NCRB रिपोर्ट ने खोला मोदी राज का सच, गुजरात बना अपहरण का गढ़, 734 लोग लापता!

NCRB की ताज़ा रिपोर्ट ने मोदी सरकार के सुशासन की हकीकत सामने ला दी है... गुजरात में अपहरण की घटनाओं में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है..

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों, गुजरात जैसे विकसित राज्य में अपहरण के मामले इतने बढ़ गए हैं कि हर कोई परेशान है.. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की 2023 की रिपोर्ट ने खुलासा किया है.. कि यहां अपहरण के केसों में भारी इजाफा हुआ है.. सबसे डराने वाली बात ये है कि 734 लोग अभी तक गायब हैं.. जिनका कोई पता नहीं चल पाया है.. इनमें औरतें और मर्द दोनों शामिल हैं.. ये आंकड़े सुनकर लगता है जैसे राज्य में सुरक्षा का सिस्टम कमजोर पड़ रहा हो..

एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में गुजरात में कुल 2,511 अपहरण के मामले दर्ज हुए.. हर महीने औसतन 140 केस आते थे.. ये संख्या पहले के सालों से ज्यादा है.. पुरुषों की तुलना में महिलाएं और नाबालिग लड़कियां ज्यादा निशाना बन रही हैं.. खासकर 12 से 16 साल की उम्र के बच्चे सबसे खतरे में हैं.. इस ग्रुप में 771 अपहरण हुए और लड़कियों के केस लड़कों से ज्यादा थे.. सोचिए इतने छोटे बच्चे क्यों गायब हो रहे हैं? ये सवाल हर किसी के मन में घूम रहा होगा..

रिपोर्ट कहती है कि प्रेम संबंध, जबरन शादी और तस्करी मुख्य कारण हैं.. इसके अलावा, अवैध कैद, फैमिली प्राब्लम, प्रॉपर्टी के झगड़े और पर्सनल दुश्मनी भी बड़ी भूमिका निभा रही हैं.. आजकल सोशल मीडिया और मोबाइल की वजह से युवा आसानी से फंस जाते हैं.. कोई ऑनलाइन दोस्त बन जाता है.. और फिर अपहरण हो जाता है.. ट्रैफिकिंग का मतलब है बच्चों या महिलाओं को बेचना या जबरन काम करवाना.. गुजरात जैसे इंडस्ट्रियल स्टेट में मजदूरों की संख्या ज्यादा है.. शायद यही वजह है कि तस्करी बढ़ रही हो..

आपको बता दें कि अहमदाबाद इस लिस्ट में टॉप पर है.. 2023 में यहां 296 केस दर्ज हुए, जबकि 2021 में सिर्फ 183 थे.. यानी दो साल में दोगुना से ज्यादा इजाफा हुआ है.. इनमें 94 लड़के और 165 लड़कियों का अपहरण हुआ है.. अहमदाबाद शहर बड़ा है पॉपुलेशन ज्यादा है.. लेकिन पुलिस की निगरानी क्यों कमजोर पड़ रही है.. शहर के इलाकों जैसे लॉ गार्डन या चांदखेड़ा में कई केस सामने आए हैं.. उदाहरण के लिए 2025 में ही एक 4 साल की बच्ची का अपहरण हुआ था.. जिसे क्राइम ब्रांच ने रेस्क्यू किया.. एक और केस में 7 महीने की बच्ची को चुराने की साजिश रची गई.. जो ट्रैफिकिंग रैकेट से जुड़ी थी.. ऐसे केस सुनकर डर लगता है..

पुलिस ने कुल 2 हजार 511 केसों में से 1 हजार 777 में पीड़ितों को बचा लिया गया.. यानी रिकवरी रेट 70.8% है.. लेकिन 597 महिलाएं और 137 पुरुष अभी भी लापता हैं.. ये 734 का आंकड़ा एनसीआरबी ने दिया है.. सवाल ये है कि बाकी लोग कहां हैं? क्या वो सुरक्षित हैं या खतरे में? राज्य की लॉ एंड ऑर्डर सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं.. गुजरात पुलिस ने कई ऑपरेशन चलाए, जैसे क्राइम ब्रांच की टीम्स ने कई अपहरणकर्ताओं को पकड़ा.. लेकिन फिर भी इतने लोग गायब कैसे रह गए..

इस समस्या की जड़ें गहरी हैं.. गुजरात में शहरीकरण तेजी से हो रहा है.. गांवों से लोग शहर आ रहे हैं, फैमिली स्ट्रक्चर टूट रहा है.. बच्चे स्कूल-कॉलेज जाते हैं, लेकिन पैरेंट्स काम में व्यस्त रहते है.. ऐसे में बच्चे अकेले रह जाते हैं.. प्रेम संबंधों के केस में लड़कियां भाग जाती हैं या जबरन ले ली जाती हैं.. जबरन शादी के पीछे जाति या कम्युनिटी प्रेशर होता है.. तस्करी में गरीब परिवारों के बच्चे टारगेट होते हैं.. एनसीआरबी की पुरानी रिपोर्ट्स देखें तो 2022 में भी अपहरण के केस बढ़े थे.. लेकिन 2023 में और तेजी आई..

वहीं अन्य राज्यों से तुलना करें तो गुजरात में स्थिति चिंताजनक है.. पूरे देश में 2023 में 1 लाख 13 हजार 564 अपहरण केस हुए.. जो 5.6% ज्यादा हैं.. लेकिन गुजरात का शेयर बड़ा है.. यूपी में सबसे ज्यादा केस, लेकिन गुजरात जैसे ‘मॉडल स्टेट’ में ये बढ़ना शॉकिंग है.. बच्चों के खिलाफ क्राइम 9.2% बढ़ा.. जिसमें अपहरण टॉप पर है.. महिलाओं के खिलाफ भी क्राइम बढ़ा है..

गुजरात सरकार ने पुलिस की सक्तियां बढ़ाई है.. सीसीटीवी कैमरे स्कूलों और बाजारों में बढ़ाए गए.. ‘मिशन गौरव’ जैसे प्रोग्राम महिलाओं की सेफ्टी के लिए चलाए जा रहे हैं.. लेकिन अपहरण रोकने के लिए विशेष माप कम लगते हैं.. सेंट्रल गवर्नमेंट ने NCRB को डेटा कलेक्ट करने को कहा है.. और ट्रैफिकिंग रोकने के लिए लॉ स्ट्रिक्ट किए हैं.. POCSO एक्ट और IPC सेक्शन 363-366 अपहरण के लिए हैं.. लेकिन सुधार में कमी है.. एक्सपर्ट्स का कहना है कि समुदाय को जागरूक करना जरूरी है.. स्कूलों में सेफ्टी क्लासेस, पैरेंट्स को अलर्ट रहने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए..

 

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