता सूची आधार बनेगी… 2002 में 2.24 करोड़ मतदाता थे.. जबकि 2025 में 2.78 करोड़ मतदाता है.. यानी 53 लाख नाम पहले से बाहर रखे गए… नए मतदाताओं को दस्तावेज जमा करने पड़ेंगे, और आधार मान्य होगा…

लेकिन राज्य सरकार ने इसे अवैज्ञानिक कहा.. 21 सितंबर को केलकर ने ECI को पत्र लिखकर स्थगन की सिफारिश की.. क्योंकि स्थानीय चुनावों के लिए BLOs व्यस्त हैं.. फिर भी, ECI ने पैन-इंडिया SIR का प्लान बनाया.. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सदन में कहा कि SIR जल्दबाजी में लागू करना लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाएगा.. यह NRC का बैकडोर प्रयास लगता है.. और उन्होंने बिहार का उदाहरण दिया, जहां “अतार्किक कटौती” हुई.. प्रस्ताव में तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी SIR पर सवाल उठाए गए, जहां चुनाव नजदीक हैं..

विपक्ष के नेता वी.डी. सतशन ने कहा कि UDF SIR का विरोध करेगा.. यह BJP की चाल है.. 19 सितंबर को UDF ने समर्थन की घोषणा की.. स्पीकर ए.एन. शमशीर ने संशोधनों के बाद सर्वसम्मति घोषित की.. BJP नेता वी. मुरलीधरन ने इसे राजनीतिक स्टंट कहा.. लेकिन सदन में BJP के विधायक नहीं हैं.. केरल में 2002 का पिछला SIR सफल रहा.. लेकिन अब 23 साल पुरानी सूची पर आधारित प्रक्रिया को अव्यवहारिक बताया जा रहा है.. सीपीआई (एम) के एमवी गोविंदन ने कहा कि 5 मिलियन मतदाता बाहर हो सकते हैं.. यह CAA लागू करने की साजिश है..

आपको बता दें कि तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी विरोध हो रहा है.. तमिलनाडु में DMK ने कहा कि यह अल्पसंख्यकों को निशाना बनाएगा.. पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी ने ECI पर केंद्र के दबाव का आरोप लगाया.. ECI ने कहा कि SIR बिहार के बाद प्रगतिशील रूप से चलेगा.. पूर्वोत्तर में नागरिकता के मुद्दे संवेदनशील हैं.. असम NRC के बाद SIR से डर है.. विपक्षी नेता राहुल गांधी ने कहा कि डिजिटल फ्रॉड की जांच जरूरी है.. लेकिन SIR से लाखों वोटर बाहर न हों… ECI के अनुसार, कोई भी पात्र वोटर बाहर नहीं होगा.. लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में दस्तावेज कम हैं..

 

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