मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का अहम फैसला, कहा- सरकारी क्वार्टर पालतू जानवरों के लिए नहीं

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकारी आवासीय क्वार्टर केवल परिवार के रहने के लिए होते हैं, पालतू जानवरों के लिए नहीं.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकारी आवासीय क्वार्टर केवल परिवार के रहने के लिए होते हैं, पालतू जानवरों के लिए नहीं. जस्टिस विवेक जैन की पीठ ने स्पष्ट किया कि पालतू जानवर पालना निजी अधिकार है, लेकिन सरकारी संपत्ति पर यह स्वतः लागू नहीं होता.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण याचिका में सुनवाई करते हुए कहा कि सरकारी आवासीय क्वार्टर केवल परिवार के रहने के लिए होते हैं, पालतू जानवरों के लिए नहीं. अगर कुत्ता पालना चाहते ही हैं तो शहर में किराए का निजी मकान लेकर ऐसा करने की स्वतंत्रता है. यह आदेश मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक जैन की एकल पीठ ने व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर के जूनियर वर्क्स मैनेजर सैफ उल हक सिद्दीकी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.

व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर के जूनियर वर्क्स मैनेजर सैफ उल हक सिद्दीकी ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्होंने अपने सरकारी क्वार्टर में एक पालतू कुत्ता रखा हुआ था. इस पर उनके पड़ोसियों ने फैक्ट्री प्रशासन से शिकायत की थी. शिकायत के बाद फैक्ट्री प्रबंधन ने उन्हें सरकारी क्वार्टर खाली करने का आदेश जारी कर दिया. सिद्दीकी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

जस्टिस विवेक जैन की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकारी आवास किसी कर्मचारी को सेवा अवधि के दौरान आवास सुविधा के रूप में आवंटित किया जाता है, न कि स्वामित्व के अधिकार के रूप में. इसलिए आवास का उपयोग केवल निवास उद्देश्य से किया जा सकता है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पालतू जानवर रखना व्यक्ति का निजी अधिकार हो सकता है, लेकिन सरकारी संपत्ति पर यह अधिकार स्वतः लागू नहीं होता. यदि किसी कर्मचारी को सरकारी क्वार्टर में पालतू जानवर पालने की अनुमति नहीं है, तो वह नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकता.

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता वास्तव में कुत्ता पालना चाहते हैं तो उन्हें शहर में किराए का निजी मकान लेकर ऐसा करने की स्वतंत्रता है. सरकारी क्वार्टर का उपयोग परिवार से इतर किसी अन्य उद्देश्य, विशेषकर जानवरों के पालन के लिए नियमों के विपरीत है. अंत में कोर्ट ने फैक्ट्री प्रशासन द्वारा जारी आदेश को विधिसंगत और उचित ठहराते हुए सैफ उल हक सिद्दीकी की याचिका को खारिज कर दिया.

हाईकोर्ट का यह फैसला सरकारी विभागों में आवंटित आवासों से जुड़ी अनुशासन व्यवस्था को सख्ती से लागू करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है. कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि सरकारी संपत्ति का उपयोग निर्धारित नियमों के अनुसार ही किया जाना चाहिए. ऐसा न करना न केवल प्रशासनिक अनुशासन का उल्लंघन है बल्कि अन्य निवासियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकता है. यह फैसला भविष्य में सरकारी आवासों में पालतू जानवर रखने के मामलों के लिए नजीर साबित होगा

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